रमा शंकर सिंह
सीपीएम का तीन दशकों से ज्यादा का राज ! सारे असामाजिक तत्वों और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग में मास्टरी! हर बूथ पर आक्रामक कॉडर जो किसी असहमत को बूथ पर ही नहीं पहुँचने दे .आ जाये अगर तो दिन भर खडा रहे लाइन में और कभी बूथ के अंदर न जा पाये.ज्योति बसु जैसा नेता और जमीनी संगठन.कांग्रेस का घटता असर,पिटता संगठन और लगातार कमजोर होती बूढ़ी पार्टी. ये सब आज की पीढी और आईटी सैल के लफंगे नहीं जानते.जिन्होंनें देखा है वे भूल चुके हैं.
करीब चार दशक पहले कालीघाट कोलकाता के पास एक निम्न मध्यवर्ग बस्ती के दो कमरों के अतिसाधारण परिवार की राजनीति में इच्छुक एकदम जवान कन्या पढाई के दौरान ही युवा राजनीति में आ रही है.निजी जीवन में असाधारण सादगी, ईमानदारी , अदम्य साहस, शुचिता संयम मर्यादा की डोर पकडे अपनी सक्रियता और प्रतिबद्धता के दम पर धीरे धीरे कांग्रेस के युवा संगठन में आगे बढ रही है.और बाद में एक एक कदम धरते हुये चुनावी राजनीति में भी सफल होने लगी.युवा सासंद बनी।
कांग्रेस का शुरुआती सीपीएम विरोधी विचार नीति व चेहरा व्यवहारिक समीकरणों के चलते ढीला पडने लगा पर वो युवा सांसद इसके लिये तैयार नहीं थी.
उन्हीं कुछ बरसों में राज्य स्तरीय सांगठनिक ढाँचा तैयार कर लिया था और एक बडी चुनौती प्रतिज्ञा कर डाली कि मैं सीपीएम का राज खत्म करके ही चैन लूँगी.रोज बंगाल में जुलूस धरना सभायें हड़ताल और पुलिस व सीपीएम कार्यकर्ताओं से सम्मिलित मुकाबला होता था.सीपीएम को लगा कि उनकी स्थिति हिल सकती है तो कई बार घातक हमले हुये , प्राणघातक.सिर फटा लाठियॉं सही और एकाध बार लगा कि मर चुकी हैं पर जीवट और जिजीविषा की मूर्ति हारी नहीं. कांग्रेस ने रोका पर रुकी नहीं फिर अटल सरकार में मंत्री बनीं.और जल्दी ही छोडकर अलग हुई कि किसी का गलत जनविरोधी आदेश नहीं माना जा सकता.
विधानसभा चुनाव हुये तो सदैव हवाई चप्पल और अपनी निजी मारुति कार में घूमने वाली की पूरे राज्य में ऐसी आँधी चली कि महाबली दल धराशायी हो गया.असंभव काम हुआ जिसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता था. मुख्यमंत्री बनी लेकिन वही दो कमरों के पुश्तैनी मकान में , हवाई चप्पल पहने , पुरानी मारुति कार में चलना और रोज रात को दिन भर के काम के बाद अपनी खादी की साड़ी धोकर सुखाना और कल के लिये एक सूखी हुई पर इस्त्री करना .पहले से ही घर के बाहर एक सार्वजनिक कूडा दान था, अफसर आये कि अब इसे हटायेंगें कि मुख्यमंत्री के निवास के बाहर अच्छा नहीं लगता , बिल्कुल नहीं हटने दिया कि उसी बस्ती में किसी और के दरवाज़े के बाहर क्यों लगे.निवास से सौ कदम की दूरी पर सडक , जिस पर खूब ट्रैफ़िक चलता था , सुरक्षा के लिये फैसला हुआ कि यह सडक ट्रैफ़िक के लिये बंद करेंगे , नहीं बंद करने दी गई.
तीसरी अवधि के लिये चुनाव चल रहा है , भ्रष्टाचार का कोई आरोप अभी तक चिपक नहीं पाया है.जीवनशैली वही, जनता से जीवंत सम्पर्क वैसा ही .वही आक्रामक राजनीति .वैसा ही भाषण.दुनिया के सबसे ताक़तवर को ललकारना इसी शेरनी को आता है.
हम सहमत हो या असहमत , असहमतियाँ खूब हैं नीति पर सरकार के तौर तरीकों पर ऐसा नेता ऐसा राजनीतिज्ञ ऐसा कर्मकौशल किसी के पास नहीं.खूब गरियाओ मजाक उड़ाओ हमले करो पर प्रकृति ने ममता दीदी को इतिहास रचने के लिये ही बनाया है.जब सब झुक जायेंगें तब भी वो तन के खडी रहेंगीं ! जब सब मौन हो जायेंगें तब वो वाचाल होकर मर्मांतक आक्रमण करेंगी.
अब मुक़ाबले में राजनीतिक दल नहीं देवता व ईश्वर खडे कर दिये हैं , आस्था की तलवार उस पर चलनी है .अथाह पैसा बहेगा एक एक वोट पर. इस मामूली औरत की राजनैतिक बाँहें काटी जायेंगी कि समर्थक बिक बिक कर दूसरी ओर खडे दिखेंगें .चलने लायक न रहे , घूम न सके इसके लिये टांगें तोड़ी जायेंगी.ऐसा मुकाबला ऐसा चुनावी युद्ध कभी देखा न गया होगा.ममता दीदी विरोधी को घसीट कर अपने मैदान में ले आयेगी जहॉं अन्य किसी की दॉंव नहीं चल पायेगा.
श्री राम व हनुमान इस चुनाव में दुर्गा काली चंडी के साथ खडे हो जायेगे, पासा पलट जायेगा.शिखंडी दल समूह कांग्रेस सीपीएम औबेसी वोट कटवा बनेंगें.कौन किसकी बी टीम है यह भी साफ दिखने लगा है.नाग कोबरा बिच्छू मगरमच्छ उसके सामने मक्खी मच्छर हैं.वो बिल में घुसकर खींच लाती हैं , नंदीग्राम में देखियेगा.चुनाव चयन की समग्र अच्छाई व बुराई के अनुपात को तौलकर फैसला लेने के लिये होता है.४९ फीसद बनाम ५१ फीसद और जाग्रत मतदाता यही करते हैं.
“ खेला होबे - खेला होबे खेला होबे “
घर घर में गूंज रहा है.
ममता के लिये जो खेल है वह दूसरों के लिये राजनीतिक जीवनमरण बनेगा.(लेखक आईटीएम विश्वविद्यालय के संस्थापक और मध्य प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री रहे हैं )
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