मुसलमानों में भी जहेज की लानत

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मुसलमानों में भी जहेज की लानत

हिसाम सिद्दीक़ी  
जहेज की लानत हमारे मुल्क में नई नहीं है. जहेज के लिए बहुओं को जिंदा जलाने या दूसरे तरीकों से मार डालने या उन्हें घर से निकाल देने जैसे वाक्यात अक्सर सामने आते रहे हैं. सरकारों और मआशरे (समाज) ने जहेज के लिए बहुओं को अजीयतें (यातनाएं) देने पर रोक लगाने की कोशिशें भी बहुत कीं, काफी हद तक इस मसले पर काबू भी पाया जा सका. इधर कुछ सालों से मुसलमानों में भी जहेज के लेन-देन के मामलात में इजाफा हुआ है. जो इंतेहाई शर्मनाक है. क्योकि इस्लाम जहेज के लेन-देन की मुखालिफत करता है. कई उलेमा ने जहेज को हराम तक करार दे रखा है. इसके बावजूद मुसलमानों में अगर जहेज का लेन-देन होता है तो यह पूरे मुस्लिम मआशरे के लिए न सिर्फ शर्मनाक है बल्कि मजहबी और दुनियावी दोनों ही तरीकों से यह एक घिनौना और काबिले सजा जुर्म है. जहेज लेने और देने वाले दोनों का समाजी बायकाट होना चाहिए दोनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराकर उन्हें जेल भेजवाया जाना चाहिए. 
अहमदाबाद की आयशा ने साबरमति के किनारे सैर करने के लिए बने रिवर फ्रंट पर कूद कर अपनी जान दे दी. दरिया में कूदने से पहले उसने अपना एक वीडियो वायरल किया जिसमें वह अल्लाह से दुआ कर रही है कि उसे अब इंसानों की शक्ल न दिखाए. जहेज के मतालबे से वह कितना टूट चुकी थी इसका अंदाजा वायरल वीडियो में उसकी बाते सुनकर आसानी से लगाया जा सकता है. वीडियो वायरल करने के बाद उसने अपने वाल्दैन से भी मोबाइल पर बात की, दोनों ने उससे बार-बार यही अपील की कि वह खुदकुशी करने की गलती न करे. वह लोग उसका मसला हल कराएंगे. आयशा के वालिद लियाकत अली मकरानी ने उसे अल्लाह और हजरत आयशा का वास्ता भी दिया कि वह खुदकुशी न करे बल्कि घर आ जाए. आयशा ने दोनों की बात नहीं मानी और दरिया में कूद कर अपनी जान दे दी. उसके इस काम से जाहिर होता है कि महज चंद सिक्कों के लिए वह अपने शौहर की बेवफाई से कितना तंग आ चुकी थी. उसके शौहर आरिफ खान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. अब पुलिस को चाहिए कि आरिफ के खिलाफ कत्ल का मुकदमा भी दर्ज करे और उस दरिंदे को ऐसी सजा दिलाए जो जहेज के लालची दूसरे तमाम लोगों को इबरत आमोज सबक दे. 
आयशा की खुदकुशी के बाद कई जिम्मेदार सियासी समाजी और मजहबी लीडरान ने पूरे मआशरे के झकझोरने वाले बयानात दिए हैं मस्जिदों में जुमे की नमाज से पहले खुतबे के दौरान मुसलमानों को हिदायत दी गयी कि वह जहेज के खिलाफ न सिर्फ आवाज उठाएं बल्कि बाकायदा मुहिम चलाकर इस लानत को खत्म करने का काम करें. यह अपील तो बहुत अच्छी है लेकिन क्या जहेज की लानत के लिए मुसलमानों के मजहबी रहनुमा भी जिम्मेदार नहीं हैं, एक बड़े मुस्लिम मजहबी और सियासी शख्स ने लखनऊ में अपनी बेटी की शादी की, निकाह वाले दिन यह कहा गया कि शादी बहुत सादगी से की गई है. लेकिन शादी के तकरीबन एक हफ्ते बाद पता चला कि खुद को मौलाना कहने वाले पच्छिमी उत्तर प्रदेश के उस शख्स ने दामाद को एक महंगी कार और कई लाख का घरेलू सामान दिया. ऐसे मजहबी और सियासी लीडरान को क्या सजा मिलनी चाहिए. अब यह तय करने का वक्त भी आ गया है. 
पच्छिमी उत्तर प्रदेश खुसूसन मेरठ और मुजफ्फरनगर जिलों में गोश्त का कारोबार और एक्सपोर्ट करने वाले कुरैशी बिरादरी के कई लोगों ने जहेज की शक्ल में अपनी दौलत का मुजरिमाना मुजाहिरा किया. एक ने तो तमाम बारातियों को भी स्कूटी और मोटर साइकिलें देकर अपनी दौलत का मुजाहिरा किया. बीएसपी के मुनकाद अली के बेटे की शादी में बड़े पैमाने पर न सिर्फ जहेज लिया गया, बल्कि तमाम बारातियों को भी महंगे तोहफे मिले. यह सिलसिला अभी खत्म नहीं हुआ है. आलमी शोहरत का इदारा दारूल उलूम देवबंद के इर्द गिर्द के जिलों में होने वाली ऐसी तमाम शादियों में दारूल उलूम के कई बड़े-बड़े आलिम शरीक रहते हैं सियासतदां और जिला इंतजामिया के अफसरान भी शरीक होते हैं. इतने बड़े पैमाने पर लेन देन की चर्चा महीनों जारी रहती है. लेकिन सियासी व मजहबी लीडरान और जिला एडमिनिस्ट्रेशन के अफसरान किसी के मुंह से एक लफ्ज भी नहीं निकलता है. तो क्या इस लानत के लिए यह लोग भी जिम्मेदार नहीं हैं? 
मारवाड़ी समाज में तो शादियों में जहेज की शक्ल में बाकायदा कई-कई फैक्ट्रियां दी जाती हैं. वहां भी कोई इसकी मुखालिफत नहीं करता. फिर यह लानत कैसे खत्म होगी? मुसलमान यह कहते रहे हैं कि उनके मआशरे में जहेज के लिए बहुएं जलाई नहीं जातीं, आयशा के वाक्ए ने इस भ्रम को भी तोड़ दिया है. इस लिए इस बात की अब सख्त जरूरत है कि मआशरा मुसलमानों का हो या हिन्दुओं का जहेज की लानत का मसला सबमें पैदा हो गया है. इसे हर हाल में रोका ही जाना चाहिए. अगर इसे रोका न गया तो आने वाले वक्त में कितनी ही आयशा, सुमित्रा और राज रानियां इस लानत की भेंट चढ जाएंगी. आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी अब जहेज के खिलाफ मुहिम चलाने के साथ-साथ सरकार से मतालबा किया है कि जहेज कानून को और सख्त किया जाए. कानून चाहे जितना सख्त बन जाए जब तक पूरा मआशरा हिन्दू और मुसलमान सब इस लानत के खिलाफ खडे़ नहीं होंगे तब तक यह मसला हल नहीं होगा.

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