पंकज चतुर्वेदी
नई दिल्ली . मध्य प्रदेश में जबलपुर के कैंट क्षेत्र में सेना के जवानों द्वारा किया गया मतदान विवादों में घिरता दिख रहा है. मामले में कांग्रेस प्रत्याशी और अधिवक्ता विवेक तन्खा ने जबलपुर मे अस्थाई तौर पर निवास करने आए सैनिको के वोटर आईडी कार्ड बनाए जाने की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं.
दरअसल, विवेक तन्खा ने प्रकिया पर वोटर रजिस्ट्रेशन एक्ट के उल्लंघन का आरोप लगाया है. और सेना के वरिष्ट अधिकारियों पर बीजेपी के साथ सांठगांठ करने का भी आरोप लगाया. तन्खा के अनुसार उन्होंने उन साक्ष्यों को भी इकठ्ठा किया है जिसमें सेना के वाहन का उपयोग कर सैनिकों को मतदान केंद्रों तक ले जाकर वोटिंग कराई गई है. तन्खा का कहना है कि इसकी शिकायत वे निर्वाचन आयोग से करेंगे और जरूरत पड़ने पर अदालत का दरवाजा भी खटखटाएंगे.
भारतीय सेना ने आरोप लगाया है कि कुछ लोग सोशल मीडिया पर सेना के जवानों पर फर्जी वोटिंग करने का आरोप लगा रहे हैं। जिससे भारतीय सेना की बदनामी हो रही है और सेना की छवि धूमिल हो रही है. भारतीय सेना का आरोप है कि जबलपुर के केंट क्षेत्र के पोलिंग बूथ में तैयार किये गए इस वीडियो में सेना के जवानों को गलत ढंग से पेश किया गया है. उन्हें किसी पार्टी का कार्यकर्ता बताया जा रहा है जो कि पूरी तरह से गलत है। भारतीय सेना के जवानों के द्वारा ऐसा कोई भी काम नहीं किया गया है. केंट थाना में भारतीय सेना के अधिकारियों ने एक लिखित शिकायत दी है और सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो को जारी करने वालों के खिलाफ कार्यवाही करने का निवेदन किया गया है. जबलपुर एसपी निमिष अग्रवाल ने सेना के इस आवेदन पर अपनी जांच प्रारंभ कर दी है और ऐसे भड़काने वाले वीडियो वायरल करने वालों को जल्द गिरफ्तार करने का आश्वासन दिया है.
स्थानीय लोगों ने सेना के जवानों के द्वारा वोटिंग करने पर जताई थी आपत्ति
मामला कुछ यूं है कि 29 अप्रैल को जबलपुर संसदीय सीट के लिए मतदान हुआ था.इस दिन केंट क्षेत्र के एक पोलिंग बूथ पर सेना के जवानों के द्वारा मतदान किया जा रहा था. मौके पर मौजूद स्थानीय लोगों ने सेना के जवानों के द्वारा वोटिंग किये जाने पर आपत्ति जतायी थी.साथ ही आरोप लगाया था कि जवान खुले तौर पर किसी पार्टी विशेष को वोट देने की बात कह रहे हैं. इस दौरान स्थानीय लोगों और सेना के जवानों के बीच तनाव की स्थिति बन गयी थी, लेकिन मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों ने तुरंत बीच बचाव कर मामले को ख़त्म कर दिया था. यह मामला एक बार फिर तब चर्चा में आया जब इस विवाद का एक वीडियो वायरल हो गया, जिसमें सेना के जवानों पर फर्जी वोटिंग का आरोप लगाया गया .
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