मंत्री रामसूरत राय की बर्खास्तगी के लिए धरना

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मंत्री रामसूरत राय की बर्खास्तगी के लिए धरना

आलोक कुमार 

मुजफ्फरपुर.भूमि सुधार और राजस्व विभाग की बागडोर संभाल रहे हैं मंत्री रामसूरत राय. इन दिनों विवादों में हैं. बीजेपी नेता पर अपने भाई हंसलाल यादव के साथ मिलकर ड्राई स्टेट बिहार में अवैध शराब की तस्करी करने का आरोप लग रहा है. विपक्ष बिहार सरकार से उन्हें तत्काल बर्खास्त करने की मांग कर रही है. विधानसभा में बजट सत्र के दौरान विपक्ष खासकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ये मुद्दा जोर शोर से उठा रहे हैं.यह अब सड़क से लेकर सदन तक का मुद्दा बन गया है. 

भाकपा-माले ने शराब धंधे में लिप्त पाये गए भूमि सुधार और राजस्व मंत्री रामसूरत राय की मंत्री पद से बर्खास्तगी के लिए जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना दिया. इस दौरान मुख्यमंत्री के नाम जिलाधिकारी को पांच सूत्री मांग-पत्र प्रस्तुत कर बोचहां थाना कांड संख्या 298/2020 के तहत मंत्री को बर्खास्त करने के साथ ही शराब कारोबारी उनके भाई हंसलाल राय को गिरफ्तार की मांग की गई.यह भी मांग की गई कि मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार श्री अर्जुन राय मेमोरियल ज्ञान विद्या मंदिर कैम्पस को जब्त कर उसे थाने के हवाले किया जाए जिसमें पुलिस छापेमारी के दौरान हजारों बोतल शराब की बरामदगी हुई थी.मुख्यमंत्री से यह भी मांग की गई उस मामले में गिरफ्तार निर्दोष शिक्षक अमरेंद्र कुशवाहा और अन्य दो पर से मुकदमा वापस लिया जाए तथा किसी भी शराबकांड के मामले में गरीबों को गिरफ्तार करने की जगह शराब धंधेबाजों और माफियाओं को गिरफ्तार किया जाए. 

धरना में माले जिला सचिव कृष्ण मोहन, बोचहां प्रखंड सचिव रामबालक सहनी, औराई प्रखंड सचिव मनोज यादव, इंसाफ मंच के राज्य उपाध्यक्ष आफताब आलम, मजदूर सभा के जिला अध्यक्ष रामनंदन पासवान, सचिव शत्रुघ्न सहनी, किसान महासभा के नेता बिन्देश्वर साह,होरिल राय, गिरफ्तार शिक्षक के भाई अंशु कुशवाहा, पार्टी जिला कमेटी सदस्य वीरेंद्र पासवान, रामबली मेहता, बिमलेश मिश्र,इंसाफ मंच के जिला अध्यक्ष फहद जमां,  असलम रहमानी, रेयाज खान, मो.ऐजाज, महिला नेत्री रानी प्रसाद, आइसा के सौरभ कुमार, किसान -मजदूर सभा के ब्रजकिशोर सहनी,  सुरेश सहनी, नंदलाल पासवान सहित बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल थीं. 

धरना को संबोधित करते हुए माले नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराब धंधेबाजों पर  सख्त कार्रवाई की बात करते हैं लेकिन शराब धंधे में लिप्त अपने ही मंत्री पर कार्रवाई करने से बच रहें हैं. यदि वे शराबबंदी के प्रति गंभीर हैं तो सबसे पहले आरोपित मंत्री को मंत्रीमंडल से बाहर करें.वक्ताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री को यह बताना चाहिए कि बोचहां में पुलिस छापेमारी के दौरान जिस स्कूल के कैम्पस से हजारों बोतल शराब की बरामदगी हुई थी सरकारी घोषणा के अनुसार उसको जब्त कर  पुलिस के हवाले क्यों नहीं किया गया है जबकि चार महीना गुजर गया.यहां तक कि नामजद मंत्री के भाई और उस स्कूल के मालिक हंसलाल राय को भी गिरफ्तार नहीं किया गया है. बल्कि निर्दोष शिक्षक तथा दो अन्य को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. 

माले नेताओं ने आगे कहा कि शराब धंधेबाजों और माफियाओं को राजनीतिक और पुलिस का संरक्षण प्राप्त रहता है. नीतीश सरकार जबतक राजनीतिक संरक्षकों और शराब माफियाओं पर कार्रवाई नहीं करती है शराब का धंधा जारी रहेगा। वस्तुतः शराबबंदी महज राजनीतिक खेल बन कर रह गया है.शराबबंदी के नाम पर केवल गरीबों और दलितों-महादलितों को जेलों में बंद किया जा रहा है.

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