केरल हाईकोर्ट के फैसले को केंद्र सरकार मान लीजिए

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केरल हाईकोर्ट के फैसले को केंद्र सरकार मान लीजिए

आलोक कुमार  
पटना.केरल हाईकोट ने कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस-95 ) के ऊपर महत्वपूर्ण फैसला दिया है. इस फैसले के विरूद्ध में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया.जिसे सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है.केंद्र सरकार ने फिर से पुनः विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में फाइल कर दिया. जो कि पिछले लगभग 23 महीने से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है.केंद्र सरकार से आग्रह है कि पेंशन वृद्धि (ईपीएस-95) को लागू करने की घोषणा जल्द से जल्द कर दें. 

बता दें कि भारत सरकार के अतिरिक्त केंद्रीय प्रॉविडेंट फंड आयुक्त राजेश बंसल ने बताया था कि पहली अक्टूबर 2014 से न्यूनतम पेंशन की राशि बढ़ाकर 1,000 रुपये प्रति माह कर दी गयी.ईपीएस-95 के तहत फिलहाल न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये मासिक है. वहीं, अधिकतम मासिक पेंशन राशि 7,500 रुपये है. 

इसको लेकर केंद्र सरकार के द्वारा हमेशा गाल बजाया जाता है कि सत्ता में आते ही न्यूनतम पेंशन की राशि 1000 रू.कर दी गयी.वहीं पेंशन वृद्धि की आस लगाने वाले बुजुर्ग नागरिकों का कहना है कि फिलवक्त न्यूनतम 1000 रू.पेंशन में दम नहीं रहा.कोरोना 19 व जवान हो गयी मंहगाई काल में भी पेंशन में फूटी कौड़ी की वृद्धि नहीं की गयी.  


गत 6 साल के दरम्यान पेंशन में बढ़ोतरी नहीं करने से उम्रदराज नागरिक मकान बेचकर दो जून की रोटी का जुगाड़ कर रहे हैं.कर्जदारी चुकाते -चुकाते चमन लाल के पास अब फूटी कौड़ी भी नहीं बची है.बैंक का कर्जा ना चुकाने के कारण अदालत ने उसकी जमीन जायदाद की नीलामी करा दी अब उसके पास फूटी कौड़ी भी नहीं है. 

इस बीच केरल हाईकोर्ट ने पेंशन वृद्धि पर ऐतिहासिक फैसला दिया था. जिसके तहत माननीय कोर्ट ने कहा था कि कर्मचारियों को उनकी पूरी सैलरी के हिसाब से पेंशन दे. जिस फैसले को न मान कर केंद्र सरकार (श्रम मंत्रालय व ईपीएफओ) ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 01 अप्रैल 2019 को केरल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए केंद्र सरकार की याचिका को खारिज कर दिया. जो की अपने आप में एक ऐतिहासिक फैसला था. केंद्र सरकार ने फिर से पुनः विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में फाइल कर दिया. जो कि पिछले लगभग 23 महीने से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है. 


केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेंशन वृद्धि ( ईपीएस-95 ) पर समीक्षा याचिका लंबित है. जिस पर कोर्ट में ईपीएस पेंशन वृद्धि का 18 जनवरी 2021 को अंतिम फैसला आने की उम्मीद थी. जो नाउम्मीद में तब्दील हो गयी. कोर्ट इस फैसले का लाखों पेंशनधारक पिछले 23 महीने से इन्तजार कर रहे है. अगर कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार की याचिका रद्द कर दी जाती है. ऐसे में लाखों पेंशनधारकों के सौ फीसदी तक पेंशन की राशि बढ़ने की उम्मीद है. मगर एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट में ईपीएस-95 Higher Pension पर फैसला टल चुका है.  


क्‍या है पेंशनभोगियों की मुख्‍य मांग? 

कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस-95 ) के तहत आने वाले पेंशनभोगी महंगाई भत्ते के साथ मूल पेंशन 7500 रुपये मासिक करने की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा पेंशनभोगियों के पति या पत्नी को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं और ईपीएस 95 के दायरे में नहीं आने वाले रिटायर्ड कर्मचारियों को भी 5,000 रुपये मासिक पेंशन देने की मांग हो रही है. 

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अशोक राउत ने बताया कि कर्मचारियों के ईपीएस मद में 30 साल की नौकरी के दौरान 20-30 लाख रुपये तक जमा होता है. इसके बावजूद अधिकतम मासिक पेंशन 2,500 रुपये तक ही मिल रही है.  इससे कर्मचारियों और उनके परिजनों का गुजर - बसर करना कठिन है. ईपीएस-95 के तहत आने वाले कर्मचारियों के मूल वेतन (15,000 रुपये की सीमा) का 12 प्रतिशत हिस्सा भविष्य निधि में जाता है. वहीं नियोक्ता के 12 प्रतिशत हिस्से में से 8.33 प्रतिशत कर्मचारी पेंशन योजना में जाता है. इसके अलावा पेंशन कोष में सरकार भी 1.16 प्रतिशत का योगदान करती है. 

क्‍या कोई बोझ भी बढ़ेगा 

अशोक राउत ने दावा किया कि कर्मचारियों का पेंशन बढ़ाने से सरकार पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा. उन्होंने इस बारे में श्रम मंत्री संतोष गंगवार को अपनी पूरी रिपोर्ट भी सौंपी दी है.अगर सरकार इन मांग को मान लेती है तो करीब 65 लाख रिटायर्ड कर्मचारियों को फायदा मिलने की उम्‍मीद  

अभी हम यह भी नहीं कह सकते कब फैसला आ जायेगा ?मगर उम्मीद हैं कि माननीय कोर्ट ने पहले ही इस मैटर पर अपना फैसला 01 अप्रैल 2019 को सुना दिया था. मगर सरकार ने एक बार उस फैसले पर पुनः विचार करने का दर्खास्त किया है. अब देखना हैं कि कोर्ट का का क्या फैसला आता है. 

इधर, जस्टिस ललित दो सदस्यीय पीठ में बैठे थे, जबकि इस मसले पर विचार तीन सदस्यीय पीठ कर रही है.श्रम मंत्रालय व ईपीएफओ द्वारा केरल हाईकोर्ट के आदेश का विरोध करने का कारण है कि इससे पेंशन 50 गुना तक बढ़ सकती है.  पीठ ने इस मामले पर 23 मार्च से नियमित सुनवाई करने का निर्णय करते हुए सरकार और ईपीएफओ की याचिकाओं पर सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है.शीर्ष अदालत ने इस मामले को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि हम लोगों को अधिक इंतजार नहीं करवा सकते जो यह जानने के लिए बेकरार हैं कि पीएफ पेंशन का स्वरूप क्या होगा व भविष्य में उनके लिए क्या है. 







 

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