पटना. 17वीं बिहार विधान सभा के द्वितीय सत्र के दौरान हमेशा बिहार विधानसभा में हंगामा होता रहा .आज शुक्रवार को भी बिहार विधानसभा में बिहार सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 को लेकर जमकर हंगामा हुआ.विपक्ष ने बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021की प्रतियों को फाड़कर वेल में फेंक दिया.विधानसभा अध्यक्ष ने सदस्यों को मनाने की कोशिश की, मगर विपक्षी सदस्य मानने को तैयार नहीं हुए, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने मंगलवार तक के लिये विधानसभा की कार्रवाई स्थगित कर दी.
मालूम हो कि 19 फरवरी से बिहार विधानमंडल शुरू हुआ था.आज भोजनावकाश के बाद विधानसभा की कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई. विपक्षी सदस्य बिहार सशस्त्र पुलिस विधेयक को लेकर हंगामा करने लगे. सदस्यों के जारी हंगामे के बाद मंत्री श्रवण कुमार ने विधेयक के पेश होने के बाद अपनी बात रखने का अनुरोध किया. विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने भी सदस्यों से अपनी सीट पर बैठने का अनुरोध किया. मगर विपक्षी सदस्य लगातार नारेबाजी करते रहे. आरजेडी, कांग्रेस, भाकपा (माले) के सभी मौजूदा विधायक वेल में विरोध दर्ज करने पहुंच गये. विपक्ष इस विधेयक को काला कानून बताते हुए इसे वापस लेने की मांग करते रहे. 20 मिनट तक सदस्यों के हंगामे के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही मंगलवार तक के लिये स्थगित कर दी.
विपक्ष के विधायकों का कहना है कि इस विधेयक के जरिए बिहार पुलिस को कई सारे नए अधिकार दिए गए है. इसमें वारंट के बिना गिरफ्तारी के साथ-साथ हिरासत में मौत के मामले पर भी पुलिस के खिलाफ गंभीर मामला दर्ज नहीं करने की बात शामिल है. इसलिये इस बिल को तुरंत वापस लिया जाये.
भाकपा-माले ने आज बिहार विधानसभा में सरकार द्वारा पेश बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक, 2021 को काला विधेयक की संज्ञा देते हुए उसके खिलाफ विधानसभा के अंदर से लेकर बाहर तक चौतरफा विरोध करने की अपील की है.
माले के राज्य सचिव कुणाल व माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने संयुक्त प्रेस बयान जारी करके कहा कि बिहार की नीतीश सरकार यूपी की फासीवादी योगी सरकार की तर्ज पर बिहार में लोकतंत्र का गला घोंट कर पुलिस राज में तब्दील कर देना चाहती है. यह विधेयक यदि कानून बन गया तो पुलिस को बिना वारंट के किसी भी व्यक्ति की तलाशी लेने और गिरफ्तार करने की शक्ति मिल जाएगी. जाहिर सी बात है कि इसका मकसद अपने राजनीतिक विरोधियों और गरीब जनता को बिना वजह जेल में डालकर प्रताड़ित करने में इस्तेमाल किया जाएगा. यह विधेयक गैर लोकतांत्रिक व दमनकारी है.
माले राज्य सचिव ने कहा कि इस काले विधेयक को वापस लेने की मांग पर हम पूरी बिहार की जनता से प्रतिवाद आंदोलन में उतरने की अपील करते हैं. हमारी पार्टी पूरे राज्य में विरोध-प्रदर्शन को आयोजित करेगी.
विपक्ष के विधायकों ने बिना विधेयक पढ़े ही इसकी कॉपी फाड़ दी क्योंकि अगर विधेयक की कॉपी को वे लोग पढ़ लेते तो उन्हें समझ में आ जाता कि यह माजरा क्या है. दरअसल जब आप इस विधेयक के आखिरी पन्ने को देखेंगे तो उस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का संबोधन छपा है जिसमें यह साफ लिखा हुआ है कि बिहार सरकार औद्योगिक सुरक्षा ,महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों, की सुरक्षा हवाई अड्डा मेट्रो , रेल आदि की सुरक्षा की आवश्यकताओं को पूर्ति करने के लिए बिहार को वाले सशस्त्र पुलिस बल की आवश्यकता है. इन प्रतिष्ठानों पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की तर्ज पर गिरफ्तारी तलाशी करने की शक्ति प्रदान करने की अभी आवश्यकता है क्योंकि सशस्त्र पुलिस अधिकारियों को विशेष शक्ति देने का प्रस्ताव है. इसके लिए विशेष प्रक्रिया उपबंध किया जाना आवश्यक है ताकि इस शक्ति का प्रयोग उचित और इसका दुरुपयोग ना हो सके. इसी वजह से बिहार सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 का प्रावधान किया गया है.
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