आलोक कुमार
मुजफ्फरपुर.बागमती आंदोलन समर्थन समिति के अध्यक्ष प्रो.विजय कुमार जायसवाल की अध्यक्षता में बैठक की गयी.प्रो. विजय कुमार जायसवाल ने कहा कि बागमती बांध का निर्माण होने से वहां के लोगों का जीवन नरक में तब्दील हो जाएगा.बिहार सरकार ने कैबिनेट की बैठक में बागमती तटबन्ध निर्माण का एकतरफा निर्णय ले लिया गया है.अब जनशक्ति के बल पर बागमती तटबन्ध निर्माण नहीं होने देना है.
इस अवसर पर वरिष्ठ पर्यावरणविद, गंगा मुक्ति आंदोलन के प्रणेता अनिल प्रकाश ने कहा कि बागमती तटबंध का निर्माण भारत नेपाल सीमा केढेंग से शिवहर सीतामढ़ी होते हुए मुजफ्फरपुर जिले के गायघट प्रखंड के गंगिया गांव तक हो चुका है.विगत आठ वर्ष पूर्व जन विरोध के कारण तटबंध निर्माण का काम लगभग रुका हुआ है.लगभग दस हजार किसानों एवं ग्रामीणों ने गायघाट एवं दरभंगा हाईवे जाम किया था उसी के बाद तटबंध निर्माण का काम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रोक दिया था.
आगे श्री अनिल प्रकाश ने कहा कि अगर यह तटबन्ध बना तो मुजफ्फरपुर और दरभंगा जिले के लगभग 120 गांव नदी के अंदर आ जायेगा और लगभग एक लाख लोग विस्थापित हो जाएंगे.
मीडिया कॉर्डिनेटर डॉ.हेम नारायण विश्वकर्मा ने कहा कि पूरे इलाके के लोगों में बांध निर्माण को लेकर दहशत बना हुआ है.लोग जान दे देंगे लेकिन तटबन्ध नहीं बनने देंगे. जितेंद्र यादव ने कहा कि बिहार सरकार के मंत्री द्वारा पुनः बागमती बांध बनाने को लेकर फैसला किया गया है जो बहुत ही चिंताजनक है मानव से लेकर जीव जंतु पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा.
सामाजिक कार्यकर्ता रमेश पंकज ने कहा कि सरकार की सोच प्रकृति व मनुष्य विरोधी है. अशोक भारत ने कहा कि जनविरोधी बागमती बांध निर्माण के खिलाफ आंदोलन होनी चाहिए. किसान नेता चंदेश्वर चौधरी ने कहा कि जनता की आवाज को दबाने की साजिश चल रही है.आनंद पटेल ने कहा कि कोई भी नदी पर बांध बनेगा तो विनाशकारी ही होगा.
आनंद पटेल ने कहा कि सरकार का सोच प्रकृति विरोधी और मनुष्य विरोधी है.नरेश साहनी ने कहा कि जनविरोधी बागमती बांध को बनने से रोकना चाहिए. इस आंदोलन को तेज करने की जरूरत है.केदार पटेल ने कहा कि सरकार जन विरोधी हैं जनता की आवाज को दबाना चाहती है हम लोग आंदोलन को दबने नहीं देंगे मिलकर आंदोलन को तेज करेंगे. ठाकुर देवेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि कोई भी नदी पर बांध बनेगा तो विनाशकारी होगा.
नदी विशेषज्ञ दिनेश कुमार मिश्र ने कहा कि बागमती पर तटबंध निर्माण गैरजरूरी है.यह नदी उफनाती है तो महज ढाई दिन का बाढ़ लाती है.
श्री मिश्र ने कहा कि बागमती की बाढ़ का पानी गांवों में जानवरों के खूंटे तक भी नहीं पहुंचता. ऐसे में बागमती को तटबंध से बांधने की जरूरत क्यों है? कोई भी योजना 50-60 वर्षों के लिए बनती है, लेकिन बागमती पर तटबंध का निर्माण इतने ही सालों से चल रहा है.तटबंध से नदी में पानी का वेग बढ़ जाता है.ऐसे में तटबंध टूटेगा तो बाहर के गांव और ऐसा नहीं हुआ तो तटबंध के दायरे में आने वाले गांव प्रभावित होंगे.
जल विशेषज्ञ प्रो. संतोष कुमार ने कहा कि सरकार के पास जल प्रबंधन का कोई उपाय नहीं है.तटबंध बनाकर गाद जमा कर रही है.आंदोलन की कमान महिलाएं थाम लें तो सरकार को पीछे हटना पड़ेगा. एएन सिन्हा संस्थान के पूर्व निदेशक डीएम दीवाकर ने कहा कि बिहार सरकार चंपारण सत्याग्रह का शताब्दी वर्ष मना रही थी, लेकिन जनता की बात सुनने को तैयार नहीं है.सुझाव दिया कि जनपक्षीय समिति गठित कर लड़ाई लड़नी चाहिए. निलय उपाध्याय तथा वॉटर एक्टिविस्ट रंजीव कुमार ने भी तटबंध निर्माण को गलत बताया.अनिल प्रकाश, पीएस महाराज, खेग्रामस के महासचिव धीरेंद्र झा, बागमती संघर्ष मोर्चा के संयोजक जितेंद्र यादव ने विचार व्यक्त किया.
निर्णायक मंडल ने तटबंध निर्माण पर तत्काल रोक लगाने, परियोजना की समीक्षा के लिए एक माह में रिव्यू कमेटी गठित करने, शिल्ट का प्रबंधन करने तथा आंदोलनकारियों से मुकदमे वापस लेने की बात कही. कहा कि सरकार रिव्यू कमेटी का गठन नहीं करती है तो जनता की तरफ से जन समीक्षा समिति का गठन किया जाएगा.
बागमती आंदोलन समर्थन समिति की बैठक में मुख्य रूप से मोहम्मद रफी,आलोक कुमार, लड्डू साहनी, रामाशंकर राय, नवल किशोर सिंह, मोहम्मद इदरीश ,काशीनाथ साहनी,साईं सेवादार, अविनाश कुमार, सुशील कुमार, डॉ अमित कुमार यादव, लोक क्रांति यादव, विवेक कुमार, संजय कुमार साहू ,डॉ.अविनाश यादव,लड्डू साहनी आदि थे.बैठक में आए हुए अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन सामाजिक कार्यकर्ता सोनू सरकार ने किया.
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