आईपीएस अमिताभ ठाकुर से मुक्त हुई सरकार

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आईपीएस अमिताभ ठाकुर से मुक्त हुई सरकार

हर सियासी  लिबास के अंदर एक नंगा नाचता है  
चंचल  
आज  'उत्तर प्रदेश' ने, ( अगर  राजनीतिक घरानों की अलग अलग पुरवों में  बंटी , पर  सामूहिक  बसावट  को ही उत्तर प्रदेश समझा जाए तो )  ने एक बदमाश , नटखट , अनुशासनहीन , उस पुलिस कर्मी से मुक्ति पा ली. जो अपनी रीढ़ के सहारे खड़ा होने का हुनर जानता था . 1992  बैच का आईपीएस अमिताभ ठाकुर . 23 मार्च को जब देश- दुनिया स्वाभिमान , स्वतंत्रता , और समरसता के पक्षधर अमर सेनानी भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु की फांसी पर अपनी जमीनी रवायत को याद कर रही थी,   उसी एन वक्त पर  केंद्र सरकार का गृह मंत्रालय एक पुलिस अधिकारी को जबरन रिटायर होने का कागजात तैयार करके उत्तरप्रदेश को सौंप रहा था . ऐसा हुआ क्यों ? किस आधार पर अमिताभ  ठाकुर को यह 'पुरष्कार '  मिला ?  इसका भी जवाब 23 मार्च से जा चिपकता है . 
23 मार्च को देश के महान विचारक डॉ राममनोहर लोहिया का जन्मदिन है . उन्ही  डॉ लोहिया के नाम का साइनबोर्ड लगाए मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में अमिताभ ठाकुर पर  गढ़े,   आरोप पढ़े जा रहे थे,  जिसमे बार बार अमिताभ पर यह आरोप लग रहा था कि  ' यह ' कार्यवाही अनुशासनहीनता  के जद में है,  चुनांचे आप पर अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों न की जाय ? समाजवादी आचरण का कुछ हिस्सा तो बचा ही रहा जो दूसरे लिबास  ओढ़े घाघों से मुलायम को अलग करता था . उसमें से एक था - बदजुबानी कितनी भी हो जाय , गुस्से का इजहार अति तक तक भले ही पहुच जाय , लेकिन पेट पर लात मारना कत्तई नाइंसाफी है . अमिताभ ठाकुर अपने वाजिब हक के तहत बकायदे मुलायम सिंहः की बदजुबानी पर मुकदमा दर्ज  कराया . लेकिन मुलायम ने सब्र से काम लिया और इसी' नाइंसाफी ने मुलायम कार्यकाल तक अमिताभ को तबादले में भले डालता रहा लेकिन  जबरन नौकरी के बाहर नही किया . मुलायम का दूसरा कार्यकाल अखिलेश यादव  लेकर चले और उन्होंने अमिताभ ठाकुर पर कोई कार्यवाही करने से परहेज किया जिस पर ऊब कर खुद अमिताभ ठाकुर को कहना पड़ा - अखिलेश1 सरकार कोई भी निर्णय लेने में कमजोर है . दिलचस्प वाकया तब हुआ जब उत्तर प्रदेश में एक नए मिजाज की सरकार आयी . योगी की , और आते ही अमिताभ ठाकुर को बैरन रुखसत कर दिया और वह तारीख है 23 मार्च 2021 . आरोप देखिये -  
  2005 /  अमिताभ ठाकुर कुल मिला कर 10 जिलों में बतौर पुलिस कप्तान मुलाजमत की है और चार बार सस्पेंड हुए है . 2005 में अमिताभ ठाकुर गोंडा के SP हैं और इन पर आरोप है कि इन्होंने बंदूकों के लाइसेंस  गलत दिए . शिकायत किया सरकारी दल के ' नेताओं ' ने . ' सरकार किसी और की , और असलहा प्रतिपक्ष को ' घोर  अनुशासनहीनता ' . सस्पेंड .  
2008 / फिरोजाबाद SP . थाना जसराना के तहत एक गांव में बड़ी घटना घटी और जानमाल का नुकसान हुआ . जनता ने थाना इंचार्ज VK त्रिवेदी को हटाने की मांग की . SP अमिताभ ठाकुर ने जांच में त्रिवेदी की लापरवाही के चलते उनका तबादला कर दिया . यह बात वहाँ के विधायक रामवीर सिंह यादव को नागवार गुजरी और उन्होंने SP अमिताभ ठाकुर से त्रिवेदी को वापस लाने की बात कही जिसे अमिताभ ने खारिज कर दिया . कुछ ही दिनों बाद विधायक रामवीर यादव के घर एक मंत्री जी के आने की सूचना मिली . SP अमिताभ ठाकुर खुद सुरक्षा व्यवस्था देखने विधायक जी के गांव पहुंचे . वहां विधायक जी और उनके सुरक्षाकर्मी ने बाकायदा SP अमिताभ ठाकुर से  मारपीट  की जिसकी रपट बगल के थाने में आज भी दर्ज मिलेगी . सस्पेंड हुए अमिताभ ठाकुर .  
 2008 में IIM लखनऊ ने 3 साल के लिए अमिताभ ठाकुर को अपनी संस्था में बतौर विजिटिंग प्रोफेसर आमंत्रित किया . छुट्टी नही मिली . लम्बी कथा है .  
      2015 के बहु चर्चित , बहुश्रुत गायत्री प्रजापति खनन कांड में एसपी अमिताभ ठाकुर फिर घेरे में . और इसी खेल में एक औरत का प्रवेश हुआ जिसने आरोप लगाया कि अमिताभ ठाकुर ने उसके साथ  बलात्कार किया . लेकिन जांच में सब फर्जी निकला .  
    इसी साल आय से अतिरिक्त आमदनी की जांच हुई , सब फर्जी . लेकिन यहां अमिताभ ठाकुर ने अपनी ' बुरी आदत ' के चलते फिर विवाद में आ गए . फेसबुक पर एक अकाउंट खुला - आई हेट गांधी . अमिताभ ठाकुर ने इसे बंद कराने के लिए फेसबुक को कटघरे में खड़ा किया और जीते . वह एकाउंट बन्द हुआ . इतना ही नही एक खत और विवाद में आया वह था जो अमिताभ ने अपने बड़े अधिकारियों से पूछा था - किसी अपराधी को  अगर वह मंत्री पद पे आ जाय तो उसे पुलिस की  सलामी देना  कितना जायज है ?  
    सरकार ने कहा इसे अनुशासनहीनता कहते हैं . सरकार अनुशासनहीनता बर्दास्त नही करेगी . घर जाइये . एक पुलिसवाला घर जा रहा है , सलाम करने का मन करता है .

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