ननों को ट्रेन से उतारने की कड़ी निंदा

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ननों को ट्रेन से उतारने की कड़ी निंदा

लखनऊ. भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने उत्कल एक्सप्रेस (हरिद्वार-पूरी) से यात्रा कर रहीं केरल की चार ननों को झूठी शिकायत पर जीआरपी व शिकायतकर्ताओं द्वारा मिलकर झांसी में ट्रेन से उतारने की कड़ी निंदा की है. पार्टी ने अल्पसंख्यक (ईसाई) समुदाय की महिला रेलयात्रियों को बेवजह परेशान करने और उनकी यात्रा में बाधा उपस्थित करने के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. 

राज्य सचिव सुधाकर यादव ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि जीआरपी ने शिकायत की बिना उचित जांच-पड़ताल किये ननों को ट्रेन से उतार दिया. इसके पहले, उसी ट्रेन में यात्रा कर रहे एबीवीपी/बजरंग दल के सदस्यों ने फोन पर शिकायत की थी कि दो ईसाई महिलाएं दो अन्य लड़कियों को नन के वेश में जबरिया धर्म परिवर्तन के लिए ले जा रही हैं. बाद में यह शिकायत झूठी निकली और सभी चारों ननों को हिरासत से रिहा कर दिया गया. झांसी रेलवे स्टेशन पर 19 मार्च को हुई उक्त घटना बाद में सोशल मीडिया के माध्यम से सामने आई. जाहि है, इन महिलाओं को काफी परेशानी व जलालत का सामना करना पड़ा. 

कामरेड सुधाकर ने कहा कि यह घटना दरअसल संघ-भाजपा द्वारा अपने अनुषांगिक संगठनों के माध्यम से युवाओं में रोपी जा रही साम्प्रदायिक घृणा, धार्मिक असहिष्णुता व कट्टरता की उपज है. साथ ही, यह दिखाता है कि किस तरह ये संगठन अफवाहबाजी में भरोसा करते हैं और अपना उल्लू सीधा करते हैं. उन्होंने कहा कि घटना यूपी की है, जहां भाजपा सत्ता में है. इसीलिए झूठी शिकायत दर्ज कराने वालों को बेरोकटोक जाने दिया गया. ननों को परेशान करने के लिए किसी-न-किसी रूप में सत्ता की हनक का भी इस्तेमाल हुआ है. यह सब कुछ शर्मनाक है. यह संविधान प्रदत्त नागरिक आजादी व धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है. 

माले नेता ने कहा कि केरल के मुख्यमंत्री द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर घटना पर दर्ज कराई गई जोरदार आपत्ति के बावजूद शिकायतकर्ताओं के खिलाफ अभी तक कोई दंडात्मक कार्रवाई होने की जानकारी नहीं मिली है, जबकि घटना के छह दिन हो चुके हैं. केंद्रीय गृहमंत्री की ओर से कार्रवाई का आश्वासन भी सिर्फ तब दिया गया, जब केरल में हो रहे विधानसभा चुनाव में गृह मंत्री शाह की चुनावी सभा के दौरान ईसाई समुदाय से वोट मांगने का मौका आया.

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