राजेंद्र कुमार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथ्यों से खिलवाड़ करते हैं. बीते करीब पांच वर्षों में हमने यही देखा-सुना है. महसूस किया है. बीते दिनों पीएम मोदी ने राजीव गांधी को जिस तरह से 'भ्रष्टाचारी नंबर वन' कहा है, वह भी तथ्यों के साथ खिलवाड़ है. रही बात राजीव गांधी को 'मिस्टर क्लीन' के तमगे की तो, ये तमगा उन्हें (राजीव) किसने दिया? हम इसकी तह में नहीं जाते. हम इसकी भी पड़ताल नहीं करेंगे कि गुजरात में पीएम मोदी को लोग 'विकास पुरुष' के तौर कई संबोधित करते है.
लेकिन हम इसकी तहकीकात जरुर करेंगे कि पीएम मोदी ने जिस बोफोर्स कांड का आरोप देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर लगाया है, उसकी जांच में क्या कुछ सामने आया है, इसे देखने की ज़रूरत है. 64 करोड़ रुपए की कथित रिश्वत के इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में राजीव गांधी पर कोई आरोप साबित नहीं हो पाया. तो क्या पीएम मोदी को देश के हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास नहीं है? इस सवाल को भी छोड़ें और यह जाने जब 20 मई, 1991 को राजीव गांधी की मौत हुई थी, उस वक्त उन पर बोफ़ोर्स मामले का आरोप लगाने वाले लोग ही सरकार में थे. लेकिन उस मध्यावधि चुनाव में उनकी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी, उनकी मौत नहीं हुई होती तो इसमें संदेह नहीं कि राजीव फिर से प्रधानमंत्री होते.
बहरहाल, राजीव गांधी की मौत के बाद वीपी सिंह वाले जनता दल मोर्चे के क़रीब तीन और उसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के क़रीब पांच साल के शासन में इस मामले में ऐसा कुछ साबित नहीं हो पाया जिससे राजीव गांधी को 'भ्रष्टाचारी नंबर वन' कहा जाता. फिर भी बीजेपी में छुटभइया नेता करीब 28 वर्षो से कांग्रेस पर बोफोर्स को लेकर आरोप लगाते आ रहे हैं. जबकि बीजेपी के हर बड़े नेता को पता है कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान ही राजीव गांधी का नाम बोफोर्स की चार्जशीट से हटाया गया था. पीएम मोदी ये ना जानते हो? ये सोचना ठीक नहीं है.
समूचे देश को अब ये पता है कि पीएम मोदी अपने भाषणों में तथ्यों के साथ हेरफेर करते है. व्यक्तिगत हमले करना उनके लिए कोई नई बात नहीं है. उन्होंने एक बार झल्लाहट एक सांसद की महिला मित्र को पचास करोड़ की गर्लफ्रेंड तक बता दिया था. इस बार भी यूपी में सपा-बसपा गठबंधन से मिल रही झल्लाहट में पीएम मोदी ये भी भूल गए कि राजनीति लोकलाज से चलने वाली चीज़ है. इस लोकलाज को ताक में रखते हुए पीएम मोदी ने राजीव गांधी को लेकर एक तुच्छि टिप्पणी की. पीएम मोदी जिस हिंदुत्व की राजनीति का सबसे बड़ा चेहरा हैं, उस धर्म में भी उन लोगों के प्रति शालीनता बरतने की परंपरा रही है जो जीवित नहीं हो. पर उनकी इस गलती के बारे में उन्हें कौन बताए? उनके केन्द्रीय मंत्रीमंडल में तो किसी की ये बताने की हिम्मत नहीं है. रही बात संघ के पदाधिकारियों की तो लगता है मोदी जी अब संघ को ज्यादा महत्व नहीं देते. यदि देते होते हो राममंदिर को लेकर मोहन भागवत का सलाह हो महत्व दिया जाता. तो जाहिर है बीजेपी, संघ और एनडीए में उन्हें कोई ये नहीं बतायेगा कि राजीव गांधी को लेकर उनका दिया गया बयान उचित नहीं है? ऐसे में पीएम मोदी आगे भी तथ्यों से खिलवाड़ करते हुए विपक्षी नेताओं पर व्यक्तिगत हमले करते रहेंगें.
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