धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को भी अध्यक्ष बनाएं

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धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को भी अध्यक्ष बनाएं

आलोक कुमार 
पटना.बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग को बदहाल बनाकर छोड़ दिया है.08 मार्च, 2019 को बहुत खुश होकर  सीएम ने सिंहवाड़ा प्रखंड के रामपुरा निवासी डा. प्रो. युनूश हकीम को बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष मनोनीत किया.दो साल से अध्यक्ष महोदय ही तुम ही हो माता पिता तुम्ही हो तुम ही बंधू , सखा तुम्ही हो की भूमिका अदा कर रहे है. 

बता दें कि अभी तक बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग में  केवल मुसलमान ही अध्यक्ष बने हुए हैं.वे हैं श्री हारूण रसीद, श्री जाबिर हुसैन, श्री सोहेल अहमद,नौशाद अहमद, मो.सलाम और डॉ. प्रो.युनुस हकीम.मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन से ही बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग गठित किया गया है. 

समझा जाता है कि अल्पसंख्यकों में द्वितीय पायदान में रहने वाले ईसाई समुदाय को उपाध्यक्ष बनाकर शांत कर दिया जाता है. अभी तक फादर पीटर और सिस्टर सुधा वर्गीस उपाध्यक्ष बने हैं.इसको लेकर ईसाई लोकधर्मियों में आक्रोश व्याप्त है. ऐसे लोगों का कहना है कि फादर-सिस्टरों को धार्मिक कार्य करना चाहिए.मगर लोकधर्मियों के कार्य में भी हस्तक्षेप करने लगे हैं.  

इस तरह का विरोध करने पर अल्पसंख्यक ईसाई कल्याण संघ से जुड़े एब्रोस पैट्रिक को उपाध्यक्ष बनाया गया.जो पूर्ण अवधि पूरा किये ही बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग को भंग कर दिया.अब आयोग के उपाध्यक्ष पद को लेकर मारामारी शुरू हो गयी.जेपी आंदोलन में जेल जाने वाले जौर्ज केरोबिन आगे चल रहे हैं.हालांकि बीजेपी अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष राजन क्लेमेंट साह,कांग्रेस  अल्पसंख्यक विभाग के उपाध्यक्ष सिसिल साह,  अल्पसंख्यक ईसाई कल्याण संघ से जुड़े एसके लौरेंस कतार में खड़े हैं. 

बताते चले कि बिहार पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर को श्रेय जाता है धार्मिक एवं भाषाई अल्पसंख्यक आयोग गठित करने का.जननायक 22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 तक मुख्यमंत्री थे.उन्होंने अधिसूचना आदेश संख्या -5742/सी दिनांक 26.4.71 द्वारा धार्मिक एवं भाषाई अल्पसंख्यक आयोग गठित किया.आदेशानुसार अध्यक्ष मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर तथा सदस्य सचिव लोक शिकायत आयुक्त श्री एस0 आलम को बनाया गया.इस तरह धार्मिक एवं भाषाई अल्पसंख्यक आयोग का प्रथम अध्यक्ष बनने का गौरव जननायक कर्पूरी ठाकुर को प्राप्त है. 

उस अधिसूचना के संकल्प में यह कहा गया कि भारतीय संविधान में सभी नागरिकों को चाहे वे किसी धर्म या सम्प्रदाय के हो समान मौलिक अधिकार दिया गया है. अनुच्छेद-15 में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राज्य के किसी नागरिक के प्रति धर्म, जाति, जन्मस्थान आदि के आधार पर भेदभाव नही बरतेगा.  भारत के संविधान में अल्पसंख्यक शब्द का उल्लेख तो है लेकिन परिभाषा नहीं है. छह समुदायों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया है. ये हैं, पारसी, मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन. इनमें से पारसी, मुस्लिम, ईसाई, सिख और बौद्ध को 1993 में केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर अल्पसंख्यक घोषित किया और जैनों को 2014 में एक अलग अधिसूचना जारी कर के. 

धार्मिक एवं भाषाई अल्पसंख्यक आयोग में बोलबाला अध्यक्ष में ही रहता हैं. इस अध्यक्ष को राजनीतिक पद बना दिया गया है.सत्ताधारी दल ने  वोटर बैंक और अपने चहेते को तरजीह देकर मुस्लिम को ही अध्यक्ष पद देकर तुष्टिकरण करने की राजनीति करते हैं. इनको कैबिनेट मंत्री की तरह सुविधा मिलती है 
स्थापनाकाल को छोड़कर सदैव मुस्लिम को ही अध्यक्ष बनाकर ताजपोशी किया गया है.शेष पारसी, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन हाथ मलते रह जाते हैं.ईसाई,सिख को उपाध्यक्ष पद देकर राज्यमंत्री की सुविधा दी जाती है. आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और पांच सदस्य हैं जो कि अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसी आधार पर राज्यों में भी राज्य अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया गया.इन 50 सालों में मुस्लिम छोड़ अन्य धार्मिक एवं भाषाई अल्पसंख्यकों को अध्यक्ष नहीं बने है. 

दिनांक 19.08.1972 को आयोग का पुर्नगठन किया गया तथा मुख्यमंत्री उसके अध्यक्ष एवं अब्दुल कयूम अंसारी उसके उपाध्यक्ष बनाए गये तथा सदस्य सचिव का पद श्री नीतीश्वर प्रसाद, सदस्य, विधान सभा को दिया गया. पुनः 27.11.1975 को इसका पुर्नगठन करते हुए मुख्यमंत्री को अध्यक्ष एवं श्री नीतीश्वर प्रसाद को सचिव बनाया गया.दिनांक 27.11.1976 को फिर आयोग का पुर्णगठन किया गया तथा श्री जाबिर हुसैन, सासंद को अध्यक्ष तथा श्री नीतीश्वर प्रसाद सदस्य सचिव बनाये गये. पुनः 01.11.1977 को इस आयोग का पूर्णगठन हुआ तथा मुख्यमंत्री अध्यक्ष एवं श्री तकी रहीम उपाध्यक्ष मनोनित हुए. गृह विशेष विभाग के उपसचिव श्री सरयु प्रसाद सिंह, सदस्य सचिव बने. 01.06.1981 को आयोग का पुर्नगठन करते हुए मुख्यमंत्री पदेन अध्यक्ष हुए तथा उपाध्यक्षों की संख्या एक से बढ़ा कर दो हो गयी. उपाध्यक्ष के रूप में श्री हारून रशीद एवं श्री जोगिन्दर सिंह ‘जोगी‘ को मनोनित किया गया. संयुक्त सचिव/उपसचिव, गृह विशेष, सदस्य सचिव मनोनित किये गये.17.07.1989 को एक उपाध्यक्ष का दर्जा बढ़ा कर कार्यकारी अध्यक्ष का कर दिया गया तथा श्री हारून रशीद, कार्यकारी अध्यक्ष मनोनित हुए और उपाध्यक्ष श्री जोगीन्दर सिंह जोगी को ही बनाया गया.श्री हारूण रशीद 18.10.1990 तक कार्यकारी अध्यक्ष बने रहे तथा 19.10.1990 से श्री जाबिर हुसैन को कार्यकारी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष श्री जोगिन्दर सिंह तथा श्री एस० दास बनाए गये.1991 ई0 में बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम बना जिसमें यह प्रावधान किया गया कि आयोग के लिए एक अध्यक्ष दो उपाध्यक्ष एवं आठ सदस्य जो राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किए जाएगे.  

अधिनियम के आलोक श्री जाबिर हुसैन को 24.02.1994 को अध्यक्ष मनोनित किया गया. जिन्होने 10.04.1995 को त्याग पत्र दे दिया.तत्पश्चात 12.10.1995 को प्रो० सुहैल अहमद को बिहार राज्य अल्पसंख्यक अयोग का अध्यक्ष मनोनित किया गया. जो आयोग के अध्यक्ष के रूप में 22.07.2006 तक पदासीन रहे. 

नवम्बर 2005 आयोग के लिए सुनहरा युग आरम्भ हुआ जब दलितों पीडि़तों पिछड़ी एवं अल्पसंख्यकों के मसीहा के रूप में श्री नीतीश कुमार का बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में पदापर्ण हुआ. उन्होने बिहार में अल्पसंख्यकों विशेष कर मुसलमानों की गरीबी, आर्थिक, शैक्षणिक, सामाजिक पिछड़ापन से चिंतित होकर उसका गहराई से अध्ययन किया और उनकी समस्याओं के निराकरण का बीड़ा उठाया. इस संदर्भ में पहले उन्होने अल्पसंख्यक आयोग का पुनर्गठन किया.  

अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की अधिसूचना सं० 1284 दि० 05.08.2006 द्वारा आयोग का पुनर्गठन करते हुए श्री नौशाद अहमद, अध्यक्ष एवं दो उपाध्यक्ष श्री सरदार चरण सिंह , श्री फादर पीटर अरोक्कास्वामी एंव आठ अन्य सदस्यों को मनोनित किया गया। 

पुनः अधिसूचना सं0 457 दि0 22.01.2009 द्वारा आयोग का पुनः गठन हुआ जिसके द्वारा  नौशाद अहमद अध्यक्ष, डा कैप्टन दिलीप कुमार सिन्हा एवं  सरदार चरण सिहं उपाध्यक्ष एंव आठ सदस्य मनोनित किये गये।  

वर्ष 2015 में अधिसूचना संख्या 1069, दिनांक 05.08.2015 द्वारा आयोग का अगले कार्यकाल के लिए गठन किया गया। मोहम्मद सलाम अध्यक्ष बनाये गये तथा एम्ब्रोस पैट्रिक एंव डॉक्टर कप्तान दिलीप कुमार सिन्हा उपाध्यक्ष मनोनित हुए। सदस्य के रूप में कुलवंत सिंह सलूजा, मोहम्मद अब्दुल्लाह, अहमद अली तमन्ने मनोनित किए गये। मोहम्मद सलाम अध्यक्ष तथा एम्ब्रोस पैट्रिक एंव डॉक्टर कप्तान दिलीप कुमार सिन्हा उपाध्यक्ष तथा तीनों सदस्य दिनांक 17-15-2017 को त्याग - पत्र दे दिया है  

अधिसूचना संख्या 568 दिनांक 08-03-2019 द्वारा प्रो. यूनुस हुसैन हकीम को अध्यक्ष मनोनित किया गया हैं .बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग को पंगू बनाकर रख दिया है.मात्र  चेयरमैन को ही नियुक्त कर रखा.चेयरमैन हैं  डा. प्रो. युनूश हकीम को.इस आयोग में दो उपाध्यक्ष रहते हैं. वर्तमान बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष डा. प्रो. युनूश हकीम

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