ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा

आलोक कुमार

पटना.'ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा है.

जब से संसद का विशेष सत्र में मनोज झा ने कविता पढ़ा

तो बवाल हो गया.बीच-बचाव करने लालू को कूदने पड़ा.इस मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव उतर आए हैं.उन्होंने झा का समर्थन करते हुए उनकी आलोचना करने वाले राजद नेता आनंद मोहन और उनके बेटे चेतन को खरी-खोटी सुनाई.

लालू ने कहा, " मनोज झा विद्वान आदमी हैं.आनंद मोहन को जितनी बुद्धि होगी, उतना ही बोलेंगे.वह अपनी शक्ल देखें."

        मालूम हो कि 18 से 21 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र आयोजित हुआ था. इस दौरान राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक पर भाषण देते हुए राजद सांसद प्रो. मनोज झा ने ओमप्रकाश वाल्मीकि की एक कविता कोट की थी.इस दौरान उन्होंने ओमप्रकाश वाल्मीकि की रचना 'ठाकुर का कुआं' पढ़ी थी.कविता पढ़ने से पहले और पढ़ने के बाद भी उन्होंने ये कहा कि यह कविता वह किसी जाति विशेष को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं पढ़ रहे हैं. बल्कि, ठाकुर रूपी पुरुषों को अंदर के अहंकारे के बारे में कह रहे हैं. जोरदार ढंग से कविता पढ़े

चूल्‍हा मिट्टी का

चूल्‍हा मिट्टी का

मिट्टी तालाब की

तालाब ठाकुर का.


भूख रोटी की

रोटी बाजरे की

बाजरा खेत का

खेत ठाकुर का.


बैल ठाकुर का

हल ठाकुर का

हल की मूठ पर हथेली अपनी

फ़सल ठाकुर की.


कुआँ ठाकुर का

पानी ठाकुर का

खेत-खलिहान ठाकुर के

गली-मुहल्‍ले ठाकुर के

फिर अपना क्‍या ?

गाँव ?

शहर ?

देश ?

- ओमप्रकाश वाल्‍मीकि

     ओमप्रकाश वाल्‍मीकि की रचना के पीछे वाराणसी के नज़दीक लमही गांव में 31 जुलाई 1880 को जन्म लेने वाले प्रेमचंद नहीं रहे.वास्तव में अजायब राय के पुत्र का मूल नाम धनपतराय था. प्रेमचंद का पिता डाकखाने में मामूली नौकरी करते थे. वे जब सिर्फ आठ साल के थे तब मां का निधन हो गया.पिता ने दूसरा विवाह कर लिया लेकिन वे मां के प्यार और वात्सल्य से महरूम रहे.

 प्रेमचंद की कहानियों में सेवासदन, गबन, कर्मभूमि, प्रेमाश्रम, गोदान, रंगभूमि व निर्मला जैसे कई उपन्यास लोकप्रिय हैं। इसके अलावा कफन, पंच परमेश्वर, पूस की रात, बड़े घर की बेटी, दो बैलों की कथा और बूढ़ी काकी जैसी 300 से अधिक कहानियां भी चर्चित हैं.

      मुंशी प्रेमचंद ने 'ठाकुर का कुआँ' कहानी के माध्यम से हमारे समाज में व्याप्त जातिप्रथा की सबसे घृणित परंपरा छुआछूत के कारण तिरस्कार, अपमान और मानवीय अधिकारों से वंचित जीवन जी रहे अछूतों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बयां किया है. 'ठाकुर का कुआँ' स्वच्छ पानी के लिए तरसते अछूत जीनव की वास्तविक कहानी है.

      इस बीच भाजपा विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने मनोज झा की गर्दन उतार लेने की धमकी दी है.सिंह ने कहा कि एक सेकंड नहीं लगेगा और ठाकुर आपकी गर्दन उतारकर आपके हाथ में रख देंगे. भाजपा के ही विधायक नीरज बबलू ने मुंह तोड़ने की बात कह चुके हैं.


मनोज झा के बचाव में आया लालू परिवार


डिप्‍टी सीएम ही नहीं लालू प्रसाद यादव भी झा का बचाव कर चुके हैं. लालू यादव ट्वीट करके कह चुके हैं कि मनोज झा जी विद्वान आदमी हैं उन्‍होंने कुछ भी गलत नहीं कहा.इस मामले में अब राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव उतर आए हैं.उन्होंने झा का समर्थन करते हुए उनकी आलोचना करने वाले राजद नेता आनंद मोहन और उनके बेटे चेतन को खरी-खोटी सुनाई.

लालू ने कहा, " मनोज झा विद्वान आदमी हैं.आनंद मोहन को जितनी बुद्धि होगी, उतना ही बोलेंगे. वह अपनी शक्ल देखें."


क्या है मामला?

सांसद मनोज झा ने संसद के विशेष सत्र के दौरान ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता 'ठाकुर का कुआं' सुनाई थी. इसके बाद उनकी ही पार्टी के लोगों ने विवाद शुरू कर दिया था.कविता को लेकर आनंद मोहन और राजद से विधायक उनके बेटे चेतन ने झा को निशाने पर लिया. उन्होंने ठाकुरों का अपमान करने का आरोप लगाया.आनंद मोहन ने कहा था कि अगर वह राज्यसभा में होते तो झा की जीभ खींचकर उन्हें आसन की ओर उछाल देते.

 

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