केरल में कोरोना तो है पर मारामारी नहीं

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केरल में कोरोना तो है पर मारामारी नहीं

रति सक्सेना  
केरल से कभी भी करोना गया नहीं, यहां पूरे साल भर से करोना चल रहा है.हां कभी केस कम होते हैं कभी ज्यादा.इसका यह भी  कारण था कि यहां करोना को स्लोडाउन करने की कोशिश की गई थी इसलिए पीक तक पहुंचने में वक्त लगा, देरी  करने से  मौतें कम हुई,  लेकिन लाक डाउन खुलते ही, उसके बाद राजनीतिक उठा पटक शुरू हो गई.सबसे पहले तो हेल्थ मिनिस्टर शैलजा टीचर की खिंचाई की गई.निसंदेह इसमें ईर्ष्या थी , इसके बाद सोना तस्करी मामले  के कारण विरोधियों ने बहुत प्रदर्शन किए, जिससे करोना को रोकने में परेशानी हुई.इसके अतिरिक्त केरल में छह लाख से ज्यादा लोग विदेश से आए. यह जो नया  वेरिएंट दिखाई दे रहा है वहां केरल में 2 महीने पहले दिखाई दिया था लेकिन चुनाव शुरू हो गए इस तरह से केरल से करोना कभी भी नहीं गया.शैलजा टीचर का बहुत अपमान किया गया फिर भी वे जुटी रही.शायद इसी कारण से केरल में करोना होते हुए भी मौत का आंकड़ा अधिक नहीं बढ़ा फिर लोगों ने शैलजा टीचर पर यह थोप दिया कि वे तो रॉकस्टार जैसे दिखावा करती हैं .एक महिला के आगे बढ़ने से लोगों को तकलीफ तो होती ही है और संदेह नहीं कि उनकी पार्टी  के लोगों को भी तकलीफ हुई होगी,  लेकिन शैलजा टीचर अपने काम में लगी रही हर दिन 18 - 18 घंटे काम करके भी थकी नहीं. 
यही कारण कि यहां पर ना तो बेड कम हुए और ना ही अस्पताल.इसका फायदा आज है क्योंकि केरल के पास में ना तो ऑक्सीजन की कमी है नही बैठकर बेड की हालांकि केस बढ़ रहे हैं.लेकिन  समस्या है वह है वैक्सीनेशन  की, क्योंकि केंद्र सरकार वैक्सीनेशन नहीं दे रही है .राज्य सरकार के पास में इतना पैसा नहीं है कि वह खर्चा कर सके लेकिन कल जब मुख्यमंत्री ने राज्य को संबोधित किया तो वे बहुत सुलझे और समझदार दिखाई दिए .उन्होंने ना तो आंकड़े छुपाए और ना ही वैक्सीनेशन की कमी के बारे में कोई बात छुपाई उनका कहना है था की किसी भी हालत में भी वैक्सीनेशन मुफ्त में ही देंगे.यह एक बहुत बड़ी बात थी, हालांकि वे कुछ लोगों से वैक्सीनेशन का पैसा ले सकते है .साथ ही उन्होंने यह कहा हमारे पास हमारे पास ना तो डॉक्टर की कमी है ना ही बेड की.केरल सरकार ने पूरे साल सबको राशन मुफ्त में बांटा गरीबों को दवा दी, और महीने का भत्ता भी बढ़ा दिया इस इसलिए यहां पर वित्त की समस्या तो है लेकिन सरकार बड़े परिश्रम से काम कर रही हैं . 
इस बार जब चुनाव हुए तब यह पता पड़ रहा था की सरकार अपने किए हुए कामों को गिना रही थी और बीजेपी सिर्फ अय्यप्पा मंदिर की बात कर रही थी कांग्रेस के सामने भी कुछ वायदे थे जिन्हें वहां पूरा करने की बात कह रही थी. 
ऐसा नहीं है कि केरल में धर्मांधता नहीं बढ़ी हो.इन दिनों कुछ लोग पुरस्कार और पद के लिए केंद्र की ओर झुके हैं तो कुछ धर्म के नाम पर मूर्ख भी बन रहे हैं.लेकिन जन तक का अधिकांश भाग  समझता है .मैं यह भी कहूंगी कि केरल के बुद्धिजीवी भी बड़ी शक्ति से इस विरोध का सामना कर रहे हैं .जैसे कि अभी कुछ दिन पहले एक डॉक्टर लड़के और एक डॉक्टर लड़की ने डांस करते हुए वीडियो डाला तो धर्म के ठेकेदार आकर गाली -गलौज करने लगे , लेकिन बुद्धिजीवियों, लेखकों और पढ़े लिखों का पूरा सहयोग इन्हें मिला.फिर तो बहुत से लोग डॉक्टर के वेश में डांस के वीडियो डालने लगे इन दो लड़के लड़की के इन दो लोगों के सपोर्ट में .यही ताकत है अभी तक जो लोगों को जिला रही है.फिर भी केरल तकलीफ में है और समझने की कोशिश भी कर रहा है हालांकि दिल्ली उत्तर प्रदेश जैसी जैसी मारामारी नहीं है.

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