पत्रकार को जान से मारने की धमकी

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पत्रकार को जान से मारने की धमकी

आलोक कुमार 
पटना.सोशल एक्टिविस्ट से पत्रकार बने हैं दलित समुदाय के वेद प्रकाश.इस पत्रकार ने दलित चिंतक व बहुजन आवाज को मुखर करने लगे.इस मुखर पत्रकार की आवाज शांत करने के लिए जान से मारने की धमकी देना शुरू कर दिया है.उनको हिंदुत्व के गुंडा आतंकियों की तरफ से खुली चुनौती दी जा रही है.वहीं बिहार सरकार के गृह मंत्री की पुलिस आददतन खामोश है. 
समझा जाता है कि वेद प्रकाश समाज के हाशिये पर ठहर गये लोगों की पत्रकारिता करते हैं और उनके मुद्दों को उठाते हैं.वह गरीब, कमजोर, दलित और वंचित समाज की खबरों को देश दुनिया के सामने लेकर आते हैं, जिस कारण जातिवादी गुंडो को उनसे चिढ़ है. इस घटना के बाद हाशिये की पत्रकारिता करने वाले तमाम लोग वेद प्रकाश के समर्थन में आ गए हैं. साथ ही बहुजन समाज के राजनेताओं ने घटना की निंदा करते हुए अपराधियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने और कार्रवाई करने की मांग की है. लेकिन सवाल यह भी उठता है कि आखिर अमृतांशु जैसे जातिवादी गुंडों को हाशिये के समाज की आवाज उठाने वाले पत्रकारों को सरेआम धमकी देने की हिम्मत कहां से मिलती है? क्या अमृतांशु जैसे जातिवादी गुंडों को सत्ताधारी राजनीतिक दल और राजनेता का संरक्षण हासिल है? क्या अमृतांशु ने ऐसा किसी के इशारे पर किया है? अगर नहीं तो फिर बिहार की पुलिस आरोपियों को जल्दी से गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही है? 

पत्रकार वेद प्रकाश ने शिकायत दर्ज कराई है और सुरक्षा की मांग की है. बिहार के डीजीपी को दिए गए आवेदन में वेद प्रकाश ने अपने साथ हुई घटना के बारे में बताया है. उन्होंने कहा कि गुरुवार की शाम वह अपनी बहन और भतीजे के साथ कार से जा रहे थे. जब वे फुलवारीशरीफ में थे तो कुछ लोगों की हरकत उन्हें ठीक नहीं लगी.वहां से वे जैसे ही निकले तो उनका पीछा किया जाने लगा. शाम के करीब पांच बजे से लेकर छह बजे के बीच उन्हें मारने की नीयत से इस तरह उनके साथ किया गया. इस घटना में उन्होंने अमृतांशु पर आरोप लगाया है. बताया कि अमृतांशु ही फेसबुक पर लाइव आकर सबको नौबतपुर और बीएमपी की तरफ से उन्हें घेरने के लिए निर्देश दे रहा था.काफी देर तक अमृतांशु ने पीछा किया, लेकिन किसी तरह उन्होंने अपनी जान बचाई. 

चांद बाबू कहते हैं कि बिहार में गुंडा राज अपने चरम पर है ! डिजिटल मीडिया के स्वतंत्र दलित पत्रकार को जान से मारने की धमकी ! डबल इंजन की सरकार ने बिहार में अपराधियों को बढ़ावा दे रखा है. मीना कोटवाल कहती हैं कि वेद प्रकाश के लिए जैसी आवाज उठनी चाहिए, वह नहीं उठ रही है क्योंकि ने ये गुनाह किये हैं कि वे :- 

1.दलित हैं 
2.गरीब परिवार से हैं 
3.सामाजिक संपत्ति नहीं है 
4.सच बोलते हैं 
5.वंचितों की लड़ाई लड़ते हैं 
6.किसी से डरते नहीं 
7.नफा-नुकसान नहीं सोचते 
8.संविधान को मानते हैं. 

गोपाल सिंह कहते हैं कि प्रोफेसर दिलीप मंडल का ट्वीट पढ़कर मुझे मालूम चला कि कुछ सवर्ण जाति के लोगों ने आपके साथ बदसलूकी की है लेकिन आप उन सवर्णवादियों के अत्याचार और शोषण दबंगता के खिलाफ लिखते रहें और बोलते रहें 
कोई कुछ उखाड़ नहीं पाएगा.स्वर्णवादी का मतलब देश के अंदर का आंतकवादी है. 
 

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