और चर्च को ध्वस्त करके चले गये

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और चर्च को ध्वस्त करके चले गये

आलोक कुमार 
नयी दिल्ली.ईसाई समुदाय फादर स्टेन स्वामी की मौत न्यायिक हिरासत में होने के मसले से गम में चल रहे थे कि12 जुलाई की सुबह दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अधिकारी तीन बुलडोजर और करीब 150 पुलिस कर्मियों के साथ आए थे और चर्च को ध्वस्त करके चले गये. दक्षिण दिल्ली में है अंधेरी मोड़. यहां पर लिटिल फ्लावर कैथोलिक चर्च है.यहां पर 12 वर्षों से 400 से अधिक परिवार दैनिक और रविवारीय मिस्सा में भाग लेते हैं. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों के शह पर कैथोलिक चर्च को ध्वस्त कर दिया और पवित्र अवशेषों को फेंक दिया. 

इस आस्थावान समुदाय का कहना है कि इस तरह की कार्रवाही चरमपंथियों के द्वारा मध्य पूर्व या अफ्रीका में नहीं किया गया है, बल्कि भारत में, जहां धर्म की स्वतंत्रता का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है! यहां के अधिकारियों ने फरीदाबाद के सीरो-मालाबार धर्मप्रांत में स्थित अंधेरी मोड, दक्षिणी दिल्ली में लिटिल फ्लावर कैथोलिक चर्च को ध्वस्त कर दिया.यहां तो मिले संविधान का मौलिक अधिकार को ही नष्ट कर दिया. 

बताया गया कि जहां पर चर्च को ध्वस्त किया गया,वहां बलिदान अर्पित किया गया.यह बताया गया कि यह विरोध नहीं है, यह आस्था का प्रमाण है.कल रविवार को, उसी स्थान पर जहां अधिकारियों ने अंधेरी मोड़, दिल्ली में कैथोलिक चर्च को ध्वस्त कर दिया और पवित्र अवशेषों को फेंक दिया, आज सुबह विश्वासियों के एक साथ बलिदान के अर्पित किया गया.आइए हम उन विश्वासियों के साथ दिल से प्रार्थना करें जिन्होंने वेदी की स्थापना की. उजड़े हुए मंदिर के सामने और दिव्य बलि चढ़ाएं - हे भगवान! 

दक्षिणी दिल्ली में एक चर्च के विध्वंस ने राष्ट्रीय राजधानी में रहने वाले सीरो-मालाबार कैथोलिकों को परेशान कर दिया है.लाडो सराय में लिटिल फ्लावर चर्च के पैरिश पुरोहित फादर जोस कन्नुकुझी ने कहा कि 12 जुलाई की सुबह दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अधिकारी तीन बुलडोजर और करीब 150 पुलिस कर्मियों के साथ आए थे.ध्वस्त करके चले गये. 

लिटल फ्लावर पल्ली के पल्ली पुरोहित फादर जोश कन्नूकुझी ने मैटर्स इंडिया को बतलाया कि 12 जुलाई की सुबह, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अधिकारी तीन बुलडोजर और 150 पुलिस बल के साथ आये थे.फादर ने कहा, "उन्होंने कहा था कि वे सिर्फ गिरजाघर के बगल वाले हॉल को गिरायेंगे. अतः मैंने गिरजाघर से पवित्र वस्तुओं को नहीं हटाया था.जैसे ही सोशल मीडिया द्वारा गिरजाघर गिराये जाने की खबर फैली, पल्लीवासी एकत्रित हो गये और गिरजाघर गिराये जाने का विरोध करने लगे. उसके बाद शाम को मोमबत्ती जुलूस निकाला गया.   

फरीदाबाद सिरो-मलाबार धर्मप्रांत के विकर जेनेरल फादर जोसेफ ओडानट ने कहा कि विध्वंस "हमें वहां से निकालने के लिए स्थानीय प्रशासन और भू-माफियाओं का एक सुनियोजित गुप्त एजेंडा था." उन्होंने दावा किया कि धर्मप्रांत ने 2015 में स्टे ऑर्डर प्राप्त किया था. "हम कानूनी कारर्वाई के साथ आगे बढ़ेंगे." फरीदाबाद के महाधर्माध्यक्ष कुरियाकोस भरानीकुलंगारा ने घटना पर खेद और दुःख प्रकट किया. उन्होंने कहा, "अधिकारियों ने एक धार्मिक स्थान को ध्वस्त कर दिया है और लोगों की भावनाओं को आहत किया है.  

जमीन को 12 साल पहले करीब धार्मिक मकसद के लिए  1,500 स्थानीय काथलिकों के लिए दान किया गया था .मोनसिन्योर ओडानट ने कहा कि नगरपालिका प्रशासन ने विध्वंस का कारण "सरकार की कृषि भूमि का अतिक्रमण" बताया. विकर जेनेरल ने कहा, "हमने जमीन को धार्मिक मकसद के लिए प्रयोग किये जाने को लेकर अधिकारियों से कई बार सम्पर्क करने की कोशिश की थी किन्तु जमीन माफिया इतना मजबूत है कि हम कुछ नहीं कर सके."जिला प्रशासन ने एक बयान में कहा है कि गिरजाघर ग्राम सभा की जमीन पर स्थापित थी जिसे "कुछ लोगों ने धार्मिक संरचनाओं की किस्तों से अतिक्रमण कर लिया था." 

समय के साथ-साथ धार्मिक ढांचे के विस्तार की आड़ में अतिक्रमित क्षेत्र बढ़ने लगा, इसलिए प्रखंड विकास कार्यालय ने अनधिकृत ढांचों को गिराने का प्रयास किया है. इसमें कहा गया है कि मामला पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर "धार्मिक समिति" को स्थानांतरित कर दिया गया था. बयान में आगे कहा गया है कि प्रशासन ने 3 मार्च को होम पुलिस विभाग से ध्वस्त किये जाने के निर्देश पर एक पत्र प्राप्त किया था "भूमि तल के ऊपर के पूरे निर्माण के साथ-साथ जमीन के कुछ हिस्सों को ध्वस्त करने का आदेश दिया था, जहां मूर्तियों को स्थापित नहीं किया गया है अथवा धार्मिक समिति के निर्णय की प्रतीक्षा किए बिना रखा गया है." 

7 जुलाई के एक नोटिस के अनुसार, प्रखंड विकास पदाधिकारी (दक्षिण) के कार्यालय ने "अतिक्रमणकारियों / अनधिकृत कब्जाधारियों" को तीन दिनों के भीतर अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था.हालांकि पास्टर कौंसिल के सदस्य एवं वकील जॉन थॉमस ने कहा कि चर्च ने कभी नोटिस प्राप्त नहीं किया है. 

उन्होंने कहा, "न तो हमें कोई नोटिस दिया गया और न ही जमीन खाली करने का समय. यहाँ तक कि हमें अपनी पवित्र वस्तुओं को हटाने की भी अनुमति नहीं थी.उनके अनुसार गिरजाघर को ध्वस्त किया जाना "पूरी तरह अवैध और गैरकानूनी कार्य है और इसके खिलाफ कानूनी कारर्वाई की जायेगी."  

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