जेल में अनशन कर रहे हैं आनंद मोहन

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जेल में अनशन कर रहे हैं आनंद मोहन

आलोक कुमार 
सहरसा.गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन.वह 2007 से जेल में हैं.17 मई को 14 वर्ष की सजा पूरी हो चुकी है.सजा पूरी होने के 67 दिनों के बाद भी जेल में है.12 सूत्री मांगों को लेकर बाहुबली आनंद मोहन ने साफ कर दिया है कि जब तक सुविधाएं बहाल नहीं हो जाती, तब तक वह अनशन पर बैठे रहेंगे.शुक्रवार से अनशन शुरू कर दिये है.उनको अन्य कैदियों से भी समर्थन मिल रहा है. 
                                                               
सहरसा जेल में बंद पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन जेल में फैली असुविधाओं को लेकर अनशन पर बैठ गए हैं.इसे लेकर उन्होंने जेल आईजी को चिट्ठी भी लिखी है.12 सूत्री मांगों को लेकर अनशन पर बैठ मोहन ने साफ कर दिया है कि जब तक सुविधाएं बहाल नहीं हो जाती, तब तक वह अनशन पर बैठें रहेंगे. 

इसके पूर्व चिट्ठी में कोरोना काल में कैदियों को मेडिकल सुविधा नहीं मिलने और टीकाकरण को भी मुद्दा बनाया है. उन्होंने कहा है कि आंखों के इलाज के अभाव में बंदी बौकू सादा और विनोद यादव अंधे होने की कगार पर हैं. चिट्ठी की प्रतिलिपि को उन्होंने CM नीतीश कुमार को भी भेजा है. 

चिट्ठी में लिखा है- "मंडलकारा के कैदी यहां सालों से व्याप्त समस्याओं के समाधान की अपेक्षा के साथ आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहेंगे. कोरोना संकट के कारण पिछले (मार्च 2020) डेढ़ साल से हम बंदियों की मुलाकात और आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही पर पूर्णतः रोक है. 'ई' मुलाकात और दूरभाष पर भी नियमित बातचीत की व्यवस्था नहीं है. कोरोना संकट के नाम पर खाने-पीने और जरूरी सामान के अंदर आने पर रोक है. ऐसे में हम बंदियों को निर्धारित 'डाइट' में किसी प्रकार की अनियमितता बरतना उचित नहीं है.भीषण गर्मी और क्षमता से अधिक बंदियों के बावजूद वार्डों में पर्याप्त पंखे नहीं हैं.जो हैं, वह खराब है. बंदी अपने निजी खर्च पर पंखों की रिपेयरिंग कराने को मजबूर हैं. कई साल से नए पंखों की खरीद नहीं हुई है.यहां तक कि अन्य वर्षों की तरह हाथ पंखे और मिट्टी के घड़ों की आपूर्ति भी नहीं की गई.बिजली वायरिंग की स्थिति जर्जर है. 'शार्ट सर्किट' के कारण कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है'. 

पूर्व सांसद ने लिखा है कि क्षमता से बहुत कम शौचालय हैं. जो हैं, उसकी स्थिति भी अत्यंत खराब हैं. सभी टंकी फटे और भरे पड़े हैं. टंकियों से जेल की स्थिति अत्यंत दुर्गंधपूर्ण और नारकीय है. बीमारियां भी हो सकती है.पिछले कई वर्षों में आश्वासनों के बावजूद इस जेल में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं की गई. जबकि, प्रदेश के अन्य जेलों में इसके लिए फिल्टर लगाए जा चुके हैं. भीषण गर्मी में सामान्य चापाकल भी खराब हैं. जेल में कोई स्थायी चापाकल मिस्त्री नहीं है.जबकि पूर्व से ऐसी व्यवस्था थी। कीचन की स्थिति भी जर्जर है. 

जेल के कैदियों का जिक्र करते हुए लिखा है कि समुचित दवा और चिकित्सा का घोर अभाव है. महिला बंदी प्रभा देवी की गठिया के प्रकोप से हालत बदतर है. ये सभी दूसरों के सहारे दैनिक नित्य क्रिया संपन्न करते हैं, लेकिन इस ओर प्रशासन का समुचित ध्यान नहीं है.खून-पेशाब की जांच और एक्स-रे का कारा के अंदर कोई व्यवस्था नहीं है. वर्षों से वार्डों में खिड़कियों के पल्ले नहीं हैं. परिणामस्वरूप आंधी, बारिश, गर्मी में लू, जाड़े में ओस-पाले से बंदियों को भीषण कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. 

आनंद मोहन को गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. वह 2007 से जेल में हैं. 17 मई को 14 वर्ष की सजा पूरी हो चुकी है. उनकी रिहाई के लिए समर्थक कई बार सोशल मीडिया पर रिलीज आनंद मोहन, जस्टिस फॉर आनंद मोहन जैसे हैसटैग ट्रेंड करा चुके हैं. 

पूर्व सांसद व राजद की नेत्री लवली आनंद ने सरकार से अनुरोध किया है कि कोरोना महामारी पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार श्री आनंद मोहन जी, जो निर्दोष होने के बावजूद पिछले 14 सालों से जेल में हैं, उन्हें जल्द से जल्द रिहा करें और इन्सानियत के नाते उन्हें घर आने की अनुमति दें.

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