बिहार में दलितों,अति पिछड़ों और अल्पसंख्यकों पर हमले बढे

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बिहार में दलितों,अति पिछड़ों और अल्पसंख्यकों पर हमले बढे

आलोक कुमार 
जहानाबाद.भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने बिहार में दलितों-अतिपिछड़ों-अल्पसंख्यकों पर लगातार हो रहे हमले पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि ऐसा लगता है कि नीतीश राज में गरीबों की जान और इज्जत की कोई कीमत नहीं रह गई है. एक तरफ सामंती अपराधियों का मनोबल बढ़ा है तो प्रशासन व पुलिस के बारे में तो कुछ भी कहना बेमानी है.  

सबसे ताजा घटनाक्रम जहानाबाद के रतनी प्रखंड के परसबीघा थाना क्षेत्र के सरता गांव का है. शराब के बहाने 28 वर्षीय गोविंद मांझी की गिरफ्तारी के 3 दिन बाद ही जेल में उनकी मौत हो गई. जाहिर है कि यह कस्टोडियल मर्डर है. उसी प्रकार भोजपुर में दुल्हिनगंज की घटना के बाद बैशाडी में भाजपा समर्थित सामंती अपराधियों द्वारा कुल्हाड़ी से काटकर विजय कहार (चंद्रबंशी) की नृशंस हत्या का मामला भी सामने आया है.  

माले राज्य सचिव ने कहा है कि ये घटनाएं बताती हैं कि आज बिहार में तथाकथित कानून के राज की धज्जियां उड़ चुकी हैं और पूरा राज्य पुलिस व सत्ता संरक्षित अपराधियों के भय व आतंक के साए में जी रहा है.  भाकपा-माले के अरवल विधायक महानंद सिंह, घोषी विधायक रामबलि सिंह यादव तथा वरिष्ठ माले नेताओं ने आज जहानाबाद के सरता व अन्य गांवों का दौरा किया. माले नेताओं ने कहा कि गोविन्द मांझी की मौत के बाद ग्रामीणों का आक्रोश जायज ही है. ग्रामीणों में इस बात के कारण आक्रोश है कि पुलिस जब चाहे तब, दिन हो या रात बेधड़क उनके घरों में घुस जाती है, दुर्व्यवहार से लेकर मारपीट करती है और उठाकर थाने ले जाती है. पुलिस के इस आचरण के कारण ग्रामीणों का आक्रोश लगातार संगठित हो रहा था. 

गोविन्द मांझी की मौत पुलिस पिटाई और साथ ही इलाज के अभाव के कारण जेल में हुई. इसके कारण पहले से संगठित हो रहा आक्रोश भड़क उठा. उनकी मौत से गुस्साए गरीबों ने जहानाबाद-अरवल मेन रोड को नेहालपुर पहुंचकर जाम कर दिया और दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई व मुआवजा और सरकारी नौकरी की मांग करने लगे. लेकिन दल-बल के साथ पहुंची पुलिस द्वारा कुछ ही देर बाद लाठीचार्ज कर दिया गया और फिर गोली चला दी गई, जिससे भगदड़ मच गई. कई लोग घायल हुए. भगदड़ में महिला सिपाही भी अपनी गाड़ी में चढ़ने के क्रम में गिर गई और गाड़ी से कुचल कर उनकी दुखद मौत हो गई. इसके बाद और भी बड़ी संख्या में पुलिस पहुंच गई और लोगों को खदेड़-खदेड़ कर पिटाई की. लगभग 17 घरों को पूरी तरह से तोड़ दिया गया और सामान बर्बाद कर दिया गया. 5 लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया. आज भी लगभग 10 लोगों को पकड़कर पुलिस थाने पे ले गई. इससे पूरे इलाके में भय और आक्रोश का माहौल बना हुआ है. अभी तक गोविंद मांझी का शव परिजनों को नहीं मिला है. 

भाकपा-माले जांच दल ने सभी गिरफ्तार गरीबों की अविलंब रिहाई, गोविन्द मांझी के परिजनों को सरकारी नौकरी व मुआवजा तथा दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने यह भी कहा कि शराब के नाम पर प्रशासन गरीबों व खासकर मांझी समुदाय के लोगों कोे परेशान करना बंद करे. 

उसी प्रकार, विगत 23 जुलाई की रात्रि में भोजपुर के पीरो थानाअंतर्गत बैशाडी में भाजपा समर्थित सामंती अपराधियों जनार्दन उपाध्याय व अन्य लोगों द्वारा कुल्हाड़ी से काटकर विजय कहार की नृशंस हत्या का मामला भी सामने आया है. उनकी पत्नी निर्मला देवी को उनकी ही साड़ी से उनका हाथ-पैर बांधकर बुरी तरह से पिटाई की गई. इस पिटाई के कारण वे बेहोश हो गईं.  24 जुलाई की सुबह एक बार फिर से इन अपराधियों ने सुमित्रा देवी, इंदू देवी और भुअर रजवार की मार पिटाई शुरू कर दी. सुमित्रा देवी के सिर के पिछले हिस्से में गंभीर चोट आई और आज आरा अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.  

जनदबाव में हत्यारे जनार्दन उपाधयाय की गिरफ्तारी हो चुकी है, अन्य हमलावरों की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हुई है. माले विधायक सुदामा प्रसाद ने मामले की स्पीडी ट्रायल चलाकर सभी अपराधियों को अविलंब दंडित करने की मांग की है. साथ ही यह भी कहा कि इस मामले को विधानसभा में उठाया जाएगा. उन्होंनेे अन्य हमलावरों मनीष उपाध्याय व कमलेश उपाध्याय की भी तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है. इस नृशंस हत्याकांड के खिलाफ माले कार्यकर्ताओं ने आज पीरो-तरारी मार्ग को बैशाडी में 4 घंटों तक सड़क जाम किया. जाम के दबाव में मृतक के परिजन को 20 हजार रुपए का चेक व दाह संस्कार के लिए 3 हजार, इंदिरा आवास और श्रम विभाग से एक लाख रुपए दिलवाने के आश्वाशन के बाद जाम हटा. विधायक सुदामा प्रसाद के अलावा माले नेता संजय, मनीर आलम, नंदकिशोर गुप्ता आदि नेताओं ने इस विरोध कार्यक्रम का नेतृत्व किया. 
 

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