आलोक कुमार
पटना.बिहार में मीसा आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम और डीआईआर (डिफेंस ऑफ इंडिया रूल 1962) के तहत जेल जाने वालों को पेंशन और सम्मान मिल रहा है.1970 के दशक के मध्य में देश में लागू की गई एमरजेंसी के दौरान जेल में बंद किए गए नेताओं के लिए शुरू की गई 10,000 रुपये की मासिक पेंशन योजना के तहत बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने जो अर्ज़ी दी थी, उसे बिहार सरकार ने मंज़ूर कर लिया है.सी0एल0ए0 एक्ट 1942 में गिरफ्तार राजनैतिक बंदियों को भी सम्मानित करने का आग्रह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से किया गया है.
बता दें कि लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की भागीदारी से चल रही जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) की नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने तय किया है कि दो बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके लालू वर्ष 2009 में शुरू की गई 'जेपी सेनानी सम्मान' पेंशन योजना के अंतर्गत पेंशन पाने के हकदार हैं. गौरतलब है कि लालू प्रसाद यादव के अतिरिक्त मौजूदा सीएम नीतीश कुमार भी उन राजनेताओं में शामिल हैं, जो लोकनायक कहे जाने वाले जयप्रकाश नारायण (जेपी) के नेतृत्व में चलाए गए विपक्षी आंदोलन में भाग लेने के चलते एमरजेंसी के दौरान जेल में बंद किए गए थे.
उस समय छात्र नेता रहे लालू प्रसाद यादव को आंतरिक सुरक्षा कानून (मीसा) के तहत जेल में बंद किया गया था, जिसके तहत बहुत-से अन्य विपक्षी नेताओं को भी गिरफ्तार किया गया था. लालू प्रसाद यादव ने बाद में अपनी सबसे बड़ी बेटी का नाम भी मीसा ही रखा था.
राज्य गृह विभाग के अधिकारियों के हवाले से समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने बताया कि लालू प्रसाद यादव 10,000 रुपये की इस पेंशन के हकदार तब बने, जब वर्ष 2015 में योजना में संशोधन किया गया था. संशोधित योजना के अंतर्गत जेपी आंदोलन के दौरान छह महीने तक जेल में बंद रहे नेताओं को 5,000 रुपये मासिक पेंशन दी जाएगी, और उससे ज़्यादा अवधि तक जेल में बंद रहने वाले नेताओं को 10,000 रुपये मासिक पेंशन दी जाएगी.
अधिकारियों ने जानकारी दी कि योजना के अंतर्गत 2681 पेंशनर लाभान्वित हो रहे हैं. राज्य के वरिष्ठ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता सुशील कुमार मोदी भी इस योजना के तहत पेंशन के अधिकारी हैं, लेकिन वह यह रकम नहीं ले रहे हैं.
इस बीच जेपी सेनानी सम्मान पेंशन योजना की दोनों श्रेणियों के कुल 2681 सुपात्रों की पेंशन राशि में वृद्धि का ऐलान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया है. नई घोषणा के मुताबिक अब पांच हजार रुपये मासिक पाने वालों को 7.5 हजार रुपये और 10 हजार पाने वालों को 15 हजार रुपये मासिक मिलेंगे.
जेपी आंदोलन में बिहार के युवाओं ने सबसे ज्यादा बड़ी भूमिका निभायी. इनके योगदान को राजकीय प्रतिष्ठा देने के लिए एनडीए सरकार ने पहले साल पेंशन मद में 1.31 करोड़ रुपये खर्च किये थे वहीं 2020-21 में 23.90 करोड़ खर्च किये गए. सम्मान पेंशन राशि में सरकार ने छह साल बाद दूसरी बार वृद्धि की है. अब तक इस योजना पर कुल 193.77 करोड़ रुपये खर्च हुए.
डीआईआर के तहत जेल जाने वाले विजय गोरैया ने कहा है कि जेपी सेनानियों के सम्मान निधि में वृद्धि के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का शुक्रिया! छह माह से नीचे वाले की राशि पर पुनर्विचार की अपील.
कांग्रेस के नेता विधान पार्षद प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि गरीबों, वृद्धों,महिलाओं,विकलांगो,दलितों को मात्र 400 रुपया का पेंशन, दूसरी तरफ 45 वर्ष पूर्व किये गए जेपी आंदोलन में दो चार महीनों के लिए जेल गए राजनीतिक कार्यकर्ताओं को 7500-15000 रुपये मासिक पेंशन सरकारी धन का दुरुपयोग है @NitishKumar जी,इसे बन्द कीजिये.वहीं उग्रनाथ झा ने कहा कि नीतीश जी JP आंदोलन देश आजादी के लिए नहीं बल्कि राजनीतिक था उसमें शामिल लोगों को पेंशन बंद होना चाहिए.गरीब, बुजुर्ग, विकलांग और महिलाओं को असहाय होने के कारण पेंशन दिया जाता है वोट के लिए नहीं.मंहगाई में ₹400 पेंशन में 4 दिन घर खर्चा नहीं चलेगा इसलिए उनको सही राशि मिलना चाहिए.
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