बिहार में जदयू और भाजपा में शह-मात का खेल जारी

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बिहार में जदयू और भाजपा में शह-मात का खेल जारी

फ़ज़ल इमाम मल्लिक

चुनाव यूं तो उत्तर प्रदेश में है लेकिन सियासत बिहार में भी हो रही है. एनडीए के घटक दलों में शह-मात का खेल जारी है. सियासी बिसात पर चालें चलीं जारहीं हैं. चाल की काट चाल सेकी जा रही है. यूपी में भाजपा में मची भगदड़ के बाद बिहार में जदयू ने अपने सियासी पत्ते खोल कर भाजपा पर दबाव बनाने की कोशिश की है. जदयू यूपी में भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ना चाह रहा है. सीटों की सूची भी जदयू ने भाजपा नेताओं को सौंप दी है. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने ऐलान किया था कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में भाजपा के साथ मिलकर ही चुनाव लड़ेगी. पार्टी ने आरसीपी सिंह को बातचीत का जिम्मा दे रखा है. लेकिन आरसीपी सिंह भाजपा पर दबाव नहीं बना पा रहे हैं. इसके कई सियासी कारण हैं. लेकिन इसका नुकसान जदयू को तो हो ही रहा है, गठबंधन पर भी इसका असर पड़ रहा है.

भाजपा ने जदयू की सौंपी सूची पर अभी मुहर नहीं लगाई है. बातचीत जारी है. माना जा रहा है कि अनुप्रिया पटेल के अपना दल की वजह से भी इसमें अड़चन आ रही है. ऐसा कहा जारहा है. जदयू ने जिन सीटों की सूची सौंपी है, उनमें से कई सीटों पर अपना दल भी चुनाव लड़ना चाह रहा है. वैसे उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में बात बन जाए. लेकिन बिहार में दोनों दल एक-दूसरे पर दबाव बनाने में लगे हैं. इन सबके बीच मामला अटका हुआ है.

यूपी में सीटों को लेकर दोनों ही दलों में फिलहाल बात नहीं बन पा रही है तो अब बिहार में विधान परिषद चुनाव को लेकर सियासी दांव चले जा रहे हैं. जदयू की तरफ से संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कमान संभाली है.

उपेंद्र कुशवाहा बिहार में स्थानीय निकाय कोटे से होने वाले विधान परिषद चुनाव की 24 सीटों में से 12 पर जदयू की दावेदारी ठोक दी है. कुशवाहा ने कहा कि बिहार में एनडीए गठबंधन में भाजपा और जदयू 50-50 के फार्मूले पर चलती रही है और यही फार्मूला विधान परिषद के चुनाव में भी लागू होना चाहिए. विधान परिषद के लिए स्थानीय कोटे से जो सीटें खाली हुईं हैं उसमें से तेरह सीटें भाजपा के पास थीं और आठ जदयू के पास. राजद के दो पार्षद थे और कांग्रेस के एक. अब जदयू लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तरह ही आधे-आधे सीटों के फार्मूले पर चुनाव लड़ना चाह रहा है. फिर एनडीए गठबंधन में शामिल मुकेश सहनी की वीआईपी और जीतन राम मांझी कि हम को भी इसमें जगह देनी है. माना जा रहा है कि जदयू की तरफ से12 सीटों पर दावा कर उपेंद्र कुशवाहा ने भाजपा पर दबाव बनाने की कोशिश की है.

सियासी जानकारों के मुताबिक कुशवाहा ने ऐसा कर भाजपा पर एक अनदेखा दबाव बनाया है ताकि यूपी में सीटों का तालमेल हो जाए. पार्टी के प्रधान महासचिव और यूपी के प्रभारी केसी त्यागी ने भी भाजपा से दो टूक कहा है कि वे जल्द ही तालमेल पर फैसला लें नहीं तो जदयू अकेले चुनाव लड़ेगा. माना जारहा है कि यूपी में पिछड़े नेताओं की भगदड़ के बाद भाजपा ने जदयू की मांग को गंभीरता से लिया है और न सिर्फ यूपी बल्कि बिहार विधान परिषद में भी 12 सीटें उसे देने पर सैधानतिक सहमति दे दी है. वैसे इस मामले पर दोनों दल बहुत ही सतर्क बयान दे रहे हैं. हालांकि दबाव का खेल दोनों तरफ से हो रहा है. भाजपा कितनी सीटें जदयू को देगी, अभी यह साफ नहीं हुआ है लेकिन जो संकेत मिल रहे हैं उसके मुताबिक आठ-दस सीटें भाजपा उसे दे सकती है.



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