आलोक कुमार
पटना.स्वतंत्रता सेनानी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री 17 फरवरी 1988 को कर्पूरी ठाकुर इस दुनिया से विदा हुए थे. उत्तर प्रदेश, बिहार समेत देशभर के नेताओं ने पुण्यतिथि पर कर्पूरी ठाकुर को अपने-अपने तरीके से याद किया है, लेकिन लालू प्रसाद यादव शायद अपने गुरु से जुड़े इस खास दिन को भूल गए हैं. जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की पुण्यतिथि के अवसर पर सीएम जननायक कर्पूरी ठाकुर स्मृति संग्रहालय में आयोजित समारोह में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की. आज पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर की पुण्यतिथि है. पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर की पुण्यतिथि पर जिले में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. जननायक कर्पूरी ठाकुर एक प्रखर स्वतंत्रता सेनानी, कर्मठ शिक्षक, समाज के पुरोधा, स्वच्छन्दवादी पुरूष तथा गरीबों शोषितों व दलितों के अधिकारों के रक्षक और मसीहा रहे हैं. नीति को भी जनसेवा की भावना के साथ जीया. राजनीतिक व सामाजिक कार्यों में इनका योगदान ना केवल बिहार वरण राष्ट्रीय स्तर पर है. इन्होंने अपने कर्मयोग से भारतीय महापुरुषों में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज कराये हैं. कर्पूरी ठाकुर, डाॅ0 लोहिया, जयप्रकाष नारायण, अम्बेडकर आदि की श्रृंखला में अन्तिम कड़ी थे. कर्पूरी ठाकुर ताउम्र गरीबों, असहायों, पिछड़ों व शोषितों के लिए लड़ते रहे. वे सदा समाज के अंतिम पायदान पर रहने वालों के अधिकारों के लिए खड़े रहे. इनका सारा जीवन संघर्षमय रहा. बिहार के सपूत जननायक कर्पूरी ठाकुर आधुनिक बिहार के निर्माताओं में एक हैं. इन्होंने अपना सफर शून्य से प्रारम्भ कर राज्य के सर्वोच्च स्थान को ना केवल प्राप्त किये वरण लोगों के दिलों पर भी राज्य किये और ‘‘जननायक‘‘ कहलाये.
वाहिनी से जुड़े कारू भाई ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर जी एक बार वाहिनी कार्यालय में आये थे. यह बात 1980के बाद की थी. उस समय 12 नम्बर राजेन्द्र नगर पटना में आँफिस था. उस समय कर्पूरी जी विरोधी दल के नेता थे. वे कई नेताओं के साथ आए थे. उनलोगो को यह कहते हुए जीप से वापस भेज दिए,
कि मुझे यहां काफी समय लगेगा. लगभग एक घंटा से भी अधिक रूके और नीचे आकर रिक्शा खोजने लगे. एक रिक्शा चालक जाने के लिए तैयार हुए लेकिन भाड़ा ज्यादा मांग रहा था. वे दूसरे रिक्शा की तलाश करने लगे और उस पर जाने से इंकार कर दिए. फिर हमलोग रिक्शा वाले को समझा कर तैयार किया और राजेंद्र नगर से सचिवालय रिक्शा से अकेले बैठकर गए.
एक बार सचिवालय में मिलने गए साथ में नरेंद्र जी भी थे. उस समय बोधगया में आंदोलन तेज था और पुलिस दमन गांव में तेज था. हमलोग को यह कहकर पुस्तकालय में चले गए कि कल बहस में मुझे अपनी बात रखनी है अतः उससे सम्बन्धित तथ्य और आंकड़े मुझे चाहिए अतः कुछ किताबें ढूंढ ने के लिए चले गए. हम दोनों को वहीं रूकने के लिए कहा. लेकिन वहां से पुलिस हमलोग को बाहर निकाल दिया और हमलोग पैदल उनके फ्लैट की तरफ बढ़ने लगे. हम दोनों को न पाकर अपने फ्लैट से साइकिल से दो लोगों को खोजने के लिए भेज दिए. हमलोग को रास्ते में साइकिल के साथ भेंट हो गए और बताए कि आप दोनों को कर्पूरी जी खोज रहे हैं. हमलोग को उसकमरे में बुलाए जहां उनके अलावे कुछ खास लोगों से बात करते हैं. उन्होंने कहा कि लोग अपने निजी कामों से आते हैं.आपलोग आंदोलन के काम से आए अतः भीड़ में बात नहीं किया अब आप अपनी बात विस्तार से बताएं. करीब एक घंटे तक बात सुनते रहे और दूसरे दिन से पुलिस का दमन भी कम हो गया. जी.
जदयू ने जननायक कर्पूरी ठाकुर की पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया. पार्टी के अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के पूर्व उपाध्यक्ष विनोद कुमार ने कहा उन्हें भारत रत्न देने की मांग दोहरायी. श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद विनोद कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर्पूरी जी के अधूरे सपने को पूरा करने में लगे हैं. पुष्पांजलि अर्पित करने वालों में प्रकाश राम पटवा, लखन स्वर्णकार, राजनंदन कुमार, विकास मांझी, असलम अंसारी, शंभू शर्मा, भरत चंद्रवंशी, रौशन पटेल, पुष्पेंदु पुष्प, भारती प्रियदर्शिनी आदि शामिल रहें.
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