आलोक कुमार
नई दिल्ली.यूक्रेन की सीमाओं पर रूस द्वारा किया जा रहा सैन्य आक्रामकता का प्रदर्शन भारी चिन्ता का विषय है. वर्तमान संकट का हल यूक्रेनी जनता के आत्मनिर्णय के अधिकार का सम्मान करते हुए शांतिपूर्ण तरीके से परस्पर बातचीत के द्वारा किया जाना चाहिए.
इस टकराव के समाधान की दिशा में रूस को यूक्रेन की सीमाओं से अपनी सेनायें तत्काल वापस बुला लेनी चाहिए और रूस एवं अमेरिका व नाटो को यूक्रेन में कोई भी हस्तक्षेप तत्काल बंद कर तनाव को कम करने लिये मिन्स्क—2 समझौते के आधार पर कूटनीतिक समाधान निकालना चाहिए.
हम भाकपा (माले) अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा यूक्रेन को लेकर फैलाये जा रहे युद्धोन्माद की कड़ी भर्त्सना करते हैं. नाटो देशों को पूर्वी यूरोप में पैर पसारने के प्रयासों पर रोक लगानी चाहिए. अमेरिका व ब्रिटेन भले ही नाटो को एक सुरक्षात्मक गठबंधन बताते रहें, सच तो यह है कि अफगानिस्तान, यूगोस्लाविया और लीबिया में पिछले वर्षों में, या उसके पहले ईराक पर युद्ध थोपने में, उनकी कारगुजारियां निस्संदेह साम्राज्यवादी हितों को साधने वाली रही हैं.
हम रूस व यूरोप में चल रहे युद्ध विरोधी आन्दोलनों के प्रति अपनी एकजुटता जाहिर करते हुए वहां चल रहे नये हथियार नियंत्रण समझौतों और उस महाद्वीप में आणविक निशस्त्रीकरण की सभी कोशिशों का समर्थन करते हैं.
इस बीच यूक्रेन और रूस के बीच बढ़ रहे तनाव के बीच एअर इंडिया का एक विमान पूर्वी यूरोपीय देश से करीब 240 भारतीयों को लेकर मंगलवार रात दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरा.उड़ान संख्या एआई 1946 देर रात करीब 11 बजकर 40 मिनट पर यहां इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरी। इसने कीव में बोरिस्पिल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से शाम करीब छह बजे (भारतीय समयानुसार) उड़ान भरी थी.
विमानन कंपनी ने भारतीयों को लाने के लिए एक बोइंग 787 विमान का परिचालन किया, जिसने सुबह यूक्रेन के लिए उड़ान भरी थी। विमान में करीब 240 यात्री सवार थे. यूक्रेन से यहां हवाई अड्डे पर उतरने के बाद एमबीबीएस के एक छात्र ने कहा कि मुझे अपने देश में लौटकर खुशी हो रही है. यूक्रेन में बदलते हालात के बीच भारतीय दूतावास ने हमें देश छोड़ने को कहा था, जिसके बाद मैं अभी भारत पहुंचा.
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