ओम प्रकाश सिंह
अयोध्या. अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद यहां की पावन भूमि खंड-खंड नोची जा रही है. नजूल से लेकर पौराणिक महत्व तक के भूमि की बोली लग चुकी है. जब कभी मामला उठता है तो उसे आस्था के आवरण में ढक दिया जाता है लेकिन जब सत्तापक्ष के सांसद ने ही मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इसकी शिकायत की तो बात बढ़ गई. आस्था का आवरण छोटा पड़ा तो अब बलि के बकरे खोजे जाने लगे, जिनपर कार्रवाई करके बड़े नामों को बचाया जा सके. इसी के तहत कथित भू माफियाओं की एक सूची भी तैराई गई जिसमें छुटभैया भू माफियाओं के नाम हैं. हालांकि वह सूची प्रमाणित नहीं है लेकिन माना जा रहा है कि इसी के सहारे बड़े नामों को बचाया जा रहा है।
अयोध्या में भूमि घोटाला चर्चा में है. सांसद लल्लू सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर एसआईटी जांच की मांग किया है. जांच के संदर्भ में अभी तक मुख्यमंत्री के स्तर से कोई आदेश जारी हुआ हो ऐसा समाचार नहीं है लेकिन घोटाले की बड़ी मछलियों में खदबदाहट जरूर है और उसी के तहत मामले का रुख मोड़ने के लिए विकास प्राधिकरण के एक लेखपाल से कुछ लोगों का नाम वायरल कराया जाता है. मानो ये सब ही राम की अयोध्या का कण-कण बेच रहे हैं.
वायरल सूची में अयोध्या के महापौर, अयोध्या के विधायक, एक पूर्व विधायक और कुछ छोटे बड़े नाम शामिल हैं. कुल मिलाकर चालीस लोगों की लिस्ट है. एक नाम इसमें सुल्तान अंसारी का भी है जो राम जन्मभूमि ट्रस्ट के लिए खरीदी गई जमीन में प्रमुखता से उभरा था. जनमानस में भी चर्चा है कि योगी मोदी राज में कोई लेखपाल, भाजपा के विधायकों व महापौर के खिलाफ इस प्रकार का पत्र कैसे जारी कर सकता है.
यह संयोग है या मुख्यमंत्री योगी की छवि खराब करने की साजिश. कभी कोई मंत्री केंद्र को चिट्ठी लिखता हैं तो कभी कोई मंत्री अपने ही विभाग में हुए ट्रांसफर को लेकर मुख्यमंत्री से विरोध दर्ज कराता है. किसी मंत्री के विभाग में भ्रष्टाचार की पोल खुलती है तो कुछ अधिकारियों को ट्रांसफर करके उस मंत्री को लखनऊ जनपद का प्रभारी ही बना दिया जाता है. गिट्टी चोरी के आरोप में कोई मंत्री कोर्ट से भाग जाता है. यह सब मीडिया की सुर्खियां बनती हैं और फिर दो-तीन दिन बाद इन पर चर्चा और कारवाई यूं गायब होती है जैसे गदहे के सिर से सींग. रामनगरी के भूमि घोटाले को ऐसे ही संदर्भों से जोड़कर जनमानस में सवाल उठ रहा है कि क्या योगीसरकार में घाघों पर कारवाई होगी.
माना जा रहा है कि करोड़ों-अरबों की जमीनों के बड़े-बड़े खेल के मामले में विकास प्राधिकरण ने अपनी काली करतूतों को छुपाने और बड़े-बड़े भूमाफिया घाघों को बचाने के लिए बड़े सलीके से सूची वायरल करवाया है. जिले के बड़े प्रशासनिक अधिकारी इस मसले पर मौन साधे बैठे हैं. घाघों की हिम्मत देखिए कि इतना होने के बाद भी उनके हौसले पस्त नहीं हुए हैं.
विकास प्राधिकरण की ही मिलीभगत से अयोध्या के दुर्गागंज माझा और महर्षि रामायण विद्यापीठ के सामने सैकड़ों एकड़ में धड़ल्ले से अवैध प्लाटिंग की जा रही है और प्राधिकरण मुट्ठी गर्म किए बैठा है. यहां पर हुई प्लाटिंग में किसी का भी कोई ले आउट पास नहीं है. दुर्गागंज माझा में तो दर्जनों बिजली के पोल खड़े कर दिए गए हैं. यहां की प्लाटिंग में बिजली विभाग के ही एक जेई की पूंजी लगी बताई जा रही है. अयोध्या के पूर्व विधायक पवन पांडेय ने विकास प्राधिकरण और नजूल के भूमि घोटाले से संबंधित पटलों को सील करने केलिए मंडलायुक्त अयोध्या को पत्र भी लिखा है.
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