चंचल
राहुल गांधी की भारत जोड़ो पद यात्रा विदेशी मीडिया में छायी हुई है . पद यात्रियों का जन सैलाब , उनके उत्साहित चेहरे , “ वाइड ऐंगल “ में हैं . “ लॉंग शॉट “ में फुटपाथों पर थके बैठे पदयात्री , इंसान की बनायी तमाम ज़ंजीरों को तोड़ कर एक दूसरे से बतिया रहे हैं , झुर्रियों से भरा एक हाथ आगे बढ़ता है -
- नी तन्नीर कुलिपाया ?
- पंजाब मुस्कुराया पानी के लिए पूछ रही है
- हो मासी ! बोलते हुए सरदार ने मासी को अपनी दोनो बाँहों में ले लिया . एक बूढ़ी काया सरदार से चिपट गयी . मिठाई का डिंबा खुल गया . हिंदी , उर्दू ,तमिल , पंजाबी एक डिब्बे में . झुर्रियों वाला हाथ “ तन्नीर “ बाँट दिया . सरदार को एक शब्द मिला है उसे सहेज रहा है - तन्नीर माने जल .
मासी ? तमिल में उलझ गयी . सरदार के बाहों ने अनुवाद कर दिया आ अम मा , या अततयी ! .
पद यात्रा केवल डगर नही नापता , एक जुड़ाव होता है . अपना पन निकल आता है . रंग , जाति , मज़हब , लिंग , औक़ात , उम्र की सारी दीवारें भसक गयी हैं .
राहुल गांधी क्या बोल रहे हैं ? समझ में आ रहा है ?
तमिल किसान है “ हमारे भले के लिए ही बोल रहा होगा . “
दुभाषिया हँस दिया - नेतृत्व के क़द की ऊँचाई यही “भरोसा “ तय करता है .
विदेशी मीडिया यात्रा के साथ चल रही घटनाएँ भी उठाता जा रहा है .
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