नामीबिया से आए चीते

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नामीबिया से आए चीते

आलोक कुमार

श्योपुर.भारत में चीतों का इंतजार खत्म हो चुका है. करीब 11 घंटे का सफर करने के बाद चीते भारत शनिवार की सुबह ग्वालियर पहुंच चुके हैं. पांच मादा और तीन नर चीतों को लेकर विमान ने शुक्रवार रात को नामीबिया की राजधानी होसिया से उड़ान भरी. मॉडिफाइड बोइंग 747 विमान से लाए गए इन चीतों में रेडियो कॉलर लगे हुए हैं. यहां से इन्हें भारतीय वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर के जरिये श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क पहुंचाया गया.इसके साथ ही भारत से 1952 में विलुप्त घोषित हुए चीतों का आगमन 70 साल बाद भारत में हुआ.

अपने जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नामीबिया से आए 8 चीते. जिनमें दो नर चीतों की उम्र साढ़े पांच साल है.दोनों भाई हैं. पांच मादा चीतों में एक दो साल, एक ढाई साल, एक तीन से चार साल तो दो पांच-पांच साल की हैं.चीते की औसत उम्र 12 साल होती है.इन अतिथि चीतों को मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में रखा गया है.इन अतिथियों का स्वागत ताली बजाकर किया गया.


पूर्व केंद्रीय पर्यावरण व वन मंत्री रमेश ने कहा कि वे 25 अप्रैल 2010 को केपटाउन गए थे. यह यात्रा इसी चीता परियोजना का हिस्सा थी. रमेश ने कहा कि आज प्रधानमंत्री द्वारा किया गया तमाशा अनुचित है.यह राष्ट्रीय मुद्दों और भारत जोड़ो यात्रा से ध्यान हटाने का एक और प्रयास है. उन्होंने कहा कि 2009-11 के दौरान बाघों को पहली बार जब पन्ना और सरिस्का अभयारण्य में स्थानांतरित किया गया था तो काफी लोगों ने विलाप करते हुए भविष्यवाणी की थी, लेकिन ये लोग गलत साबित हुए थे.चीता परियोजना को भी लेकर इसी तरह की भविष्यवाणियां की जा रही हैं, लेकिन इसमें शामिल पेशेवर अव्वल दर्जे के हैं, मैं इस परियोजना को शुभकामनाएं देता हूं.‘


कांग्रेस ने ट्वीट में कहा, ‘चीता प्रोजेक्ट’ का प्रस्ताव 2008-09 में तैयार हुआ था. जब मनमोहन सिंह की सरकार थी उस वक्त इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली थी. इसके बाद तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश उस वक्त अफ्रीका के चीता आउट रीच सेंटर गए थे. इस प्रोजेक्ट पर 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई थी. हालांकि यह रोक 2020 में हटाई गई है इसके बाद चीता प्रोजेक्ट अमल में लाया जा सका.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से लाए गए चीतों को छोड़ा है. इस पर कांग्रेस ने पीएम पर आरोप लगाया है कि उन्होंने ‘भारत जोड़ो’ यात्रा से ध्यान भटकाने के लिए यह सब तमाशा किया है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक ट्वीट में कहा कि चीता प्रोजेक्ट में उनके प्रयासों को पीएम ने जिक्र तक नहीं किया. वह शासन में निरंतरता को कभी स्वीकार नहीं करते हैं.


पीएम मोदी ने अपने जन्मदिन पर नामीबिया से लाए गए चीतों के मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि 8 चीते तो आ गए, अब ये बताइए कि 8 सालों में 16 करोड़ रोजगार क्यों नहीं आए? युवाओं की है ललकार, ले कर रहेंगे रोजगार.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से आए चीतों को छोड़ने के बाद देश को संबोधित किया. उन्होंने कहा, दशकों पहले जैव विविधता की सदियों पुरानी जो कड़ी टूट गई थी, आज हमें उसे फिर से जोड़ने का मौका मिला है.आज भारत की धरती पर चीते लौट आए हैं. इन चीतों के साथ ही भारत की प्रकृति प्रेमी चेतना भी पूरी शक्ति से जागृत हो उठी है.


पीएम ने कहा कि मैं हमारे मित्र देश नामीबिया और वहां की सरकार का भी धन्यवाद करता हूं, जिसके सहयोग से दशकों बाद चीते भारत की धरती पर वापस लौटे हैं. उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य रहा कि हमने 1952 में चीतों को देश से विलुप्त तो घोषित कर दिया, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक कोई सार्थक प्रयास नहीं हुआ.आज आजादी के अमृत काल में अब देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है.जब प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण होता है तो हमारा भविष्य भी सुरक्षित होता है. विकास और समृद्धि के रास्ते भी खुलते हैं. पीएम ने कहा कि कूनो नेशनल पार्क में जब चीता फिर से दौड़ेंगे तो यहाँ का पारिस्थितिकी तंत्र फिर से मजबूत होगा और जैव विविधिता बढ़ेगी.


पीएम ने कहा कि कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीतों को देखने के लिए देशवासियों को कुछ महीने का धैर्य दिखाना होगा। इंतजार करना होगा. आज ये चीते मेहमान बनकर आए हैं, इस क्षेत्र से अनजान हैं. कूनो नेशनल पार्क को ये चीते अपना घर बना पाए, इसके लिए हमें इन चीतों को भी कुछ महीने का समय देना होगा. अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन्स पर चलते हुए भारत इन चीतों को बसाने की पूरी कोशिश कर रहा है. हमें अपने प्रयासों को विफल नहीं होने देना है.


इस बीच पीएम मोदी के कार्यक्रम में 70-80 के दशक के कुख्यात डकैत रमेश सिंह सिकरवार भी मौजूद रहेंगे.क्योंकि अपने समय के दस्यु सम्राट रहे रमेश सिंह अब चीता मित्र है. कूनो दौरे के दौरान पीएम चीता मित्रों से मुलाकात करेंगे. इस दौरान यहां रमेश सिंह भी वहां रहेंगे.


दरअसल, श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से चीतों को लाकर बसाया जाएगा. यहां आसपास रहने वाले लोग चीतों से डरकर उन्हें नुकसान न पहुंचाए, इसके लिए सरकार ने यहां 'चीता मित्र' बनाए हैं.कुल 90 गांवों के 457 लोगों को चीता मित्र बनाया गया है. इनमें से सबसे बड़ा नाम रमेश सिकरवार का है, जो पहले डकैत थे और उन पर करीब 70 हत्याओं का आरोप था.


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