नई दिल्ली .एआईकेएससीसी के वर्किंग ग्रुप ने कृषि मंत्री के इस दावे पर आपत्ती जताई है कि सरकार द्वारा मुद्दे विशेषों को हल करने की पेशकश पर किसान यूनियनों ने प्रतिक्रिया नहीं की और पीछे हट गये. वर्किंग ग्रुप ने कहा कि 5 दिसम्बर को सरकार ने अपने सभी विशिष्ट समाधान बहुत विस्तार से समझा लिये थे, इसके बाद जब किसान संगठनों ने साफ तौर पर मांग की कि वे हां करें या ना, तब उपस्थित मंत्रियों ने आपस में बातचीत की और कहा कि वे सरकार में चर्चा करेंगे और फिर वापस आएंगे.
सरकार का यह दावा गलत है कि किसान यूनियनें वार्ता से पीछे हटी हैं और ऐसे समय पर जब वार्ता जारी है तब आन्दोलन तेज नहीं करना चाहिए था. किसानों के संगठन हमेशा ही वार्ता के लिए तैयार रहे हैं और जब भी सरकार ने बुलाया है तो वे पहँुचे हैं. सच यह है कि किसानों की मुख्य मांग कि तीन खेती के कानून और बिजली बिल 2020 वापस लिया जाए, को स्वीकार करने के लिए सरकार तैयार नहीं है और जिद पर अड़ी है.
इस बीच सिंगुर, टिकरी, गाजीपुर, पलवल आदि स्थानों पर चल रहे धरनों में किसानों ने और ज्यादा संख्या में जुटना शुरु कर दिया है. रास्तों में टोल प्लाजा को शुल्क मुक्त करने, जयपुर-दिल्ली हाईवे जाम करने, सभी जिलों में धरने व 14 दिसम्बर के विरोध की तैयारी तेजी से आगे बढ़ रही है. 16 दिसम्बर को कोलकाता में गवर्नर के आवास तक एक बड़ा मार्च निकाला जाएगा. 15 दिसम्बर को मुम्बई में बड़ी रैली की जाएगी.
केन्द्र सरकार ने एक दस्तावेज ‘पुटिंग फामर्स फस्र्ट’ जारी किया है जिसमें कई गलत दावे किये गये हैं. एआईकेएससीसी इसका जवाब और किसानों के मत का स्पष्टीकरण जनता के सामने पेश करेगी.
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