लूसी कुरियन परिचय की मोहताज नहीं

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लूसी कुरियन परिचय की मोहताज नहीं

पुणे.सिस्टर लुसी कुरियन परिचय की मोहताज नहीं हैं.वह सामाजिक कार्यकर्ता, महिला अधिकार कार्यकर्ता, कैथोलिक नन, मैहर नामक गैर सरकारी संस्था की संस्थापक,मानवता और प्रकृति के लिए सेवा के लिए इंटरफेथ एसोसिएशन की संस्थापक के रूप में जानी और पहचानी जाने वाली हैं.वह अनेकों पुरस्कारों से पुरस्कृत और सम्मान से सम्मानित की जा चुकी हैं.सबसे खुशी की बात है कि माहेर की संस्थापिका एवं निदेशिका सिस्टर लुसी कुरियन को उन 100 लोगों की सूची में 12वें स्थान पर रखा है जिन्होंने साल 2020 में दुनिया को अपना विशेष योगदान दिया है.उक्त सूची में संत पापा फ्राँसिस एवं दलाई लामा के नाम भी सूचीबद्ध हैं.भारत की एक काथलिक नन हैं.

सिस्टर लुसी कुरियन मैहर के संस्थापक और निदेशक हैं, जो दुर्व्यवहार और निराश्रित महिलाओं और बच्चों के लिए एक सामुदायिक और इंटरफेथ संगठन है, जिसका मुख्यालय भारत के पुणे में है.सिस्टर लुसी  कुरियन का जन्म 01 जून 1956 (आयु 64) को कोलायड, कन्नूर, केरल में हुआ है. सिस्टर का वेकचलिल कुरियन (पिता) और मारिया कुट्टी (मां) हैं. नारी शक्ति पुरस्कार पॉल हैरिस फेलो - रोटरी इंटरनेशनल,वनिता वूमन ऑफ द ईयर 2016 और

वैश्विक महिला नेतृत्व पुरस्कार 2011 मिला.

बताते चले कि ऑस्ट्रिया की एक पत्रिका ने साल 2020 में संकट के बीच दुनिया को प्रभावित करने वाले 100 लोगों की सूची में भारत की एक काथलिक धर्मबहन को सूचीबद्ध किया है.ओओओएम ने माहेर की संस्थापिका एवं निदेशिका सिस्टर लुसी कुरियन को उन 100 लोगों की सूची में 12वें स्थान पर रखा है जिन्होंने साल 2020 में दुनिया को अपना विशेष योगदान दिया है. सूची में संत पापा फ्राँसिस एवं दलाई लामा के नाम भी सूचीबद्ध हैं.पत्रिका ने भारत की सड़कों के हजारों बच्चों के लिए माहेर संस्था की स्थापना करने वाली सिस्टर कुरियन को एक "नायिका" कहा है.

पत्रिका में कहा गया है कि 2020 एक ऐसा साल रहा, जैसा किसी ने उम्मीद नहीं किया था. "दुनिया 12 महीने पहले आज से अलग थी. साल 2020 के संकट में किन लोगों ने हमें सबसे अधिक प्रेरित और उत्साहित किया? बेहतर भविष्य के रास्ते में हम किसे अपना अगुआ मानें? यह पाँचवी बार है जब ओओओएम ने विश्व के सबसे प्रेरणादायक 100 लोगों की सूची तैयार की है.ओओओएम की स्थापना 2008 में हुई है जो वियना, ऑस्ट्रिया में स्थित एक प्रमुख जनसंपर्क, संचार, बाजार और ब्रांड विकास कंपनी है.

सूची में सबसे ऊपर उगर साहिन का नाम है जो एक जर्मन वैज्ञानिक हैं जिन्होंने कोविड-19 वैक्सिन को विकसित करने में सह-संस्थापक की भूमिका निभायी है तथा बियोनटेक के सी ई ओ के रूप में विश्व को एक नई आशा प्रदान की है.उनका टीका वायरस के खिलाफ जंग में एक महत्वपूर्ण घटक है जो पहले ही 1.7 मिलियन जीवन ले चुका है.

सिस्टर कुरियन हॉली क्रोस ऑफ चावानोड की सदस्य हैं जिन्होंने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में गरीबी में जी रहे लोगों के लिए आश्रय का निर्माण किया है. उनका मानना है कि जाति और धर्म पर ध्यान दिये बिना सभी लोगों को बचाना, ख्रीस्त के द्वारा मनुष्यों के लिए ईश्वर के प्रेम को दर्शाने का उत्तम रास्ता है.इसके पहले वर्तमान में ‘माहेर’ में 43 घर हैं, जहां महाराष्ट्र, केरल और झारखंड की महिलाओं को पनाह मिली हुई है. देशभर से यह 300 महिलाओं, 860 बच्चों और 72 पुरुषों का आशियाना है.


अब तक माहेर 7 हजार से भी अधिक महिलाओं और बच्चों को शरण दे चुका है.माहेर में 13 किंडरगार्टन, 11 ट्यूशन क्लासें और 552 सेल्फ हैल्प ग्रुप हैं, जो गांवों में जागरुकता फैलाने की दृष्टि से ग्रामीणवासियों को कन्या भ्रूणहत्या, एड्स के प्रति और लिंग आधार जैसे मुद्दों पर सजगता प्रदान करते हैं.


सिस्टर लुसी को कई नेशनल और इंटरनेशनल पुरस्कार मिल चुके हैं। उनका माहेर अमीर खान के ‘सत्यमेव जयते’ में भी दिखाया जा चुका है। मार्च 2016 में सिस्टर लूसी को देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ मिल चुका है.


अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन द्वारा भी उन्हें साधुवाद पत्र प्राप्त हो चुका है.इसी साल मई में माहेर को यूनाइडेट नैशंस इकोनोमिक एंड सोशल कौंसिल में ‘स्पैशल कंसल्टैटिव’ का दर्जा प्राप्त हुआ है.

उन्होंने कहा कि कोविड-19 लॉकडाऊन उनकी संस्था के लिए एक बड़ी चुनौती थी. उन्होंने बतलाया कि 25 मार्च को भारत में जब लॉकडाऊन शुरू हुआ तो करीब 40 महिलाएँ जिनमें कुछ अपने बच्चों के साथ थीं, आश्रय की खोज में माहेर पहुँचीं. सिस्टर कुरियन ने कहा, "इस अवधि में किसी भी बाहरी खतरे से हमारी रक्षा करने हेतु हमें चार तरह से लोगों की देखभाल करनी पड़ी- शारीरिक शक्ति, भावनात्मक शक्ति, मानसिक शक्ति और आध्यात्मिक शक्ति के द्वारा."


उन्होंने बतलाया कि उनकी टीम ने 25,000 से अधिक अप्रवासी मजदूरों को भोजन खिलाया जो लॉकडाऊन में फंसे हुए थे. करीब 6000 कमजोर परिवारों को मास्क, सेनिटाईजर और मेडिकल सहायता प्रदान की गई. इसके साथ ही 21 गाँवों का दौरा कर 4000 लोगों की मदद की गई.


माहेर अपनी उदार सेवा के लिए जानी जाती है.महामारी के दौरान पुलिस ने 6 महिलाओं को शेल्टर हॉम में लाया जिनके साथ बलात्कार हुआ था और वे गर्भवती हो गयी थीं.उसी तरह 20 बच्चों को भी लाया गया जिन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया था.माहेर ने तालाबंदी के दौरान दो मानसिक स्वास्थ्य कार्यशालाएँ भी कीं, क्योंकि वे महिलाओं और बच्चों के बीच मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को लेकर चिंतित थे.

सिस्टर लुसी कुरियन 20 महिलाओं के बीच एकमात्र काथलिक थीं, जिन्हें भारत सरकार ने नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया है, जिन्हें समाज में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए 8 मार्च, 2016 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, के अवसर पर महिला सशक्तिकरण पुरस्कार प्रदान किया गया था.


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