नौ दिन में ही फैसला सुना कर इतिहास बना दिया

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नौ दिन में ही फैसला सुना कर इतिहास बना दिया

आलोक कुमार

नालंदा.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला नालंदा है. इस जिला में छह साल की बच्ची के साथ रेप की घटना हुई थी.उक्त छह साल की बच्ची संग दुष्कर्म मामले में त्वरित फैसला सुनाकर इतिहास रचा गया है. जिला किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्र ने दुष्कर्म मामले में त्वरित फैसला महज नौ दिन में सुना दिया है.इस तरह के त्वरित फैसला सुनाने में बिहार में पहला और देश में दूसरा प्रदेश बन गया है.पहला मध्यप्रदेश है जो कटनी में महज 7 दिनों में इस तरह का फैसला सुनाया गया था.

प्राप्त जानकारी के अनुसार सूबे में संभवत:सजा मिलने का यह पहला मामला है.यह घटना बिहार के नालंदा में हुई थी. इस मामले में अभियोजन के तरफ से 8 गवाह और बचाव पक्ष से दो गवाहों का परीक्षण किया गया.जिला किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्र ने 6 साल की बच्ची संग दुष्कर्म मामले में त्वरित फैसला सुनाकर इतिहास रच दिया.सूबे में संभवत: महज 9 दिन में किसी दुष्कर्मी को सजा मिलने का यह पहला मामला है.वह भी तब जबकि घटना के वक्त आरोपी की उम्र 15 साल 10 माह थी और किशोर होने के कारण उसे कानूनन कई रियायत मिली हुई हैं. कोर्ट में 18 जनवरी से मामले की सुनवाई शुरू हुई थी.अपराध की जघन्यता को देखते हुए मामले की लगातार सुनवाई की गई और 28 जनवरी को सजा सुना दी गई. बीच में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस का अवकाश भी था.


अभियोजन पक्ष ने बताया कि किशोर आरोपी को भदस की धारा 376, 377 व पाक्सो अधिनियम की धारा 4 व 6 के तहत दोषी करार देकर तीन तीन वर्ष कारावास की सजा दी गई है.सभी सजाएं साथ- साथ चलेंगी. आरोपी को सजा की अवधि तक पटना के विशेष गृह में रखा जाएगा. घटना बीते साल 26 जुलाई की है. इस मामले में महिला थाने में केस दर्ज हुआ था.आरोपी किशोर उसी वक्त से बिहारशरीफ पर्यवेक्षण गृह की निगरानी में रखा गया था.



अभियोजन पक्ष ने बताया कि आरोपी के आचरण से गांव वाले पहले से खफा थे.वह पहले भी गांव की दो किशोरियों के साथ गलत हरकत कर चुका था.लोक-लिहाज के कारण मामला डांट-फटकार व माफी के बाद रफा-दफा कर दिया गया था.तीसरी बार आरोपी ने हद कर दी और पड़ोस की मासूम बच्ची के साथ जघन्य कृत्य कर डाला. प्रमाण सामने था, बच्ची दर्द से लगातार चीख रही थी और उसे रक्तस्त्राव हो रहा था. यह देख ग्रामीणों ने आरोपी को खुद पकड़ा और पुलिस को बुलाकर हवाले कर दिया.बाद में फोरेंसिक रिपोर्ट भी कुकर्म के साक्ष्य की सत्यता प्रमाणित हो गई.



पीड़िता की मासूमियत का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिसने उसे इतनी पीड़ा दी, उसे वह वकील के पूछने पर भी काका कहकर संबोधित कर रही थी.बताया था कि उस दिन वह वह मम्मी-पापा को ढूंढ रही थी, इसी बीच बगल के काका आए और मां के पास ले जाने को कहकर उसे गोद में उठाकर ले गए थे.फिर मासूम ने कोर्ट में जो बयां किया, उसे लिख पाना संभव नहीं.अंत में कहा कि काका ने बहुत दर्द दिया, खून बहने लगा, वह चिल्लाने लगी तो वह छोड़कर भाग निकले.मासूम की आपबीती यह बताने को काफी थी कि विकृत मानसिकता वाले समाज में अब बेटियां कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं.

मामले के विचारण के दौरान पता चला कि आरोपी किशोर मोबाइल पर पोर्न फिल्म देखने का आदी था. इसी कारण उसकी मानसिकता विकृत हो गई थी. नाते-रिश्ते व पड़ोसी धर्म का बोध भी उसे नहीं रह गया था.इसी कारण उसने गांव में ही लगातार तीन शर्मशार करने वाली घटनाओं को अंजाम दे डाला.मनोविज्ञान के प्रोफेसर अरविद ने कहा कि किशोर उम्र में एंड्रायड फोन देना कितना खतरनाक हो सकता है, यह उसका बड़ा उदाहरण है.अभिभावकों को इसके लिए सतर्क रहना होना.


मामले के विचारण के तहत अभियोजन से कुल 8 व बचाव पक्ष से दो साक्षियों का परीक्षण लगातार ट्रायल के तहत किया गया.9 दिनों के स्पीडी ट्रायल में कोर्ट नतीजे पर पहुंच गई और फैसला सुना दिया.सदस्य धर्मेन्द्र कुमार ने कार्यों में सहयोग किया.बचाव पक्ष ने दुर्भावना के तहत दुष्कर्म का आरोप लगाने की दलील दी थी. परंतु इसका कोई प्रमाण साबित नहीं हुआ.

मप्र सरकार के विशेष अधिनियम 2018 के तहत नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में महज पांच दिन में सुनवाई पूरी करते हुए फांसी की सजा देने का देश में संभवत: अपनी तरह का यह पहला मामला है.

कोतवाली थाना अंतर्गत पांच वर्षीय बच्‍ची के परिजन ने 6 जुलाई की रात थाने में शिकायत की थी कि उनकी बधी के साथ 4 जुलाई को स्कूल ले जाते समय ऑटो चालक राजकुमार कोल (34) ने सूने इलाके में दुष्कर्म किया.


ऑटो चालक को धारा 376 (2 आई) व पॉक्सो एक्ट के तहत 7 जुलाई को गिरफ्तार किया गया.पुलिस ने मामले की डायरी 12 जुलाई को कोर्ट में पेश की थी. 23 जुलाई से मामले की सुनवाई शुरू हुई. षष्ठम अपर सत्र न्यायाधीश माधुरी राजलालजी ने पांच दिन चली सुनवाई के बाद शुक्रवार को फैसला सुना दिया.पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी हनुमंत किशोर शर्मा और डीएस तारम ने की.



मामले में 12 जुलाई को कोर्ट में चालान पेश किया गया. उसी समय कोतवाली थाना प्रभारी शैलेष मिश्र ने कोर्ट से निर्धारित समय सीमा में सुनवाई की गुहार की.कोर्ट ने भी सुनिश्चित करने को कहा वारंट जारी होते ही सारे गवाह कोर्ट में मौजूद रहे.इसमें सबसे खास बात यह रही कि पुलिस के आग्रह पर सभी गवाह निर्धारित दिनों में गवाही देने पहुंच गए.कोर्ट ने तीन दिन तक इस मामले की सुनवाई के अतिरिक्त किसी अन्य मामले की सुनवाई नहीं की.


टाइम लाइन


- 4 जुलाई को ऑटो चालक ने मासूम बच्‍ची से दुष्कर्म किया.


- 6 तारीख को पीड़िता के परिजन ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई.


- 7 जुलाई को आरोपित को पुलिस ने गिरफ्तार कर न्यायालय में किया पेश। जहां से उसे जेल भेज दिया गया.


- 12 जुलाई को पुलिस ने मामले की डायरी न्यायालय में पेश की थी.


- 23, 24-25 जुलाई को डॉक्टर, पुलिस, पीड़िता, पीड़िता के परिजन की गवाही व आरोपित युवक के बयान दर्ज किए गए। इस दौरान कुल 21 गवाहों के बयान हुए.


- 26 को मामले की सुनवाई पूरी हुई.


- 27 जुलाई को आरोपित युवक को फांसी की सजा सुनाई गई.


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