हिसाम सिद्दीकी
नई दिल्ली. मगरिबी बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पद्दुचेरी चार प्रदेशों और एक यूनियन टेरिटरी के असम्बली एलक्शन में बीजेपी की हालत बहुत कमजोर है. इसका अंदाजा हो जाने की वजह से वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी समेत बीजेपी के तमाम लीडरान ‘आव-बाव’ बकने लगे हैं. जालसाजी भी बड़े पैमाने पर हो रही है. सात मार्च को वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी ने कोलकाता के परेड मैदान में एक रैली की जिसमें बमुश्किल बीस हजार लोग आए, वह भी बीजेपी के जरिए लगाई गई बसों में सवार होकर, खुद से आने वालों की तादाद तो शायद दो-तीन हजार ही होगी. भीड़ कम देखकर बीजेपी ने एक बड़ी जालसाजी की, तमिनाडु बीजेपी के तर्जुमान (प्रवक्ता) एस जे सूर्या ने तीन फरवरी 2019 की सीपीएम की इसी मैदान में हुई रैली की तस्वीर के साथ मोदी की तस्वीर फिट करके ट्वीट और सोशल मीडिया के दूसरे प्लेटफार्म पर जारी कर दी. लेफ्ट फ्रण्ट की उस रैली में पूरा परेड मैदान खचाखच भरा था इसलिए सूर्या ने वह फोटो मोदी के साथ लगाकर ट्वीट कर दिया. सूर्या के बाद झारखण्ड बीजेपी के इंचार्ज भानुजालान के अलावा पंजाब और दिल्ली बीजेपी ने भी वही तस्वीर वायरल कर दी. चूंकि सोशल मीडिया में जालसाजी जल्दी पकड़ में आ जाती है इसलिए इस फोटो की जालसाजी भी उसी दिन शाम तक पकड़ में आ गई तो बीजेपी वालों ने खामोशी अख्तियार कर ली. परेड मैदान में मामूली भीड़ वाली मोदी की रैली की तस्वीर जारी करने की हिम्मत बीजेपी नहीं कर पाई.
असम में कांग्रेस ने बदरूद्दीन अजमल की आल इंडिया यूनाटेड डेमाक्रेटिक फ्रण्ट (एआईयूडीएफ) समेत तकरीबन आधा दर्जन छोटी-छोटी पार्टियों के साथ एलक्शन से पहले ही गठजोड़ कर लिया है. इस गठजोड़ के सामने बीजेपी कहीं टिक नहीं पा रही है. हालांकि एलक्शन में जाने वाली पांचों रियासतों में एक असम ही है जहां बीजेपी की सरकार है. वह सरकार भी हाथ से जाती दिख रही है. अब बीजेपी ने फिरकावाराना कार्ड खेलते हुए असम में यह मुहिम शुरू कर दी है कि अगर कांग्रेस के साथ अजमल की पार्टी जीत गई तो वह बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिग्या मुसलमानों को लाकर पूरे असम में बसा देगी. बदरूद्दीन अजमल ने इस इल्जाम का जवाब देते हुए कहा कि शिकस्त के खौफ की वजह से बीजेपी लीडरान इस किस्म की इल्जाम तराशी कर रहे हैं. कांग्रेस जनरल सेक्रेटरी प्रियंका गांधी वाड्रा ने असम की अपनी पहली ही पब्लिक मीटिंग में एलान कर दिया कि अगर असम में कांग्रेस की सरकार बनती है तो प्रदेश में एनआरसी और शहरियत तरमीमी कानून (सीएए) नहीं लगाने दिया जाएगा. उनके इस एलान का असम के हिन्दुओं और मुसलमानों दोनों पर बहुत गहरा असर पड़ रहा है.
तमिलनाडु के सिलसिले में अब तक जितने भी सर्वे हुए हैं सभी का नतीजा एक ही है कि तमिलनाडु में डीएमके और कांग्रेस का गठजोड़ स्वीप कर रहा है. दो सौ चौंतीस (234) सीटों वाली असम्बली में इस गठबंधन को एक सौ सत्तर से एक सौ अस्सी (170-180) सीटें मिलने के इमकान बताए गए हैं. कांग्रेस सदर सोनिया गांधी ने तमिलनाडु के साथ गठबंधन करने में इंतेहाई सियासी समझ का सबूत दिया और 234 में से सिर्फ 25 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार उतारने के लिए रजामंद हो गई. जबकि पिछले एलक्शन में कांग्रेस को इक्तालीस सीटें मिली थी. जिनमें सिर्फ आठ उम्मीदवार जीत कर असम्बली पहुचे थे. सोनिया गांधी ने असम्बली की सीटें तो पच्चीस ही मान ली लेकिन यह भी तय कर लिया कि नतीजे कुछ भी हों राज्य सभा के लिए कांग्रेस को दो सीटें चाहिए. एम के स्टालिन इसपर राजी हो गए और कन्याकुमारी लोक सभा को जो बाई एलक्शन होना है वह सीट भी कांग्रेस को दे दी. दूसरी तरफ बीजेपी को आल इंडिया अन्ना डीएमके के गठबंधन में बीस सीटें मिली हैं. हालांकि पार्टी का मतालबा साठ सीटों का था. बीस में दो सीटें जीत जाएं तो बहुत बड़ी बात होगी.
केरल में तमाम कोशिशों के बावजूद बीजेपी अपने पैर नहीं जमा पाई है. मौजूदा असम्बली में बीजेपी का सिर्फ एक एमएलए है. अब बीजेपी अट्ठासी (88) साल के ई श्रीधरन को अगला चीफ मिनिस्टर प्रोजेक्ट करते हुए एलक्शन में उतरी है. श्रीधरन और बीजेपी दोनों ही इस गलत फहमी में हैं कि मेट्रो बनाने में कामयाबी हासिल करने वाले श्रीधरन सियासत में भी कामयाब होंगे और केरल के 140 मेम्बरान की असम्बली में अभी तक एक मेम्बर वाली पार्टी को अस्सी से सौ तक सीटें जितवा देंगे. हालांकि केरल से मिलने वाली खबरों के मुताबिक श्रीधरन का खुद अपनी सीट जीतना मुश्किल है. बीजेपी इससे पहले क्रिकेट में चोरी और गद्दारी करने का इल्जाम झेल चुके श्रीसंथ को भी मैदान में उतार कर देख चुकी है. जो बुरी तरह हार गए थे. एक जमाने से केरल में यह होता आया है कि वहां एक बार लेफ्ट डिमाक्रेटिक फ्रण्ट तो दूसरी बार कांग्रेस कयादत वाले यूनाटेड डिमाक्रेटिक फ्रण्ट की सरकार बनती है. मौजूदा सरकार चूंकि सीपीएम की कयादत वाले एलडीएफ की है इसलिए अगली बार कांग्रेस कयादत वाले यूडीएफ के जीतने के भरपूर इमकान है.
पुद्दुचेरी में तीस सीटें है. दस साल से वहां कांग्रेस की सरकार थी. एक महीना पहले ही बीजेपी ने पांच मेम्बरान असम्बली को खरीद कर सरकार गिरवा दी थी. इस बात का असर अवाम पर भी है. क्योकि इस यूनियन टेरिटरी के आम लोग मेम्बरान असम्बली के बिकने और खरीदे जाने को बहुत बुरा समझते हैं. इसलिए तवक्को यही है कि कांग्रेस दोबारा सोलह से अट्ठारह सीटें जीतकर वहां फिर से अपनी सरकार बना लेगी.
मगरिबी बंगाल को वजीर-ए-आजम मोदी ने अपनी अना का सवाल बना लिया है. इसलिए वह वजीर-ए-आला और टीएमसी चीफ ममता बनर्जी पर तरह-तरह के सतही इल्जामात खुद भी लगा रहे हैं और पार्टी के दूसरे लीडरान से भी लगवा रहे हैं. वह इस हद तक शिकस्त के खौफ और मायूसी का शिकार हैं कि ‘मैं’ पर उतर आए हैं. मगरिबी बंगाल में एलक्शन का एलान होने के बाद वह रैलियां कर चुके हैं. दोनों में यह गिनवाते हैं कि ‘मैंने’ मगरिबी बंगाल के लिए क्या-क्या भेजा और ममता बनर्जी ने उसे अवाम तक पहुचने नहीं दिया. सात मार्च को परेड मैदान की रैली में उन्होने फिल्मों के एक दगे हुए कारतूस समझे जाने वाले मिथुन चक्रवर्ती को बीजेपी में शामिल किया तो नक्सली से फिल्म अदाकार मार्क्सवादी और टीएमसी बनने वाले मिथुन चक्रवर्ती जैसे पागल हो गए. उन्होने कहा कि वह कोबरा (नाग) हैं वह पानी वाला सांप नहीं हैं जिसे डस लेंगे या फुफकार मार देंगे वह श्मशान के रास्ते तस्वीर में तब्दील हो जाएगा. मिथुन ने इसी तरह की बातें पहले भी की थी लेकिन खुद को कोबरा या सांप नहीं बताया था. अब बीजेपी में चले गए हैं तो कोबरा बन गए हैं. जाहिर है उनके अंदर नफरत का ही जहर भर चुका है. लेकिन असम्बली एलक्शन में यह जहर भी बीजेपी के काम आने वाला नहीं है.जदीद मरकज़
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