आशा कार्यकर्ताओं की हड़ताल समाप्त

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

आशा कार्यकर्ताओं की हड़ताल समाप्त

आलोक कुमार 
पटना.बिहार में दो दिवसीय आशा कार्यकर्ताओं की हड़ताल समाप्त हो गयी.अभी तो ये अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है.1 हजार में दम नहीं और 21 हजार से कम नहीं आदि नारा लगाते रहे.धरना के दौरान आशा कार्यकर्ताओं ने निराश होकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की।  

बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ की अध्यक्ष शशि यादव ने कहा "आशा कर्मी लंबे समय से जनहित में काम कर रहीं हैं. कोरोना काल में भी उन्होंने काफी बेहतर काम किया है. इसके बावजूद सरकार का उनके प्रति रवैया काफी नकारात्मक है. सरकार आशा कर्मियों का मानदेय 1 हजार से बढ़ाकर 21 हजार करे.उसके हिसाब से उन्हें मानदेय नहीं मिला."आशा कर्मियों ने राज्यव्यापी दो दिवसीय हड़ताल की घोषणा की थी जो काफी सफल रहा.  

उन्होंने कहा कि अगर सरकार उनकी 17 सूत्री मांगों पर विचार नहीं करती है तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को बाध्य हो जाएंगे.उनकी मांगों में वैक्सीन कुरियर संघर्ष समिति के अनिश्चितकालीन हड़ताल के दौरान किए गए समझौते को लागू करना, ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्रों पर स्वास्थ्य मित्र का पद सृजित कर कुरियरों को नियोजित करना, आशा, ममता संविदा कर्मी की तरह मृत्यु के पश्चात कुरियरों के आश्रितों को चार लाख रुपये का अनुदान सुनिश्चित करना, लॉकडाउन की अवधि के प्रोत्साहन राशि का भुगतान करना, वैक्सीन कुरियरों को मजदूर का दर्जा देना, उनके कार्य की उपलब्धता की गारंटी देना इत्यादि शामिल है. 

बता दें कि राज्य की आशा अन्य राज्यों की तरह मासिक मानदेय के भुगतान सहित अन्य मांगों की पूर्ति के लिए एक दिसंबर 2018 से 7 जनवरी 2019, 38 दिन तक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर थी. उस दौरान विभाग के प्रधान सचिव के स्तर पर कई बार हुई वार्ता और 17 बिंदुओं पर द्विपक्षीय सहमति के बाद हड़ताल समाप्त हुई थी.डेढ़ वर्ष बीत जाने के बावजूद भी सभी आशा का इसका भुगतान शुरू नहीं किया गया.इसको लेकर आशा कार्यकर्ताओं द्वारा दो दिवसीय हड़ताल की जा गयी थी. गुरुवार को प्रथम दिन सभी प्रखंडों के पीएचसी पर आशा ने धरना दिया था.शुक्रवार को भी सभी पीएचसी पर आशा ने धरना जारी रखा. 

गौरतलब है कि आशा का काम किसी स्‍वास्‍थ्‍यकर्मी से कम नहीं है.आशा कार्यकर्ताओं की नेता शशि यादव ने कहा कि सरकार अपना अड़ियल रवैया नहीं छोड़ रही है, वार्ता की पेशकश भी नहीं की.25-26 मार्च के राज्यव्यापी हड़ताल के बाद भी यदि सरकार तब भी हमारी मांगों पर विचार नहीं करती है तो हम अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होंगे. हम सरकार के विश्वासघात को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे. 


बता दें कि बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ सम्बद्ध एक्टू/गोप गुट के नेतृत्व में  25-26 मार्च को दो दिवसीय हड़ताल में सैकड़ों पीएचसी पर हजारों आशा कार्यकर्ताओं ने भाग लिया.आशा कार्यकर्ता संघ की अध्यक्ष शशि यादव ने कहा कि सैकड़ों पीएचसी के चिकित्सा प्रभारी  हड़ताली आशाओं के बीच आश्वासन दिए कि जल्द से जल्द लंबित बकाया भुगतान किया जाएगा, साथी आशाओं के लिए पीएचसी में एक कमरा आशा भवन के रूप में आवंटित किया जाएगा.ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की रीढ़ आशाओं को मासिक मानदेय नही देना श्रम कानूनों का बड़ा उलंघन है.1000 रु में दम नहीं 21 हजार से कम नहीं. 

उन्होंने कहा कि दोनों दिन कैमूर, रोहतास, पटना, जहानाबाद,नालंदा,मुज़फ़्फ़रपुर,खगड़िया,मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी,पूर्वी चंपारण,पश्चिम चंपारण, समस्तीपुर सिवान, गोपालगंज, सुपौल, मुंगेर, नवादा, हाजीपुर,औरंगाबाद, पूर्णिया,कटिहार , भोजपुर, बक्सर , अरवल , शिवहर,मधेपुरा , बांका आदि जिलों में सैकड़ों पीएचसी में आशाओं ने हड़ताल आयोजित कर काम ठप्प रखा था. बिहार व भारत बन्द में भी आशा कार्यकर्ताओं ने समर्थन करते हुए भाग लिया. 

विदित हो कि पिछले दिनों आशाओं ने विधानसभा के समक्ष दो दिनों का महाधरना आयोजित किया था.उनकी मांगों की अनुगूंज विधानसभा में भी हुई थी और भाकपा माले सहित अन्य विधायकों ने उन्हें मासिक मानदेय देने की मांग की थी.दो दिवसीय हड़ताल समाप्त हुई कल से आशा कार्यकर्ता काम पर लौट जाएंगी.लेकिन यदि  सरकार हमारी मांगें नहीं मानी तो अनिश्चित कालीन हड़ताल भी किया जाएगा। जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी. 
       

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :