नेताजी की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं अखिलेश

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नेताजी की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं अखिलेश

डॉ  सुनीलम 
 समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी का आज जन्मदिन है. अखिलेशजी से मुझे पहली बार नेता जी ने मुख्यमंत्री निवास पर मिलवाया था, तब वे छात्र थे. नेताजी ने मिलवाते हुए कहा था कि डॉ सुनीलम बहुत विद्वान है, इन्होंने डी -लीट किया है, बहुत संघर्ष करते हैं. आगे जब नेता जी ने कहा कि कभी इनके साथ मध्य प्रदेश जाना ,तब वहां उपस्थित प्रो. रामगोपाल यादव जी ने कहा था कि जब भी मध्यप्रदेश जाओ बचकर जाना, नहीं तो पुलिस से हाथ-पैर तुड़वाकर आओगे. बाद में ऐसी स्थिति बनी, जब मेरे आमंत्रण पर  अखिलेश जी भोपाल आए. भोपाल में बेरीकेट पार करते हुए हवा में उछलता हुआ उनका फोटो पूरी दुनिया में  रायटर्स द्वारा प्रकाशित हुआ. हमें एक साथ भोपाल में गिरफ्तार किया गया. 
     मुझे याद है सपा के आगरा अधिवेशन में जब मै अखिलेश जी के साथ मंच पर एक ही कुर्सी पर बैठा था, तब अडानी के गुंडों के द्वारा मुझ पर हमला किए जाने के कारण मेरे हाथ में लगे प्लास्टर  पर हस्ताक्षर करके अखिलेश जी ने कहा था कि जब हम कॉलेज में पढ़ते थे सब किसी साथी के हाथ  पर प्लास्टर चढ़ता था तब सब साथी प्लास्टर पर हस्ताक्षर करते थे. उन्होंने अन्य नेताओं के हस्ताक्षर भी प्लास्टर पर करवाये थे.अखिलेश जी ने नेताजी से बहुत कुछ सीखा है. वे पार्टी के पुराने साथियों का पूरा सम्मान करते हैं तथा अध्यक्ष होने के बावजूद पुराने साथियों की बातों को गंभीरता से लेते हैं. 
      जब मुलताई गोलीकांड के फर्जी प्रकरण में मुझे षडयंत्र पूर्वक  सजा करा दी गई तब उन्होंने जमानत के लिए आर्थिक मदद भी मुझे भेजी थी. जब उन्हें पता चला कि मैंने अपनी पुरानी जीप बार-बार खराब होने के कारण बेच दी है तब उन्होंने मेरे लिए नई गाड़ी का इंतजाम किया.  
      पिछले विधानसभा चुनाव में मैंने उत्तर प्रदेश में एक महीने पार्टी का प्रचार किया था. बनारस की सभाओं में मैं उनके साथ था. मध्यप्रदेश में जब विधानसभा चुनाव हुए थे तब उन्होंने मध्यप्रदेश में कई साथियों को मेरे सुझाव पर सपा का चुनाव चिन्ह भी आवंटित किया. जिसमें पृथ्वीपुर जैसी महत्वपूर्ण सीट भी शामिल थी. पिछले लोकसभा चुनाव में मैं सपा प्रत्याशी, पुराने समाजवादी साथी कंकर मुंजारे के प्रचार में एक महीने सिवनी में था. तब भी मैंने अखिलेश जी के साथ सभा को संबोधित किया था.  
      हाल ही में अखिलेश जी के नेतृत्व में सपा ने जब स्थानीय निकायों के चुनाव में उत्तर प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त किया तभी से उन्हें भावी मुख्यमंत्री के तौर पर देखा जाने लगा है. अखिलेश जी ने गठबंधन के तमाम प्रयोग उत्तर प्रदेश में किए हैं. उन्होंने पहले कांग्रेस के साथ समझौता किया. गठबंधन कामयाब हो इस कारण कांग्रेस की ताकत से कई गुना सीटें उन्हें दी, बाद में उन्होंने बसपा से साथ भी समझौता किया लेकिन दोनों ही गठबंधन नाकामयाब हुए. परंतु सब को यह स्पष्ट हो गया कि सपा अध्यक्ष राजनीति में नए प्रयोग करने के लिए तत्पर रहते हैं. उनके भीतर आत्मविश्वास है. 
कांग्रेस और बसपा के साथ यदि गठबंधन चला होता तो वह  देश की राजनीति पर गहरा असर छोड़ सकता था. इस बार उन्होंने छोटे दलों के साथ समझौता करने की घोषणा की है.उम्मीद की जानी चाहिए कि इसके सकारात्मक परिणाम जरूर निकलेंगे.आसानी से सरकार बनाई जा सकेगी. 
       अखिलेश जी के बारे में खास बात है कि वे नेताजी के पदचिन्हों पर चलते हुए जरुरत के समय कार्यकर्ताओं का साथ देते हैं तथा मुसीबत में कार्यकर्ताओं के परिवारों के साथ तन मन धन के साथ खड़े होते हैं. यही कारण है कि  जमीनी स्तर पर मजबूत पकड़ रखने वाले चाचा से जब उनका जमीनी मुकाबला हुआ तब लगभग पूरी पार्टी अखिलेश जी के साथ खड़ी दिखाई दी . लेकिन चुनाव के पहले यदि चाचा - भतीजा साथ होंगे तो भा ज पा को आसानी से हराया जा सकेगा. 
अखिलेश जी की पत्नी डिंपल यादव ने जिस प्रतिबद्धता के साथ राजनीति की है उससे भी अखिलेश जी को एक बड़ी ताकत मिली है. पार्टी के लगभग सभी संगठनात्मक और चुनाव संबंधी   निर्णयों में उन्होंने प्रोफ़ेसर रामगोपाल यादव जी के सुझावों को सर्वोच्च महत्व दिया है. अखिलेश जी अपने साथ सार्वजनिक तौर पर ईमानदार और पारदर्शी चरित्र वाले पुराने समाजवादी राजेंद्र चौधरी जी रहते हैं तथा प्रवक्ता के तौर पर उन्हें ही पार्टी में तवज्जो दी जाती है. नेताजी के साथ लंबे समय तक राजनीति करने वाले 30 वर्षों तक पश्चिम बंगाल में समाजवादी मंत्री के तौर पर वाम मोर्चे में शिरकत करने वाले किरणमय नंदा जी को अखिलेश जी सपा उपाध्यक्ष के तौर पर सदा साथ रखते हैं . उत्तर प्रदेश विधानसभा में उन्होंने विपक्ष का नेता खांटी समाजवादी रामगोविंद चौधरी जी को बनाया है. विधान परिषद  के नेता अल्पसंख्यक वर्ग से अहमद हसन है तथा उत्तर प्रदेश की कमान  पटेल समुदाय  के नरेश उत्तम पटेल जी को सौंपी है. 
प्रखर समाजवादी माताप्रसाद पांडेय जी को विधानसभा अध्यक्ष   नेताजी ने बनाया था .वही सम्मान आज भी उन्हें पार्टी में सपा अध्य्क्ष द्वारा दिया जाता है. 
व्यापार सभा का अध्य्क्ष भी उन्होंने जनांदोलनों से जुड़े हुए प्रामाणिक नेता संजय गर्ग को बनाया है . 
युवाओं को जो प्रमुखता सपा में आज मिली है वह समाजवादी आंदोलन के 87 साल के इतिहास में कभी नहीं मिली. 
इससे स्प्ष्ट है कि वे  सभी समुदायों को साथ लेकर चलना  जानते हैं .स्वतंत्रता आंदोलन और समाजवादी आंदोलन के प्रमुख नेताओं और नेत्रियों को सम्मान देना ,स्मरण करना ,पार्टी कार्यालय में माल्यार्पण करना कभी नहीं भूलते. 
नेताजी के समय जो स्थान आजम खान जी का प्रोफेसर उदय प्रताप जी का  था , वह आज भी बना हुआ है.  
अखिलेश जी की छवि पाक साफ है . डी पी यादव से लेकर अमर सिंह को लेकर उनकी राय दो टूक रही है . सपा अध्य्क्ष के आसपास एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसपर उंगली उठाई जा सके. 
आज पार्टी युवा शक्ति से लबरेज है. उत्तर प्रदेश के युवा तमाम पुलिस दमन के बावजूद अखिलेश जी के  हर आव्हान का शब्दशः  पालन करते दिखलाई पड़ते हैं. सोशल मीडिया का इस्तेमाल उन्होंने प्रभावशाली ढंग से किया है.  
नेताजी से उन्होंने यह सीख लिया है कि जो पार्टी सक्रिय रहेगी वही विकल्प देगी. अखिलेश पार्टी को  
सतत रूप से सक्रिय रखते हैं. 
         मेरे जैसे साथी अखिलेश जी से अपेक्षा रखते हैं कि  वे नेताजी की तरह सड़क मार्ग से पूरे प्रदेश को मथने का काम करेंगे तथा समाजवादी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर की उतनी ही मजबूत और लोकप्रिय पार्टी बनाएंगे जैसी समाजवादी पार्टी उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में बनी है. हालांकि मैं जानता हूं कि  आगामी चुनाव की दृष्टि से उनका एक एक मिनट अगले एक वर्ष बहुमूल्य होगा , योगी की सांप्रदायिक सरकार को उखाड़ने का काम सपा ही कर सकती है. 
इसके बाद अडानी - अम्बानी की संघी मोदी सरकार को भी पछाड़ने में अहम भूमिका निभाए ,यह सपा अध्य्क्ष के तौर सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है . 
         अखिलेश जी ने पिछले 217 दिन से चल रहे किसान आंदोलन का सक्रिय समर्थन किया है. अब यह जरूरी है कि वे घोषणा करें कि उत्तर प्रदेश में सरकार बनने पर एमएसपी की कानूनी गारंटी किसानों को दी जाएगी. किसानों को यदि मुफ्त दवाई और पढ़ाई की तर्ज पर बिजली मुफ्त देने की  ठोस योजना वे जाहिर करेंगे तो चुनाव होने के पहले ही उत्तर प्रदेश के जनमानस में सपा की सरकार बन जाएगी. 
 

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