आलोक कुमार
पटना.एक राजनैतिक कार्यकर्ता को राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह से सीखना चाहिए.उन्हें जेडीयू के संस्थापक सदस्य के रूप में जाना जाता है.वर्ष 1970 से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सांसद ललन सिंह के बीच में गहरी दोस्ती है.ललन सिंह पार्टी बनने के बाद से अब तक नीतीश के साथ जुड़े हुए हैं.हालांकि 51 साल की दोस्ती में कुछ साल पहले दोनों के बीच मतभेद भी हुए थे लेकिन यह ज्यादा दिन तक नहीं चला.
बता दें कि ललन सिंह का जन्म दिन 24 जनवरी, 1955 को है. छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय ललन सिंह जेपी आंदोलन में बढ़-चढ़कर शामिल हुए थे.राजनीति में मुखर वक्ता के तौर पर पहचान बनाने वाले ललन सिंह अप्रैल 2000 में राज्यसभा सांसद बने. जदयू के दूसरे प्रदेश अध्यक्ष बने.वे दिसम्बर 2005 से लेकर फरवरी 2010 तक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे.जबकि 2004 व 2009 के बाद 2019 में तीसरी बार मुंगेर से लोकसभा सांसद बने.जबकि 2014 में वे बिहार विधान परिषद के लिए भी मनोनीत हुए. 2019 में सांसद बनने से पहले तक वे विधान पार्षद ही थे.बीच के अवधि में ललन सिंह ने कुछ समय के लिए जदयू से नाता तोड़ लिया था.
बिहार में जीतन राम मांझी के कैबिनेट में 2014 में पहली बार पथ निर्माण मंत्री बने.इसके बाद 2015 में महागठबंधन सरकार में भी वे जल संसाधन मंत्री बने.ललन सिंह के मंत्री बनाए जाने की वजह से जेडीयू में बगावत हो गई थी और 12 विधायकों के साथ ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू बीजेपी में चले गए थे.जिसके 2015 के फरवरी में उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया था.हालांकि, 2015 में दोबारा महागठबंधन सरकार बनने के बाद उन्हें नीतीश कैबिनेट में जगह मिली थी.
पिछले साल दिसंबर महीने में ही पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर आरसीपी सिंह को बिठाया था.तमाम सियासी समीकरणों को साधते हुए उनको पार्टी में शीर्ष नेतृत्व का दर्जा दिया गया था लेकिन हाल ही में केंद्रीय मंत्री बनाए गए हैं. मंत्री बनने के बाद वह पार्टी के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं, ऐसे में पार्टी को एक बार फिर नए अध्यक्ष की तलाश करनी पड़ी.
इसके आलोक में बिहार की सरकार में काबिज नीतीश सरकार की पार्टी जनता दल यूनाइडेट (जेडीयू) में राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को लेकर काफी गहमागहमी बनी हुई थी, जो अब सुलझ गई है.जेडीयू के नये राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह होंगे.शनिवार को दिल्ली में जेडीयू की कार्यकारिणी की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में केंद्रीय मंत्री आरसीपीसी सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दिया.
इसके बाद ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की घोषणा की गई.कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के सभी सांसद और करीब दो दर्जन राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष शामिल हुए.जेडीयू के अध्यक्ष पद की रेस में राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह का नाम सबसे आगे चल रहा था.ललन सिंह सीएम नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते हैं.
बता दें कि मौजूदा लोकसभा में जेडीयू के 16 और बिहार की विधानसभा में पार्टी के 43 विधायक हैं. राज्यसभा में जेडीयू के 5 सदस्य हैं. केंद्र में आरसीपी सिंह जेडीयू कोटे से एकमात्र मंत्री है.
ललन सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की खबर जैसे ही मुंगेर पहुंची उनके संसदीय क्षेत्र में कार्यकर्ताओं और प्रशंसकों का उत्साह दोगुना हो गया.सभी एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशियां मना रहे हैं.उत्साहित कार्यकर्ता एक दूसरे के गुलाल भी लगा रहे हैं.ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर युवा जदयू लोकसभा प्रभारी विक्की कुमार के नेतृत्व मे सभी जदयू नेताओं ने जश्न मनाया गया. विक्की कुमार ने कहा मुंगेर के लिए बहुत गौरव की बात है कि हमारे नेता ललन सिंह को ये जिम्मेदारी मिली. वो पार्टी को और मजबूत करेंगे. इस मौके पर जदयू नेता बालकृष्ण दास, कन्हैया चौधरी, छात्र अध्यक्ष मनीष यादव, राहुल सिंह, मोंटी और मनोज आदि शामिल रहे.
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि सांसद ललन सिंह जी को .@Jduonline का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने पर उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएं.ललन सिंह जी ने हमेशा जनता दल यू को मजबूत करने का काम किया है,इनके नेतृत्व में पार्टी और आगे बढेगी एवं कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा.
उपेंद्र कुशवाहा ने कुछ महीनों पहले ही घर वापसी की है.अपनी पार्टी आरएलएसपी का जेडीयू में विलय करा कर कुशवाहा ने अपने पुराने साथी नीतीश कुमार का दामन थामा है. जेडीयू में आने के साथ ही नीतीश कुमार ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी. वहीं, कुछ दिनों बाद राज्यपाल कोटे से उन्हें विधान परिषद भी भेजा गया है.उन्होंने कहा कि पार्टी के पुराने साथी, लोक सभा सांसद श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह जी को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने पर हार्दिक बधाई.आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि आपके नेतृत्व में नई उंचाइयों को जल्द छुएगा.
नीतीश कुशवाहा ने कुशवाहा से कहते हैं कि चुप रहो यार शर्म नाम के चीज नहीं है आ गए बोकराती पढ़ने.पहले दरी बिछाते थे अब धोना भी सिख लो.और अच्छा से नही धोए न दरिया तो पार्टी से निकाल भी दिए जाओगे.
जय प्रकाश ने कहा कि आपके कार्यकताओं और समर्थकों में काफी रोष है,उनका कहना है पूरी पार्टी का विलय करने का क्या फायदा हुआ?कुशवाहा समाज खासकर काफी उम्मीदें लगाए हुए था!और उधर बाजी मार गया भूमिहार.
चंदन कुमार ने कहा कि कुशवाहा समाज में एक शेर पैदा हूआ , जिसका नाम है उपेन्द्र कुशवाहा.भले ही कुशवाहा समाज के लिये उपेन्द्र कुशवाहा ने कुछ बुरा काम नहीं किये. पर समाज के गरीब हो या अमीर उनके पास जाते जरुर है जरुरत पड़ने पर. लेकिन आप सब और नीतीश ने बकरी बना दिया.इसलिए आपको और नीतीश को बहुत बधाई.
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