मास्टर साहब मिड डे मील का बोरा बेचेंगे !

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मास्टर साहब मिड डे मील का बोरा बेचेंगे !

आलोक कुमार 
पटना.बिहार के शिक्षकों को सम्मान देने के बदले अपमानित करने में सरकार तुल गयी है.अब मास्टर साहब मिड डे मील का बोरा बेचेंगे.इस संबंध में शिक्षा विभाग निर्देश जारी किए हैं.इस संबंध में निदेशक, मध्याह्न भोजन योजना हरिहर प्रसाद ने जारी आदेश में कहा है कि खाली बैग को कम से कम 10 रुपये में बेचा जाए.खाली बैग को बेचकर जो भी राशि प्राप्त होती है उसे मध्याह्न भोजन योजना की रोकड़ पंजी में जमा किया जाएगा. 

बताया जाता है कि एमडीएम के रिकॉर्ड की नमूना ऑडिट रिपोर्ट में जो तस्वीर सामने आयी है, उससे राज्य मुख्यालय सहित जिले के कार्यक्रम पदाधिकारी भी सकते में आ गये हैं. ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2014-15 और 15-16 में एक करोड़ 27 लाख 27 हजार 588 बोरों की बिक्री नहीं की गयी है.इससे 12 करोड़ 72 लाख 75 हजार 891 रुपये (लगभग 13 करोड़) राजस्व का घाटा हुआ है. 

ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद बिहार राज्य मध्याह्न भोजन योजना समिति सक्रिय हुई है.समिति ने एमडीएम के निदेशक से बिहार के सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों से बोरों की बिक्री से प्राप्त हुई आय की रिपोर्ट की मांग की है.बताया जाता है कि वित्तीय वर्ष 2014-15 के लिए भारत सरकार की ओर से बिहार के 38 जिलों में 35692.67 मीट्रिक टन  अनाज का आवंटन हुआ था.इसमें 71 लाख 38 हजार 853 बोरों का इस्तेमाल हुआ था. प्रति बोरे की बिक्री 10 रुपये की दर से करनी थी.इस तरह इन बोरों की बिक्री से सात करोड़ 13 लाख 88 हजार 533 रुपये का राजस्व प्राप्त होना था.वहीं  2015-16 में भारत सरकार की ओर से 279436.79 मीट्रिक टन अनाज का आवंटन हुआ था. इसमें 55 लाख  88 हजार 735 बोरों का इस्तेमाल हुआ था.इन बोरों की बिक्री से सरकार व विभाग को पांच करोड़ 58 लाख 87 हजार 358.65 रुपये राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद थी. 

ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद सभी जिलों में मध्याह्न भोजन योजना के जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों से एक सप्ताह में फॉर्मेट में भरकर रिपोर्ट मांगी गयी है. इसके लिए फॉर्मेट उपलब्ध भी करा दिया गया है.इसमें कुल आवंटित खाद्यान्न, बोरों की संख्या, बिक्री की गई बोरों की संख्या और बिक्री की राशि के संबंध में रिपोर्ट देनी है. 

इस तरह के निर्देश आने के बाद अधिकारी भी चकरा गये हैं. विभिन्न स्कूलों के स्थानांतरित या रिटायर हेडमास्टरों से करीब पांच साल पहले के बोरों का हिसाब व उसकी राशि प्राप्त करना कठिन टास्क बन गया है.बताया जा रहा है कि इस अवधि में विद्यालय शिक्षा समिति के सचिव और कई स्कूलों के हेडमास्टरों का ट्रांसफर हो चुका है या वे रिटायर हो चुके हैं.ऐसे में पुराने बोरों की खोज और उससे प्राप्त हुई राशि का ब्योरा कैशबुक में दर्ज करना मुश्किल भरा कार्य माना जा रहा है. 


अब मास्टर साहब मिड-डे मील का खाली बोरा खोजने में लग गये हैं. एक साल की बात नहीं है.पूरे पांच साल का ब्यौरा देना है.साल 2016-17, 2017-18, 2018-19, 2019-20 और 2020-21 बोरों का हिसाब व उसकी राशि प्राप्त करना है.ग्रामीण स्तर पर बोरा बेचने के लिए नीलामी की जाएगी. नीलामी प्रक्रिया से अगर बोरा नहीं बिका तो स्थानीय बाजार में जाकर वे इसकी बिक्री करेंगे. वह भी, 10 रुपए प्रति बोरा. 

इस संदर्भ में शिक्षा विभाग के मध्याह्न भोजन योजना निदेशक ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं. सभी डीपीओ मध्याह्न भोजन को इस संबंध में आदेश जारी किया गया.डीपीओ ने सभी संकुल प्रभारियों को सरकार के निर्देश से अवगत कराते हुए आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया है.शिक्षा विभाग के निर्देश ने प्राथमिक व मध्य विद्यालय के प्रधानाचार्यों के लिए नई परेशानी खड़ी कर दी है. 

दरअसल, यह मामला महालेखाकार की आपत्ति के बाद सामने आया है.एजी ने मध्याह्न भोजन की जांच के क्रम में पाया कि अनाज के खाली बैग के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है.इसे बेचकर सरकारी राजस्व प्राप्त नहीं किया जा रहा है. 

इससे सरकारी राजस्व की हानि हो रही है। इस संबंध में समय-समय पर डीपीओ मध्याह्न भोजन द्वारा भी अनाज के खाली बैग के संबंध में मार्गदर्शन की मांग की गई.विभाग ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं.इस संबंध में निदेशक, मध्याह्न भोजन योजना हरिहर प्रसाद ने जारी आदेश में कहा है कि खाली बैग को कम से कम 10 रुपये में बेचा जाए. 

खाली बैग को बेचकर जो भी राशि प्राप्त होती है उसे मध्याह्न भोजन योजना की रोकड़ पंजी में जमा किया जाएगा. पहले से जारी किए गए खाली बैग की गिनती कर प्रति बोरा 10 रुपए के हिसाब से बेचा जाएगा और राशि पंजी में जमा कराई जाएगी.प्राप्त पैसे की सूचना निदेशालय को शीघ्र उपलब्ध करानी होगी. 

फुलवारीशरीफ के एक प्राथमिक स्कूल के प्रधानाचार्य ने बताया कि हमारे स्कूल में बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है. हमलोग बोरा को सिल कर दरी के रूप में इस्तेमाल करते हैं. नए आदेश से काफी परेशानी होगी. 

मध्याह्न भोजन योजना के रुपये व अनाज गटकने के मामले गाहे-बगाहे सामने आते रहे हैं. इस बार मध्याह्न भोजन योजना के तहत बिहार के स्कूलों में दोपहर का भोजन बनाने के लिए भेजे गये अनाज के बोरों के रुपये ही हजम कर लेने का मामला सामने आया है.सभी जिलों के स्कूलों की ओर से इस दिशा में कदम नहीं उठाया गया. इसका नतीजा हुआ कि सरकार को कुल 12.72 करोड़ रुपये की चपत लगी है. 

 

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