बहुत सीटें मांगते हैं बड़े दल,समझौता नहीं -अखिलेश

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बहुत सीटें मांगते हैं बड़े दल,समझौता नहीं -अखिलेश

अरुण कुमार त्रिपाठी  
बड़े दलों से हम कोई समझौता नहीं कर रहे हैं. क्योंकि दो बार हमने करके देखा हमारा अनुभव ठीक नहीं रहा. वे बहुत सीटें मांगते हैं. हमारे बहुत से कार्यकर्ता और नेता चुनाव नहीं लड़ पाते इसलिए हम विचार नहीं कर रहे हैं. 
आप भी युवा थे योगी जी भी युवा हैं. दोनों शासन में क्या अंतर है? 
भाजपा का केवल एजेंडा है धर्म. वे धर्म की मार्केटिंग करना चाहते हैं. दूसरों पर यह आरोप लगाते हैं कि विपक्ष के लोग धार्मिक नहीं हैं. जबकि हमने अपने घरों में बचपन से धार्मिक माहौल देखा है. लोग पूजा पाठ करते हैं. नेताजी(मुलायम सिंह यादव) कोई भी काम नहीं शुरू करते जब तक हनुमान जी की पूजा न कर लें. हमारे घरों में मंदिर हैं. परिवार के सदस्य पूजा करते हैं. व्रत रखती हैं महिलाएं परिवार की हमारी. वे लगातार विपक्ष के बारे में यह कह रहे हैं कि यह धार्मिक नहीं हैं यह राम को नहीं मानते हैं. कल तो यहां तक कह दिया कि जो राम को नहीं मानते उनका डीएनए नहीं मिलता है. इनका पूरा एजेंडा है कि समाज में जाति और धर्म पर लोग लड़ जाएं. समाजवादी पार्टी ने हर वर्ग के लोगों का हमेशा सम्मान किया है. समाजवादी पार्टी ने हर वर्ग के लोगों को पोलिटिकल स्पेस दिया है और हम काम करते हैं. यह अपने धर्म में लोगों को उलझाना चाहते हैं. कोई डेवलपमेंट नहीं करना चाहते, कोई काम नहीं करना चाहते. अब कह रहे हैं कि अयोध्या में 8000 करोड़ रुपए खर्च करेंगे. अभी तक साढ़े चार साल में कोई काम ही नहीं किया. कौन सा बड़ा काम किया है इन्होंने. 
आपकी सरकार ने अयोध्या के लिए क्या काम किया था?  
हमने वहां भजन स्थल बनवाया. उसका आकार ऐसा बनेगा कि जो चबूतरा बनाया वह धनुष लगे और उसके ऊपर जो शेड हो वह तीर लगे. ऐसा इसलिए किया क्योंकि जो बहुत सारे गरीब लोग आते हैं उनके पास रुकने का कोई इंतजाम नहीं होता है. वो धर्मशाला में रुक नहीं सकते. इसलिए हमने एक ऐसा स्थान बनवाया जहां भजन चलता रहे, वे आराम कर सकें उन्हें खाना पीना मिल जाए, बाथरूम वगैरह मिल जाए और लोग आराम कर सकें. इसलिए . इन्होंने भजन स्थल रोक दिया. नेताजी (मुलायम सिंहयादव) ने घाट बनाए. पिताजी और हमने मिलकर लाइटें लगवाईं. वे खंभे हमारे आज भी लगे हुए हैं. घाट पर सरयू का पानी परमानेंट बना रहे इसलिए पंप लगाए. इन्होंने तो कुछ भी नहीं किया और अब कह रहे हैं कि 8000 करोड़ खर्च करेंगे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भगवान राम का मंदिर बनने से कौन रोक सकता है. कोई सरकार उत्तर प्रदेश में होगी वो कहीं भी रुकावट नहीं पैदा कर सकती. अब जो ट्रस्ट बना है उसमें भी कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता, क्योंकि वह भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बना है. यह कभी कभी झूठा प्रचार भी करते हैं. एक साल में कोई काम नहीं कर पाए. अब कह रहे हैं कि 2023 तक मंदिर बना देंगे. फिर कह रहे हैं कि 2025 तक बना देंगे. यह बनाना नहीं चाहते केवल जनता को बनते हुए दिखाकर वोट लेना चाहते हैं. हम तो काम करते हैं.  
हमें एक्सप्रेस वे बनाना था हमने 22 महीने में बना दिया. मेट्रो हमने सवा साल में बना दिया. गंगा के पुल नौ नौ महीने में बनाए हैं हमने. इकाना स्टेडियम डेढ़ साल में बना दिया हमने. 
आप के शासन में अपराधी भयमुक्त थे और खुले घूमते थे. अब कहा जा रहा है कि पहली बार अपराधी डर गए हैं और प्रदेश छोड़ कर भाग गए हैं. 
दो दिन पहले सबसे बड़ा अपराधी जिसने रीता बहुगुणा का घर जलाया था वह भाजपा में शामिल हुआ है. तब रीता बहुगुणा जी प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष थीं. अगर इन्होंने अपराधी उत्तर प्रदेश से भगा दिए हैं तो मैं भाजपा से कहना चाहूंगा कि टाप टेन की सूची जारी कर दें. अपराधी भूमाफिया जितने भी हैं, उनकी सूची जारी कर दें. उससे जनता यह जान जाएगी कि टाप टेन किस पार्टी में हैं. वो जारी नहीं करेंगे. आप इनसे टाप टेन मांग लीजिए सब उनके दल में बैठे हैं. अभी पंचायत के चुनाव में गुडागर्दी खुलेआम उत्तर प्रदेश ने देखी. कभी किसी महिला के कपड़े नहीं फाड़े गए होंगे. कई जगह की सूचना है चाहे सिद्धार्थ नगर हो, बस्ती हो, कन्नौज हो(सभी जगह गुंडागर्दी हुई) लखीमपुर का तो टीवी पर दिख गया. दो महिलाओं का दिख गया. एक की तो साड़ी खींची और एक का ब्लाउज फाड़ा बीजेपी के लोगों ने. पूरा थाना सस्पेंड करना पड़ा. पंचायत के चुनाव में वो कौन गुंडा था जिसने डिप्टी एसपी को झापड़ मारा?  किस पार्टी का वह गुंडा था?  डीएसपी खुद कह रहा है कि जो बम चलाने वाला था वह भाजपा का था, जो लाठी चलाने वाला था वह भाजपा का था. उसकी रिकार्डिंग है. पूरे पंचायत के चुनाव में देश ने भारतीय जनता पार्टी की गुंडागर्दी देखी. 
किन छोटे छोटे दलों से तालमेल किया है आपने और किनसे कर रहे हैं? 
अभी आरएलडी से हमारी बातचीत हो रही है वे हमारे साथ हैं. संजय चौहान हमारे साथ हैं. महान दल हमारे साथ हैं. और अभी जो दल भागीदारी दल में हैं उनसे बातचीत हो रही है. यह बहुत जल्दी हम बताएंगे कि गठबंधन किसके साथ होगा और सीट किसे कितनी मिलेगी. पूरा पक्का करके जानकारी दे देंगे. 
2017 में आपकी पार्टी बिखर रही थी. आपके  सामने कठिन चुनौती थी. घर में विवाद था. पार्टी के टूटने से आपने कैसे बचाया और कैसे संभाला उसे . आज उसकी एकता बन गई है या कोई कमजोरी है अभी भी. 
वो समय ऐसा था जिस समय हमारा सिंबल भी नहीं था और घर परिवार से भी झगड़ा हो गया तमाम चीजें ऐसी बन गईं कि बड़ी चुनौतियां खड़ी हो गईं. उस समय चुनाव प्रचार के लिए भी हमारे पास नेता नहीं थे. लोकल लीडर थे या कुछ और लीडर थे बाकी नेता ही नहीं थे. इसलिए हम लोग बीजेपी का उतना मुकाबला नहीं कर पाए जितना कर सकते थे. लेकिन तब भी पार्टी ने मुकाबला किया. लेकिन वे धर्म और और  झूठ के सहारे जनता को गुमराह करने में कामयाब हो गए और वोट ले लिया. 
समाजवादी बिखरने के लिए मशहूर हैं. कौन सा गोंद आपने लगाया कि वे एकजुट रहे? 
जो काम समाजवादियों ने किया उससे हम जुड़े. नेताजी(मुलायम सिंह) कहीं नहीं थे(पार्टी के झगड़े में). पिछली बातों में मैं जाना नहीं चाहता और उलझना नहीं चाहता. नेताजी ने आशीर्वाद दिया. उस समय की परिस्थितियां अलग थीं. लेकिन मुझे खुशी इस बात की है जनता ने हमारे काम और समाजवादी विरासत का समर्थन किया. पूरी पार्टी के वरिष्ठ लोग जैसे कि आदरणीय जयशंकर दादा थे वे नेताजी के साथ शुरू से काम कर रहे थे, यह सब साथ हमारे खड़े थे. इन सबने पार्टी को बचा लिया. जो सीनियर लीडरशिप थी उसने पूरी पार्टी को बचा लिया. पार्टी बिखरी नहीं. पार्टी गई नहीं कहीं. आज भी नेताजी हमारे साथ हैं और हम उनके साथ हैं. वो थोड़े दिन की चीजें थीं. वो `अंकल’ को याद करें तो वे तो ऊपर चले गए. असली खिलाड़ी वे थे. लेकिन उनके लिए अब बोलना उचित नहीं है. मैं कुछ भी बोलूंगा तो कोई मतलब नहीं है. लेकिन उस समय समाजवादी पार्टी की जो पुरानी लीडरशिप थी उसने बचा लिया. जो हमारे युवा थे नौजवान थे संगठन के लोग थे वो हमारे साथ जुड़ गए और जो काम हुआ था उस समय वो जनता में आज भी महसूस किया जाता है. लोग याद कर रहे हैं कि वह काम समाजवादियों का ही किया धरा था. चाहे वह एंबुलेंस रही हो, चाहे पुलिस का सौ नंबर रहा हो, आज भी काम वही आ रहा है. कोरोना में कोविड में वही काम आ रहा है. जो अस्पताल बने जो मेडिकल कालेज बने जो सड़कें बनीं. जो बिजली का इंतजाम हुआ. हमने अयोध्या में भी अडरग्राउंड केबल कर दिए थे. विचारधारा से जुड़े लोग, युवाओं ने पार्टी को बचा लिया. पार्टी बिखरी नहीं पार्टी एकजुट रही और आने वाले समय में पार्टी फिर सरकार बनाने जा रही है.  
अभी पार्टी संगठित है क्या कोई दिक्कत है आपको ? 
देखिए भाजपा कितनी बड़ी पार्टी है उनके प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री , 324 विधायक हैं. उसके बाद भी यही समाजवादी विचारधारा के लोग मुकाबला करेंगे और उन्हें हराएंगे. 
पिछले सात सालों में जो बहुसंख्यकवाद है, हिंदूवाद है राष्ट्रवाद है वह उग्र और आक्रामक हुआ है. इसके कारण तमाम गलतफहमियां बनी हैं. अल्पसंख्यक तबका परेशान है. जो नागरिक हैं उनके अधिकार कुचले जा रहे हैं. राजद्रोह का कानून है, नेशनल सिक्योरिटी एक्ट है, लव जेहाद का कानून है इससे लोग परेशान हैं. आप जब जीतेंगे तो इनका कैसे मुकाबला करेंगे. इन कानूनों को खत्म करवाएंगे या इनका कम से कम इस्तेमाल करेंगे. 
देखिए इनका जो नेशनलिज्म है वह गड़बड़ है. नेशनलिज्म जो यह अपना डिफाइन करते हैं वो आरएसएस वाली बात ही है. जो आरएसएस डिफाइन करती है उसे दिमाग में रखकर यह अपना राष्ट्रवाद परिभाषित करते हैं. इनका नेशनलिज्म नफरत से भरा हुआ है. नेशनलिज्म या राष्ट्रवाद वह हो सकता है जो हमारे राष्ट्र में शांति पैदा करे. यह शांति को खत्म करते हैं. यह नफरत पैदा करते हुए राष्ट्रवाद का झंडा आगे बढ़ाते हैं. किसी मुस्लिम के खिलाफ नफरत पैदा कर देते हैं. हमारे देश को चाहिए लिबरल विचारधारा. जो आइडियोलाजी हो वह उदारवादी हो. रवींद्रनाथ टैगोर जी ने राष्ट्रवाद की जो व्याख्या की है वह सुंदर है. उनसे बढ़िया किसी ने परिभाषित नहीं किया है. क्योंकि हम खाने पीने से राष्ट्रवाद को परिभाषित नहीं कर सकते हैं. मान लीजिए भाजपा कहती है कि यह नहीं खाओगे आप, यह नहीं पहनोगे आप. आप ऐसा नहीं करोगे. उससे हमारा राष्ट्रवाद परिभाषित नहीं होता है. हमारे ही धर्म में विभिन्नताएं हैं. हम उत्तर प्रदेश मे ही देखें तो तमाम परंपराएं चल रही हैं यहां पर. जैसे लखनऊ से ऊपर देख लें. पूर्वी उत्तर प्रदेश को देख लें. यहां लड़की मां बाप के पैर छूती है. आप नीचे की ओर चले जाओ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तो घर परिवार के लोग बेटी के पैर छूते हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अलग परंपराएं हैं. केरल को लें तो वहां अलग परंपरा है. उनका त्योहार अलग है. उनका पहनावा अलग है. उनका खाना पीना अलग है. उनका एक दूसरे से उठना बैठना अलग है. मैं गया अभी हैदराबाद. पूरे टेबल पर क्या हिंदू क्या मुसलमान सभी बिरयानी खा रहे हैं. इस तरह बहुत सारी चीजें हैं देश में जिन्हें एकरूपी नहीं किया जा सकता. इनका नेशनलिज्म इसलिए है कि इन्हें वोट चाहिए. यूपी में वोट चाहिए नार्दर्न बेल्ट में वोट चाहिए. 
इनके राष्ट्रवाद का देश पर क्या प्रभाव पड़ेगा?  
मुसलमान के खिलाफ इसीलिए नफरत पैदा करते हैं क्योंकि इन्हें उत्तर भारत में वोट चाहिए. इनका नेशनलिज्म पीस खत्म करता है. शांति खत्म करता है. जिस नेशन में शांति खत्म हो जाएगी वहां डेमोक्रेसी भी खत्म हो जाएगी. इनकी जो परिभाषा है नेशनलिज्म की वह नफरत से भरी पड़ी है. हमें चाहिए उदारवादी लोग. वे ही इस देश को अच्छा चला सकते हैं. उसका परिणाम देखिए कश्मीर में. आज मैं अखबार पढ़ रहा था कि डिलिमिटेशन में जो सुझाव आए हैं वे इतने हैं कि उसकी कल्पना ही नहीं कर सकते. जो वादा इन्होंने किया था वह पूरा ही नहीं हो रहा है. प्रधानमंत्री ने कहा कि दिल्ली से दूरी दूर हो सकती है लेकिन दिल से दूरी दूर नहीं हो सकती. वो जो 24 सीटों वाला मामला है आज भी उन्हें छोड़नी पड़ रही हैं. पीओके वाली. 24 सीटें तो आज भी छोडनी पड़ रही हैं. अगर आप नहीं छोड़ते हो तो यह मानते हो कि पीओके आपका है ही नहीं. अगर आप सीटें छोड़ रहे हो तो यह सीटें कब भरोगे. इन्होंने कहा कि इन्वेंस्टमेंट आएगा, टूरिज्म बढ़ेगा नौकरी बढ़ेगी जो संसद की बहस थी उसमें 24 सीट वाली बात केवल समाजवादी पार्टी ने कही. केवल हमने कही. पूरी डिबेट उठाकर देख लीजिए किसी ने नहीं कही यह बात. हमने दूसरी बात यह कही कि जब उत्तर प्रदेश में टूरिज्म नहीं आया तो कश्मीर में कैसे आ जाएगा टूरिज्म और इन्वेस्टमेंट. कश्मीर में 370 हटाए दो साल हो गए . अब वहां के लोगों में बहस यह छिड़ी है कि बाहर के लोग जमीन न ले पाएं.जो वहां के उद्योगपति और बिजनेसमैन हैं वे नहीं चाहते कि बाहर के लोग जमीन ले लें. उनका कहना है कि हम अलग अलग हो गए हमारी लड़ाई पूरी हो गई. लेकिन तब भी वे नहीं चाहते कि बाहर के लोग वहां पर आएं. कोई नहीं चाहता. जम्मू के लोग नहीं चाहते कि वहां बाहर के लोग आकर जमीन लें. जबकि वहां माता का मंदिर है. लोग नहीं चाहते वहां आकर कोई बाहर का जमीन खरीदे. कोई नहीं चाहता कि वहां दिल्ली औरयूपी के लोग आकर जमीन ले लें. वे चाहते हैं कि कोई ऐसी व्यवस्था हो जाए कि बाहर के लोग जमीन न ले पाएं. आज भी हम उत्तराखंड में जमीन नहीं ले सकते. हम चाहे कि हम उत्तराखंड में घर बनाना चाहते हैं लेकिन जमीन नहीं ले सकते क्योंकि हम प्लेन के हैं. 
लव जेहाद वगैरह के कानून पर क्या कहना है. क्या इसे खत्म करेगें? 
यह समाज को बांटने के लिए हैं. यह लोगों के अधिकारों पर हमला करते हैं. जहां तक हमारा राइट टू स्पीच का हक है वह अपनी जगह है लेकिन हम दूसरे के अधिकार में क्यों घुस जाएंगे. हम आप का अभिव्यक्ति का अधिकार खत्म तो नहीं कर देंगे. हमारा अधिकार वहीं तक है जहां तक दूसरे का अधिकार नहीं है. यह जानबूझ कर पाबंदियां इसलिए लाते हैं कि उससे समाज में दूरियां बनी रहें. हिंदू मुस्लिम सिख इसाई सब एक हैं. हम सब पढ़ते लिखते आए हैं. यह लोग रोजगार पर क्यों बात नहीं करते क्योंकि वे जानते हैं कि उससे लोग जुड़ेंगे. समाज में एकता आएगी. जैसे हम कोई कारोबार करते हैं तो उसमें विभिन्न जातियों के लोग भागीदारी करते हैं. किसी दुकान में जाते हैं तो देखते हैं उसमें काम करने वाले अलग अलग समाज के लोग हैं. जैसे हवलाई की दुकान पर जाएं तो पाएंगे कि मालिक है वो अग्रवाल है. बनाने वाला कोई और है. काउंटर पर खड़ा करने वाला कोई और है. ले जाने वाला कोई और है. जो कारोबार है वह हमें जोड़ता है. इसलिए यह लोग कारोबार पर बात ही नहीं करेंगे. जैसे मुकेश भाई अंबानी है उनका बड़ा बिजनेस है उनकी कंपनी में न जाने कितने हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाइयों को नौकरी मिली है. इसलिए काम हमें जोड़ता है. बाजार जोड़ता है. इस तरह की (लव जेहाद जैसी) चीजें वे इसलिए लाते हैं कि इससे वोट मिलता है. आप देखिए कि आरएसएस के एक बड़े प्रचारक हैं उनके रिश्तेदार ने मुस्लिम से शादी की है. यहीं लखनऊ ताज में हुई.  
कृषि और रोजगार के मोर्चे पर उत्तर प्रदेश में क्या किया जाना चाहिए?  
उत्तर प्रदेश सबसे बेहतरीन काम खेती में कर सकता है. आज भी हम आलू में नंबर वन हो सकते हैं. हम धान में नंबर वन हम मिल्क में नंबर वन हैं. तो जो हमारी कृषि की अर्थव्यवस्था है वह बहुत मजबूत है. अगर हम इस पर जोर दें तो हमारा किसान भी खुशहाल होगा और देश की अर्थव्यस्था बेहतर होगी. लेकिन इसी सेक्टर को यह मार रहे हैं. हमने जगह जगह मंडियां बनानी शुरू की थीं. एक्सप्रेस वे से जोड़ते हुए. हमने यूपी में दो करोड़ अंडे का उत्पादन बढ़ाया. हमने दूध का उत्पादन बढाया. अमूल प्लांट खोलना चाहता था हमने उसे खुलवाया. मदर डेयरी प्लांट खोलना चाहता था हमने उसे खुलवाया. इन तीन प्लाटों के खुल जाने से 15 लाख लीटर प्रतिदिन किसानो की दूध की खरीद हो गई. लेकिन भाजपा वाले अमूल में पूरा दूध गुजरात से ला रहे हैं. सोचिए गुजरात कहां है. वहां के किसानों का दूध लाकर यहां प्रोडक्ट बना रहे हैं. यहां के किसानों का दूध नहीं ले रहे हैं. गुजरात के प्रोडक्ट भी हमारे यहां बिक रहे हैं. 
खेती के समक्ष बड़ी समस्या आवारा पशुओ की है. वह क्यों है और उसका निदान कैसे करेंगे? 
उसमें सरकार ने इंतजाम किया लेकिन सरकार के कर्मचारी और अधिकारी सभी ने पैसा खा लिया. योगी की सरकार उस पैसे को लूट रही है. यह बात किसान भी जानता है लेकिन चुनाव के समय पर वह पता नहीं क्या बन जाता है. जैसे कि बुंदेलखंड में अन्ना प्रथा थी जिसमें बड़े बड़े जानवरों के लिए स्थल बनवाए. छुट्टा जानवरों के लिए व्यवस्था की. लेकिन उस व्यवस्था में अपने लोग बिठा दिए. वे सारा फंड खा गए. छह सौ करोड़  रुपए का बजट है इस काम के लिए जो कम नहीं है. शराब महंगी हुई तो उस पर सेस लगाया. डीजल पर सेस लगाया. पेट्रोल में सेस लगाया. वह पैसा इकट्ठा करके गौशाला और जानवरों को कैसे रखना है इस पर खर्च हो रहा है. इस पर छह सौ करोड़ का बजट है. अगर इतना पैसा खर्च करने के बाद भी नहीं बचा पा रहे हैं तो इतना पैसा जा कहां रहा है. सरकार बताए कि छुट्टा जानवरों की व्यवस्था के लिए जो पैसा आवंटित है वह जा कहां रहा है.  
युवाओं के रोजगार के लिए आपने क्या सोचा है?  
आपको बड़े काम करने पड़ेंगे बड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाना पड़ेगा. इसीलिए जब मैं बड़ी सड़क बना रहा था एक्सप्रेस वे तो मैं कह रहा था कि अमेरिका ने सड़कें बनाईं और सड़कों ने अमेरिका बनाया. दुनिया में उदाहरण हैं कि जब तक इन्फ्रास्ट्रक्चर अच्छा नहीं करोगे तब तक कारोबार और नौकरी रोजगार उपलब्ध नहीं हो पाएंगे. आप को कहीं कहीं न कहीं इंडस्ट्री लगानी पड़ेगी. सर्विस सेक्टर और आईटी सेक्टर को बढ़ावा देना होगा. एक जमाना था कि कानपुर मैनचेस्टर था. कपड़े की मिलें चलती थीं. आज कानपुर बर्बाद हो गया. वहां कुछ नहीं है. आज आप बुनकरों को सहूलियत नहीं देना चाहते हो. सबसे ज्यादा जाब को टेक्सटाइल इंडस्ट्री में हैं. सबसे ज्यादा जाब एग्रीकल्चर सेक्टर में हैं. सबसे ज्यादा जाब टूरिज्म सेक्टर में हैं. सर्विस सेक्टर में हैं. आखिरकार सर्विस सेक्टर को आपने मजबूत नहीं किया. पर्यटन को मजबूत नही किया. आप दूध  इम्पोर्ट कर रहे हो, घी इम्पोर्ट कर रहे हो, तेल इम्पोर्ट कर रहे हो. सामान बिस्कुट इम्पोर्ट कर रहे हो. अगर बाहर का आयात कर लोगे तो यहां का माल कहां जाएगा? इकानमी खोल दी. मल्टीनेशनल कंपनियो को मौका दे दिया. मैगी है और दूसरी चीजें हैं. वे आप की अर्थव्यवस्था को तबाह किए हुए हैं. इनका स्वदेशी मूवमेंट कहां चला गया. जीएसटी गरीब दुकानदार के लिए नहीं थी. वह थी बड़े व्यापारियों और मल्टीनेशनल के हित के लिए. उन्हें सहूलियत देने के लिए. तो इनके स्वदेशी मूवमेंट का क्या हुआ. अगर विदेश से ही तेल खाना पीना सब आ रहा है तो स्वदेशी और आत्मनिर्भर आंदोलन क्यों चलवाया. 
आपने सत्ता में आते ही युवाओं को लैपटाप बांटा था. अब जब इकानमी डिजिटल हो रही है तो क्या आप अपने उस कार्यक्रम को दोहराएंगे? क्या आप मोबाइल भी बांटेंगे?   
जो आईटी सर्विस का सेक्टर है वह तेजी से बढ़ रहा है. अभी प्रधानमंत्री ने कहा कि पैसा डिजिटल हो जाएगा. प्रधानमंत्री जी नोटबंदी डिजिटल पेमेंट को बढावा देने के लिए ही कर रहे थे. अभी कुछ दिन पहले ई- रुपया उन्होंने शुरू कर दिया. इधर बैंक वगैरह में भी कार्ड्स आ गए हैं. लोग आमेजन को समझने लगे हैं. घर बैठे सामान मंगा रहे हैं. मोबाइल से मंगा ले रहे हैं. जैसे जैसे टेक्नालाजी बढ़ेगी आईटी सेक्टर को बढाना पड़ेगा. हमें इस तरह  के शिक्षित और आईटी सेक्टर के लोगों को बढावा देना होगा. आने वाले समय में इस सेक्टर में बड़े पैमाने पर नौकरियां आएंगी. शिव नाडार साहेब को हमने बुलाया. उन्हें एचसीएल दिया हमने. आने वाले समय में आईटी सेक्टर को बढ़ावा देंगे. बायोटेक्नालाजी में बहुत काम होना जरूरी है. हमारी ट्रेडिशनल सेक्टर जैसे कृषि है या मेडिकल है इसमें बायो टेक्नालाजी के बहुत इस्तेमाल की जरूरत है. चाहे नई चीजें आ रही हैं जैसे पालीमर है या प्लास्टिक है. यह सब उसी से जुड़ा हुआ है. लेकिन जब तक हम इन पर काम नहीं करेगे तब तक दुनिया का मुकाबला नहीं कर सकते. इसलिए जरूरी है कि दुनिया ने जो परिवर्तन लाया है उससे सीख कर उसे खुद लागू करें. 
आपने लैपटाप बांटा था क्या मोबाइल भी देने की योजना है इस बार? 
मैंने मोबाइल देने के बारे में सोचा था. रजिस्ट्रेशन भी कराया था उस बारे में लेकिन लैपटाप वाली योजना तो रहेगी हमारी. मोबाइल पर विचार करेंगे. हमारे मुख्यमंत्री जी जो आजकल हैं वे लैपटाप चलाना नहीं जानते. इसलिए उन्होंने घोषणा पत्र में तो लिखा लेकिन दिया नहीं. 
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा से कैसे मुकाबला करेंगे? क्या कोई अखबार, चैनल वगैरह शुरू करेंगे? पार्टी संगठन को बढ़ाएंगे?  
अभी कुछ नहीं है समाजवादी बुलेटिन चलती है हमारी. उसके माध्यम से काउंटर कर रहे हैं हम लोग.  
चुनौती बड़ी है तो क्या इतने से काम बनेगा?  
लगातार पहले किया था आगे भी करेंगे लेकिन चुनाव करीब आ गया है. इसलिए अभी तो उसी की तैयारी करनी होगी. इसलिए बहुत सी चीजें नहीं कर पाएंगे.अब तो सीधा चुनाव में ही जाना पड़ेगा. 
क्या आप जाति आधारित जनगणना का समर्थन करेंगे?  
जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए. क्योंकि इससे नीतियां बनाने में सुविधा होती है. हर जाति यह सोचती है कि हम आबादी में ज्यादा हैं इसलिए भ्रम रहता है. पाल समाज से पूछो तो वह कहेगा कि हम यादवों से ज्यादा हैं. यादव समाज कहता है कि हम उनसे ज्यादा हैं. कुर्मी कहता है कि हम यादवों से ज्यादा हैं. मौर्य कहता है हम कुर्मी से ज्यादा हैं. एक बार हो जाए तो नीति बनाने में बड़ा आराम रहेगा.  
जाति के आधार पर तो वोट पड़ता ही है. उससे राजनीतिक दलों को घबराने की जरूरत नहीं है. नेशनल पार्टियां घबराती हैं इसको लेकर. जैसे कि कांग्रेस पार्टी ने कराया लेकिन इसके आंकड़ों को जारी नहीं किया. भाजपा ने भी नहीं जारी किया. उनको पता है कि कौन सी जाति कितनी है पर बताते नहीं. लेकिन वे उसका इस्तेमाल कर रहे हैं.  
आजकल उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण वोटों के लिए मारामारी है. ब्राह्मण भाजपा से नाराज बताए जाते हैं. बहुजन समाज पार्टी प्रदेश में ब्राह्मण सम्मेलन कर रही है और कह रही है वह उन्हें इंसाफ दिलाएगी. उसका कहना है कि ब्राह्मण समाज के लिए जो कुछ किया है उसने किया है. समाजवादी पार्टी ने कुछ नहीं किया. आपकी पार्टी भी प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन करा रही है ब्राह्मणों के लिए. इस वर्ग के बारे में आपकी सरकार ने क्या काम किया है जिसके आधार पर आप इनके मतों पर दावा कर सकते हैं?  
आदरणीय नेताजी(मुलायम सिंह यादव)ने पहली बार परशुराम जयंती की छुट्टी की घोषणा की लेकिन मायावती जी ने उसे अपनी सरकार आते ही रद्द कर दिया. हमारी सरकार ने संस्कृत विद्यालयों को ग्रांट इन एड की सूची में दर्ज कराया. इसके तहत लगभग 200 विद्यालयों को लाभ हुआ. हमने अपने कार्यकाल में वाराणसी के संस्कृत विश्वविद्यालय को करोड़ों रुपए का अनुदान दिया. यह संस्कृत के विकास के लिए था. हमने श्रवण कुमार तीर्थयात्रा का आयोजन किया. इन योजनाओं से हजारों गरीब ब्राह्मणों को लाभ हुआ. लैपटाप योजना से भी ज्यादातर लाभ ब्राह्मण बिरादरी को पहुंचा क्योंकि वे पढ़ाई लिखाई में आगे हैं. समाजवादी पार्टी बिना भेदभाव के समाज के सभी वर्गों के लिए काम करती है. इसलिए किसी की उपेक्षा करने का सवाल ही नहीं है.  
 

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