भारत में कौन लाया था जलकुंभी का पौधा !

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

भारत में कौन लाया था जलकुंभी का पौधा !

डॉ शारिक़ अहमद ख़ान 
गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स की पत्नी मैरी हेस्टिंग्स सबसे पहले बंगाल में जलकुंभी का पौधा लेकर आयीं और उन्होंने इसे सजावटी पौधे के तौर पर अपने बंगले के तालाब में लगाया.धीरे-धीरे जलकुंभी पूरे बंगाल में फैल गई और मछलियों समेत बंगालियों की जान की आफ़त बन गई.कुछ समय बाद जलकुंभी पूरे देश के फैल चुकी थी और अब नदियों समेत गाँव-गाँव के पोखरों तक ख़ुद को फैला चुकी है. 
नदियों से मज़दूरों द्वारा जलकुंभी की सफ़ाई के नाम पर हर साल सरकार के करोड़ों रूपयों के वारे-न्यारे होते हैं.जो ठेकेदार जलकुंभी की सफ़ाई का ज़िम्मा लेते हैं उनको उत्तम लाभ होता है,ज़रा सी जलकुंभी साफ़ कर शेष जलकुंभी को आगे बहा देते  हैं,वहाँ अगला ठेकेदार लूटो-खाओ का खेल खेलता है.वो जब जलकुंभी निवारण के लिए आयी रक़म को धरकर गड़ेस चुकता है तो आगे वालों की लूट के लिए जलकुंभी को नदी में बहा देता है.ये क्रम चलता रहता है. 
जलकुंभी यूँ तो वैसे भी बहती रहती है लेकिन इसकी नाल ढीली करने पर इसका प्रवाह तेज़ हो जाता है.एक तरह से देखा जाए तो इसी बहाने कुछ लोगों को रोज़गार मिल जाता है और सरकार के कुबेर जैसे कोष से ग़रीब मज़दूरों को कुछ तड़ी-ताबड़ी हो जाती है.कुछ दिनों में जलकुंभी फिर उग आती है.जलकुंभी नौ से बारह दिन में ख़ुद को दोगुना कर सकती है.जलकुंभी इतनी तेज़ी से बढ़ती है कि जलकुंभी का एक पौधा ही क़रीब एक बरस में लगभग एक एकड़ के ताल में फैल सकता है. 
जलकुंभी को फलने-फूलने के लिए जैसा वातावरण चाहिए वैसा भारत का वातावरण है.ऐसा नहीं कि जलकुंभी बिल्कुल बेकार की चीज़ है.जलकुंभी प्रदूषण नियंत्रण भी करती है और कैडमियम निकेल और मरकरी तक को सोख लेती है.इसके नुकसान ये हैं कि जलकुंभी से पानी में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है,मछलियाँ मरने लगती हैं.जलकुंभी ताल में है तो जल्दी ही ताल सूखने लगता है और मच्छर तेज़ी से पनपते हैं. 
जलकुंभी खाने वाले सुरसुरी कीट जलकुंभी से भरे ताल-पोखर में सरकार पहले डलवाती थी जो जलकुंभी के दुश्मन होते हैं,कीट जलकुंभी को अंदर से चट कर जाते हैं जलकुंभी सूख जाती है.आज सुबह मेरे कैमरे से ली गई इस तस्वीर में जलकुंभी साफ़ करने की मशीन नज़र आ रही है जो लखनऊ में गोमती नदी में चल रही है,इस मशीन से जलकुंभी को तेज़ी से साफ़ किया जा सकता है.लेकिन ये मशीन हर ज़िले में नहीं होती,वहाँ परंपरागत रूप से मज़दूरों को ही जलकुंभी निवारण के काम में लगाया जाता है. 


 

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :