और कितना जलील होंगे जगदानंद सिंह, राजद का कलह गहराया

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और कितना जलील होंगे जगदानंद सिंह, राजद का कलह गहराया

फ़ज़ल इमाम मल्लिक 
राष्ट्रीय जनता दल में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. बिहार में नीतीश कुमार सरकार को गिराने और उखाड़ फेंकने का दावा करने वाला राजद में आंतरिक कलह से परेशान है. विरासत को लेकर मारामारी तो है ही, पुराने और वरिष्ठ नेताओं को अपमानित करने का सिलसिला भी चल रहा है. लालू यादव के बड़े बेटे हैं तेजप्रताप यादव. वे खुद को लालू यादव ही कहते हैं. सभा-समारोहों में उनके ही अंदाज में बोलते-बतियाते हैं लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि लालू यादव के वे पासंग भी नहीं हैं. लालू यादव सियासत के रंग को समझते भी थे और पहचानते भी थे लेकिन तेजप्रताप को न राजनीतिक समझ है और न ही सियासी शऊर. वे लालू की कितनी भी नकल कर लें वे लालू यादव नहीं बन सकते. वे लगातार पार्टी के लिए परेशानी का सबब बनते रहे हैं. सियासत के नाम पर उनके पास कुछ है तो बस लालू यादव का नाम और उनका बेटा होना. इसका उन्हें दंभ है और इस दंभ की वजह से ही वे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को अपमानित करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं. पार्टी के कद्दावर नेता और प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को वे लगातार जलील कर रहे हैं. इससे पार्टी में टकराव बढ़ा है. लालू यादव के बेटे होने की वजह से पार्टी उन पर कार्रवाई से बच रही है लेकिन जगदानंद सिंह तेजप्रताप के रवैये से आहत हैं. पार्टी कार्यालय भी आना उन्होंने छोड़ दिया है. कुछ दिनों पहले उनके इस्तीफे की खबर भी आई थी लेकिन फिर लालू यादव ने मान-मनौव्वल कर उन्हें इस्तीफा देने से रोक लिया. लेकिन तेजप्रताप से टकराव बढ़ गया है. राजद सूत्रों की मानें तो जगदानंद सिंह अब और बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं. वे जल्द ही पद से इस्तीफा दे सकते हैं. कहा तो यह भी जा रहा है कि राजद ने नए प्रदेश अध्यक्ष के नामों पर विचार करना शुरू भी कर दिया है. कई नाम इस दौड़ में हैं लेकिन वे भी अध्यक्ष बनने से कतरा रहे हैं और उसकी वजह तेजप्रताप हैं. अपनी सनक में वे कब किसे अपमानित कर दें, कोई नहीं जानता. इसलिए फिलहाल राजद इस पर चुप्पी साधे हुए है. राजद कार्यालय में भी सन्नाटा पसरा है. तेजप्रताप के मसले पर राजद के धुरंधर प्रवक्ताओं की बोलती बंद है. जगदानंद सिह के साथ-साथ तेजप्रताप के पोस्टरों से भी राजद में हलचल है. इसे विरासत की जंग के तौर पर देखा जा रहा है. 

हालांकि राजद के इस कलह को खत्म करने की कोशिशें की गईं और की जा भी रहीं हैं. लालू यादव ही नहीं तेजस्वी यादव भी जगदानंद सिंह और तेजप्रताप यादव के बीच सुलह-सफाई के लिए पूरी कोशिश में लगे हैं. मामला शांत होता ही है कि तेजप्रताप फिर कुछ ऐसा बोल देते हैं जिससे सारी कोशिशों पर पानी फिर जाता है. पुराने जख्म ताजा ही थे कि तेजप्रताप ने जगदानंद सिंह को फिर भरी सभा में जलील किया. तेजप्रताप ने उन्हें हिटलर बताया और कहा कि हैं लेकिन किसी को यह नहीं समझना चाहिए कि कुर्सी उसकी बपौती नहीं होती है. जाहिर है कि यह भाषा अमर्यादित है और जगदानंद इससे तिलमिलाए हुए हैं. कई दिनों से वे दफ्तर नहीं आ रहे हैं. राजद कार्यालय वीरान है और जो एकाध-नेता हैं वह इस मुद्दे पर बोलने-बतियाने से कतरा रहे हैं. तेजप्रताप यादव ने छात्र राजद की बैठक में कहा कि हमारी पार्टी का कोई भी कार्यक्रम हो उसमें सिस्टम बनाया जा रहा है. जैसे कि हमारे प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद जी है, वे भी पूरा सिस्टम बना रहे हैं, हिटलर की तरह बोलेंगे, सब जगह जाकर. पहले जब वे पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आते थे और अब आते हैं तो जमीन आसमान का फर्क नजर आता है. पहले पार्टी कार्यालय का गेट खुला रहता था, जब मेरे पिता जी यहां रहते थे. जब हमारे पिता जी को विरोधी लोग फंसा कर जेल भेज दिया, तब से कुछ लोग मनमानी करने लगे हैं. लेकिन हम किसी की मनमानी नहीं चलने देंगे. कुर्सी किसी की बपौती नहीं है. कुर्सी किसी का नहीं रहा है. 

तेजप्रताप पहले भी जगदानंद सिंह को बेइज्जत करते रहे हैं. राजद के स्थापना दिवस पर भी मंच से ही तेजप्रताप ने जगदानंद सिंह का मजाक उड़ाया था. ताजा घटनाक्रम के बाद जगदानंद सिंह ने एक तरह से तय कर लिया है कि वे अब अपने पद पर नहीं रहेंगे. तेजप्रताप ने लालू यादव के पुराने साथी रहे स्व. रघुवंश सिंह को लेकर भी अशोभनीय टिप्पणी की थी. उसके बाद रघुवंश सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. 

लेकिन विवाद और भी हैं. जिन छात्र राजद की बैठक में तेजप्रताप ने जगदानंद सिंह को अपमानित किया, उसके होर्डिंग को लेकर भी विवाद पनपा. इस विवाद को विरासत से जोड़ कर देखा जा रहा है. इससे लालू यादव के परिवार की मुश्किल फिर सामने आई है और अंदरूनी टकराव सामने आगया है. पटना में पार्टी के प्रदेश कार्यालय के बाहर छात्र राजद के बड़े पोहोर्डिंग  में तेजस्‍वी यादव की तस्‍वीर नहीं थी. उसमें तेजप्रताप यादव की बड़ी तस्‍वीर के अलावा लालू यादव, राबड़ी देवी और एक छात्र नेता की तस्‍वीर लगी थी, लेकिन तेजस्‍वी नहीं थे. जगदानंद सिंह की तस्‍वीर तो पार्टी दफ्तर के पोस्‍टरों में कम ही नजर आती है. जाहिर है कि इसे लेकर विवाद पनपा. बात बढ़ी तो तेजप्रताप ने सफाई दी कि तेजस्‍वी मेरे दिल में हैं. लेकिन मामला तब गरमा गया जब तेजप्रताप यादव की तस्‍वीर वाले होर्डिंग पर कालिख पोत दी गई और इसके ठीक बाद उसे उतार कर नया होर्डिंग लगाया गया. नए होर्डिंग में तेजस्‍वी यादव तो लौटे लेकिन अब तेजप्रताप गायब हो गए. जाहिर है कि इसे लेकर जदयू और भाजपा मजे ले रहा है. सियासी नजरिये से भी इसे देखा जा रहा है. सियासत होनी थी हो भी रही है है. राजद के बिहार कार्यालय के सामने लगा तेज प्रताप यादव का बड़ा होर्डिंग केवल दो दिन रहा, लेकिन इसने बिहार की सियासत में हलचल मचा डाला. रविवार की रात को किसी ने इस होर्डिंग पर कालिख पोत दी. सोमवार की सुबह तक यह होर्डिंग उतार दिया गया. अब पार्टी दफ्तर के बाहर फिर से नया होर्डिंग लग गया है और इसमें से तेज प्रताप यादव गायब हैं. इसमें तेजस्‍वी यादव, लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की ही तस्‍वीरें लगी हैं. बहरहाल इस पूरे एपीसोड से राजद का कलह सामे आया है. राजद उस शख्‍स का पता लगाने में जुटा है, जिसने होर्डिंग पर कालिख पोती. यूं तेजप्रताप यादव लालू यादव की पार्टी में अपनी उपेक्षा से दुखी भी रहते हैं. इसका इजहार वे खुल कर करते हैं. वे कहते हैं कि उनकी पार्टी में छोटे भाई तेजस्‍वी को तो मुख्‍यमंत्री के चेहरे के तौर पर दिखाया जाता है, लेकिन पार्टी के कई नेता उन्हें तवज्जो नहीं देते हैं. वैसे होर्डिंग की बात चली तो राजद ही नहीं जदयू का एक होर्डिंग भी चर्चा में है. केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह 16 अगस्त को पटना आ रहे हैं. उनकी अवगानी में लगे होर्डिंगों से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की फोटो नहीं लगाए जाने पर भी खूब सियासत हो रही है. लोग इसे जदयू की खेमेबंदी से जोड़ कर देख रहे हैं और जिन अभय कुशवाहा ने यह होर्डिंग लगाया है उन्हें लेकर कहा जा रहा है कि उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सत्ता को चुनौती दे डाली है. 

 
 

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