जदयू में शक्ति प्रदर्शन बनाम शक्ति प्रदर्शन का खेल

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जदयू में शक्ति प्रदर्शन बनाम शक्ति प्रदर्शन का खेल

फजल इमाम मल्लिक 
बिहार में सियासी घमासान मचा है. सत्ताधारी जदयू में भी और मुख्य विपक्षी दल राजद में भी. घमासान बयानों में भी है और होर्डिंगों में भी. पहले राजद में बवाल मचा. लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने होर्डिंग लगवाया तो उसमें तेजस्वी यादव की फोटो नहीं थी. इसे लेकर बवाल मचा. होर्डिंग हटाया गया. किसी ने तेजप्रताप वाले होर्डिंग पर कालिख पोत दी. फिर उस होर्डिंग को हटा कर दूसरा होर्डिंग लगा. उसमें तेजस्वी तो लौट आए, लेकिन तेजप्रताप गायब हो गए. तेजप्रताप यादव के होर्डिंग की गूंज खत्म भी नहीं हुई थी कि सत्ताधारी जदयू के होर्डिंग ने सियासी तूफान खड़ा कर डाला. मामला सत्ताधारी दल से है तो इसकी धमक दूर तक और देर तक सुनाई दे रही है. दरअसल ललन सिंह के जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद जदयू में एक लकीर साफ खिंची दिख रही है. आरसीपी सिंह पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. वे केंद्रीय मंत्री बन गए तो उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटना पड़ा. ललन सिंह की ताजपोशी से आरसीपी सिंह और उनके समर्थक खुश नहीं दिखे. लेकिन फैसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का था तो किसी ने चूं नहीं की. वे छह अगस्त को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार पटना आए तो उनका भव्य स्वागत हुआ. एअरपोर्ट से उनका मीलों लंबा काफिला पटना की परिक्रमा करता हुआ पार्टी कार्यालय पहुंचा. ललन समर्थकों के इस जोरदार स्वागत को दरअसल शक्ति प्रदर्शन माना गया और इसे जदयू में आरसीपी सिंह के युग की समाप्ति और ललन युग के उदय के तौर पर देखा गया या ऐसा जताने की कोशिश हुई. वैसे इससे यह संदेश तो गया ही कि अब जदयू में ललन सिंह का सिक्का चलेगा. जाहिर है कि आरसीपी सिंह को यह बात पसंद नहीं आई होगी. इसलिए अब उनके समर्थक शक्ति प्रदर्शन का जवाब शक्ति प्रदर्शन से देने की तैयारी में लगे हैं. 

आरसीपी सिंह 16 अगस्त को पटना आ रहे हैं. उनकी अवगानी में लगे होर्डिंगों से पटना को पाट दिया गया है लेकिन उनमें पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की फोटो नहीं लगाए जाने पर भी खूब बवाल मचा. इसे जदयू की खेमेबंदी से जोड़ कर देखा गया और यह गलत भी नहीं है. जदयू के पूर्व विधायक और प्रदेश पदाधिकारी हैं अभय कुशवाहा. वे विवादों में भी रहे हैं. बार बालाओं के साथ पोल डांस का उनका वीडियो वायरल हुआ था तो खूब चर्चा में रहे थे. एक बार फिर वह वीडियो वायरल हो रहा है क्योंकि उन्होंने जदयू के ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ टिप्पणी की. उन्हें नेता मानने से इनकार किया. हालांकि बाद में अभय कुशवाहा ने कुछ जगहों पर नया होर्डिंग लगा कर ललन सिंह की फोटो तो लगा दी लेकिन उपेंद्र कुशवाहा की नहीं लगाई. जिन अभय कुशवाहा ने यह होर्डिंग लगाया है उन्हें लेकर कहा जा रहा है कि उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सत्ता को चुनौती दे डाली है. 

सवाल यह है कि अभय कुशवाहा क्या इतने वजनदार या दमदार नेता हैं जो नीतीश कुमार या ललन सिंह को चुनौती दे सकें. जवाब है नहीं. तो जाहिर है कि उनके सर पर आरसीपी सिंह का हाथ है. सच तो यह है कि अभी जदयू संगठन में आरसीपी सिंह के चाहने वाले ज्यादा हैं जो ललन सिंह या उपेंद्र कुशवाहा के वर्चस्व को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं. लेकिन उनकी दिक्कत यह है कि वे नीतीश कुमार से टकराव मोल नहीं ले सकते हैं. जदयू में बने रहना है तो देर-सवेर ललन सिंह जिंदाबाद का नारा उन्हें लगाना ही होगा. हालांकि गुटबाजी या खेमेबंदी को लेकर जदयू का कोई भी नेता कुछ नहीं बोल रहा है. लेकिन अभय कुशवाहा के बयान से अधिकांश नेता सहमत नहीं हैं. उनका मानना है कि देर-सवेर अभय कुशवाहा पर गाज गिरनी तय है. नीतीश के खासमखास पूर्व विधायक श्यामबहादुर सिंह तो खुल कर कहते हैं कि ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा, नीतीश कुमार की पसंद हैं. इसलिए पार्टी में उन दोनों नेताओं को चुनौती देने का मतलब नीतीश कुमार को चुनौती देना है. जो ऐसा कर रहे हैं वे पार्टी छोड़ सकते हैं. 

वैसे पार्टी के दिग्गज नेता खुल कर कुछ भी कहने से गुरेज कर रहे हैं. किसी तरह के विवाद से वे इनकार कर रहे हैं लेकिन सच्चाई वह नहीं है जो वे बयान कर रहे हैं. पटना में शक्ति प्रदर्शन का जवाब शक्ति प्रदर्शन से देने की तैयारी हो रही है. पटना को होर्डिगों से पाट दिया गया है और पटना के सड़कों-चौराहों पर लगे इन होर्डिंगों से पार्टी में चल रहे खींचतान को समझा जा सकता है.जदयू नेता भले ही इस बात से इनकार करें कि पार्टी में सब कुछ ठीक है लेकिन सच तो यह है कि पार्टी में ललन सिंह बनाम आरसीपी सिंह के बीच वर्चस्‍व की लड़ाई जगजाहिर है. ललन सिंह पहली बार पटना पहुंचे थे. उनके स्वागत में जिस तरह से शहर में पोस्टर लगे और हवाई अड्डे से लेकर पार्टी के प्रदेश कार्यालय तक भीड़ उमड़ी उसने एक बड़ी लकीर खींची. अब पार्टी के आरसीपी सिंह के स्वागत को ले भी पार्टी के कुछ लोग बड़े स्तर पर तैयारी कर रहे हैं. 


आरसीपी सिंह के स्वागत में बने बड़े होर्डिंग पिछले दिनों पार्टी दफ्तर के बाहर लगाया गया था. उसमें ललन सिंह की तस्वीर व नाम नजर नहीं आने के बाद थोड़ी तल्खी आई, लेकिन फ्लेक्स लगाने वाले व्यक्ति के माफी मांगने के बाद मामला शांत हो गया. वह शांति शायद तात्कालिक थी. अब फिर से बड़ी संख्या में नए पोस्टर व फ्लेक्स पटना के कई हिस्सों में दिख रहे हैं. पटना के पुनाईचक मोड़ पर फ्लेक्स की बड़ी शृंखला दिखाई दे रही है. बेली रोड में स्ट्रीट लाइट के पोल के ऊपर दो-दो छोटे होर्डिंग लगाए गए हैं. आर ब्लाक और आयकर गोलंबर से पार्टी दफ्तर तक पोस्टर दिख रहे हैं. साफ है कि अभी से यह बताया जा रहा है कि 16 अगस्‍त के लिए क्या तैयारी है. हालांकि आरसीपी सिंह ने अपने समर्थकों को यह संदेश दिया है कि उनके कार्यक्रम को स्वागत समारोह न कहा जाए. बल्कि यह कहा जाए कि वे पार्टी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं से मिलने आ रहे हैं. तय कार्यक्रम के अनुसार पार्टी दफ्तर में उनका संबोधन भी होगा. 

कार्यक्रम की तैयारी में लगे जदयू के लोगों का कहना है कि 16 अगस्त को दोपहर 12 बजे के करीब आरसीपी पहुंचेंगे. समर्थकों का बड़ा जत्था उनका स्वागत करेगा और काफिले की शक्ल में वे पार्टी दफ्तर पहुंचेंगे. अगले दिन वे अपने गांव जाएंगे. आरसीपी सिंह के समर्थकों ने बिहार के दूसरे जिलों से लोगों को लाने का इंतजाम भी किया है. आरसीपी सिंह की तसवीर लगी पंद्रह हजार से ज्यादा टीशर्ट बनवाए गए हैं और दस हजार लोगों के भोजन की तैयारी की जा रही है. तैयारी पर आरसीपी के समर्थक नजर रख रहे हैं और पिछले सात-आठ महीनों में संगठन पर आरसीपी सिंह ने अपने लोगों को लाकर बिठा दिया था इसका फायदा उन्हें मिल रहा है क्योंकि प्रदेश कमेटी से लेकर सभी प्रकोष्ठों को निर्देश दिया गया है कि इंतजाम में ही नहीं तामझाम में कोई चूक न हो. मतलब आरसीपी सिंह का स्वागत ललन सिंह से इक्कीस हो उन्नीस नहीं. वैसे पार्टी के ज्यादातर नेता इस शक्ति प्रदर्शन को सही नहीं मान रहे हैं. उनका मानना है कि इसका असर पार्टी पर पड़ेगा. उनका मानना है कि नीतीश कुमार को हस्तक्षेप करना चाहिए और शक्ति प्रदर्शन के इस खेल पर विराम लगाने के लिए उन्हें न सिर्फ पहल करनी चाहिए बल्कि अभय सिंह जैसे नेताओं के खिलाफ कार्रवाई कर दूसरे नेताओं को भी कड़ा संदेश देना चाहिए. 
 

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