डा शारिक़ अहमद ख़ान
आज राजीव गाँधी की जयंती है और अफ़ग़ानिस्तान की चर्चा है तो याद आया कि एक वक़्त ऐसा था जब अफ़ग़ानियों का बॉम्बे अंडरवर्ल्ड पर क़ब्ज़ा था और अफ़ग़ानिस्तान के कुनार सूबे में जन्मे अब्दुल करीम शेर ख़ान उर्फ़ करीम लाला पठान का बॉम्बे के अंडरवर्ल्ड पर एकछत्र राज था.करीम लाला पठान पहले बॉम्बे की गोदी में नौकरी करता था,उसका परिवार भिंडी बाज़ार में रहता.बाद में करीम लाला ने अफ़ग़ानिस्तान के पठानों का गैंग बनाया और सेठों द्वारा लोगों दिए गए उधार की वसूली का सिंडिकेट चलाने लगा.बाद में स्मगलिंग करने लगा और अपना ख़ुद का अंडरवर्ल्ड गैंग बना लिया.करीम लाला के गैंग के सदस्य अफ़ग़ानी हुआ करते जो अपने भारी डील-डौल की वजह के दुश्मन पर भारी पड़ते.दूसरों की तरह ये स्वचालित हथियारों का कम इस्तेमाल करते और सिर्फ़ पीटकर या टांग पकड़कर चीरकर या चाकू मारकर विरोधी का क़त्ल करते.करीम लाला सोने और इलेक्ट्रानिक्स समेत कई चीज़ों की भी स्मगलिंग करता.हाजी मस्तान और वरदराजन मुदलियार उसके समकालीन थे लेकिन ये आपस में कभी नहीं झगड़ते.करीम लाला के पास होटलों की चेन 'करीम्स' भी थी जो अपने स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए मशहूर थी.जुमे के दिन पठान गैंग के सभी सदस्यों को करीम लाला के साथ ही दस्तरख़्वान शेयर करना होता और करीम्स से नान रोटियाँ बनकर आतीं.करीम्स से आयीं ये नान रोटियाँ कई मीटर व्यास की हुआ करतीं.भोजन की व्यवस्था किसी बड़ी मेज़ या चटाई बिछे किसी दस्तरख़्वान पर नहीं होती बल्कि पठानों की स्टाइल में कम ऊँचाई की मेज़ों पर होती जिसके किनारे दो-जानू बैठकर भोजन करना होता.करीम लाला पठान के ऊपर कई बार पुलिस ने हाथ डालना चाहा लेकिन क्योंकि करीम लाला को सियासी संरक्षण हासिल था लिहाज़ा कोई उसका कुछ बिगाड़ नहीं पाया.नेहरू और इंदिरा गाँधी के ख़ास वीके कृष्ण मेनन का करीम लाला से ख़ास संबंध था और इंदिरा गाँधी भी करीम लाला से मिलती रहतीं.बाल ठाकरे के साथ भी करीम लाला को देखा जाता.जब करीम लाला की उम्र हो गई तो अमीरज़ादा आलमबेग पठान नाम का एक और पठान डॉन उभरा.दाऊद इब्राहिम भी तब लाइमलाइट में आ चुका था और अमीरज़ादा आलमबेग़ का विरोधी था.दाऊद के भाई की हत्या प्रभादेवी के पेट्रोल पंप पर अमीरज़ादा आलमबेग़ ने करा दी और इसका बदला लेने के लिए दाऊद ने डेविड परदेसी नाम के अपने शूटर से भरी अदालत में अमीरज़ादा आलमबेग़ को शूट करवा दिया.डेविड परदेसी पकड़ा गया लेकिन बाद में जेल तोड़कर फ़िल्मी स्टाइल में भाग गया.दाऊद को एक बार करीम लाला का भतीजा समद ख़ान करीम होटल की नानरोटी की विशाल भट्ठी में झोंकने जा रहा था लेकिन करीम लाला ने बीच-बचाव करवा दिया.अब दाऊद ने करीम लाला के भतीजे समद ख़ान को ठिकाने लगाने की ठानी.समद ख़ान को दाऊद के गैंग के इक़बाल ने कार के बोनट पर बैठकर फ़िल्मी स्टाइल में पहली गोली मारी थी.गोलियों समद ख़ान की गाड़ी बिल्कुल झन्ना हो गई थी.समद ख़ान के मरने के बाद लगा कि बॉम्बे में एक बार फिर गैंगवार होगी और दाऊद को करीम लाला मार गिराएगा.लेकिन करीम लाला शांत हो गया,वो बूढ़ा हो चला था.उसका गैंग टूट गया और करीम लाला ने अपना ध्यान होटल 'करीम्स' की चेन में लगाया जिसकी दुबई समेत बहुत जगह ब्रांच थी.करीम लाला चैरिटी भी करने लगा.बुज़ुर्ग़ हो करीम लाला अपनी मौत मरा और बॉम्बे के अफ़ग़ानिस्तानी पठान गैंग का अंत हो गया.करीम लाला के इंदिरा गांधी के बाद राजीव गाँधी से अच्छे संबंध थे वो राजीव गाँधी का भव्य स्वागत करता और उनके साथ मंच शेयर करता.तस्वीर में करीम लाला और राजीव गाँधी.
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