मोदी के समर्थकों में अभूतपूर्व गिरावट

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

मोदी के समर्थकों में अभूतपूर्व गिरावट

डा रवि यादव  
इंडिया टुडे के मूड आफ द नेशन सर्वे में अगस्त 21 में पीएम मोदी को बतौर पीएम 24 फ़ीसदी लोगों ने पहली पसंद बताया है . अगस्त 20 में मोदी 66 फ़ीसदी लोगों की पहली पसंद थे इसका अर्थ है एक साल में मोदी के समर्थकों में अभूतपूर्व गिरावट आई है सिर्फ़ एक तिहाई समर्थक ही अब उन्हें पसंद कर रहे है .दूसरी तरफ़ इसी सर्वे में यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ को बतौर वैकल्पिक पीएम 12फ़ीसदी लोग पसंद करते है पिछले साल अगस्त में उनको चाहने वालों की संख्या महज़ 3 फ़ीसदी थी . 
चूँकि यूपी विधान सभा चुनाव नज़दीक है तो यूपी के मुख्यमंत्री की लोकप्रियता में वृद्धि को समर्थक मीडिया , सोशल मीडिया और समर्थकों द्वारा जमकर उछाला जा रहा है . सर्वे की प्रमाणिकता पर कोई सबाल न उठाते हुए भी क्या यह बताने की आवश्यकता है कि योगी आदित्यनाथ को पसंद करने वाले 11 फीसद लोग भी तो उन्ही 24 फीसद में से ही है जो मोदी जी को पसंद करते है . 
अब देखते है योगी जी की वे उपलब्धियाँ जिनके कारण उनकी लोकप्रियता बड़ी है और उनकी तुलना पीएम मोदी से की जाने लगी है . मेरे मत में हिंदुत्व / आरक्षण जैसे कुछ सामाजिक व मनोवैज्ञानिक प्रतीकात्मक कारण है जिन्हें योगी जी ने संवेदनाओ और लोकतांत्रिक मर्यादाओं की परवाह किए बिना प्रचारित किया है . 
लेकिन जितनी चित्ताकर्षक तस्वीर बताई जा रही है वैसी है नहीं . सरकार के क्रियाकलाप बेहद निराशाजनक ही नहीं चिंताजनक भी रहे है . 
आर्थिक मोर्चे पर सरकार बुरी तरह असफल सिद्ध हुई है .योगी जी ने वित्त वर्ष 2016 -17 की समाप्ति पर 19 मार्च 2017 को मुख्य मंत्री पद की सपथ ली थी 2016-17 में यूपी की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 10.87 थी जो योगी के कार्यकाल में लगातार घटती हुई 2017-18 में 7.24 फीसद , 2018-19 में 5.3 फीसद और 2019-20 में 4.38 फीसद पर पहुँच गई . उसके बाद कोरोना काल में वृद्धि दर बात ही क्या करना लोगों के जीवन को बचाने के लिए भी सरकार कभी गम्भीर प्रयास करते नहीं दिखाई दी . कोरोना के एक साल से अधिक समय में दूसरी लहर के प्रचंड वेग के शुरू होने तक प्रदेश स्तर पर संयोजन /निर्देशन के लिए किसी विशेषज्ञ दल तक का गठन नहीं किया गया . अचानक तालाबंदी में पैदल चलते भूखे प्यासे मज़दूरो को किसने नहीं देखा ? अस्पताल , दवा , ऑक्सीजन की कमी से तड़प तड़प कर दम तोड़ते नागरिकों के इलाज का जितना प्रबंध किया जा सकता था वह भी नहीं किया गया . हाईकोर्ट को ग़लत सूचना देकर गुमराह करने की बेशर्म कौसिस की गई कि प्रदेश में अस्पताल, बेड ,आक्सीजन , दवा की कोई कमी नहीं है .कोर्ट ने सरकार द्वारा बताए गए ख़ाली बेड वाले अस्पतालों को फ़ोन लगाकर पूछा तो सरकार के दावों की पोल खुल गई . हाईकोर्ट ने सरकार को फटकारते हुए “यूपी को राम भरोसे” बताया . 
मगर सरकार के काम करने के तरीक़े में कोई सुधार नहीं हुआ . लोगों को अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियाँ तक न मिल सकी और उन्हें गंगा में बहाया गया या गंगा किनारे बालू में दवा दिया गया . राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फ़ज़ीहत हुई किंतु सरकार ने संवेदना दिखाते हुए प्रबंधन का कोई प्रयास न कर फिर सूचनाए छुपाने पर अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल किया और दफ़राए गए मृतकों के कफ़न नोचने का काम किया . 
विकास पर बहुत बड़े बड़े दावों की हक़ीक़त ये है कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के अलावा एक भी परियोजना इस सरकार की यूपी में नहीं दिखाई देती जिसपर काम हो रहा हो . उस पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का भी हाल ये है कि उस पर निर्माण से अधिक मरम्मत का काम हो रहा है . पाँच साल होने को है प्रदेश को एक यूनिट बिजली की कोई वृद्धि परियोजना इस सरकार ने नहीं दी है . 
लोकतंत्र के प्रति सरकार की आस्था का हाल ये है कि विपक्ष के कार्यकर्ताओ पर हज़ारों मुक़दमे राजनैतिक द्वेष में लगाए गए है . 02 अप्रेल 2018 को दलित एक्ट में संशोधन के लिए दलितों के भारत बंद में सहभागिता कर रहे हज़ारों निर्दोष दलितों पर विभिन्न धाराओं में मुक़दमे हुए . सीएए आंदोलनकारियों पर अनावश्यक सख़्ती ही नहीं की उनके पोस्टर दीवारों पर लगाए गए .किसान आंदोलन से भी उसी तरह निपटा गया , कँटीलेतार और सड़क में कीलें ठोककर , पानी विजली आपूर्ति रोककर सरकार ने आंदोलन को कुचलने का कुचक्र चला जो सफल नहीं हुआ तो पुलिसकार्यवाही की गई परिणाम उल्टा हुआ आंदोलन दमन से और भी अधिक मुखर हो उठा . 
योगी सरकार देश की पहली सरकार है जिसने भाजपा नेता पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद पर लगा बलात्कार का केस वापस लिया और फिर से जब चिन्मयानन्द पर ही दूसरी महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया तो फिर सरकारी तंत्र पर पक्षपात के आरोप लगे . 
योगी सरकार देश की पहली सरकार है जिसने मुख्यमंत्री के ऊपर लगे केस वापस लिए . 
प्रदेश की पहली घटना थी जब एक दलित लड़की की अस्मिता से खिलवाड़ ही नहीं हुई इलाज के अभाव में मरने को मजबूर होना पड़ा और सत्ता के इशारे पर उसे गरिमापूर्ण अंतिम संस्कार से महरूम कर रात में जला दिया गया .प्रदेश के एडीजी द्वारा प्रेस को बताया गया कि बलात्कार नहीं हुआ है और डीएम हाथरस का पीडिता के परिवार को धमकाते हुए विडीओ वाइरल हुआ . 
प्रदेश में पहली घटना थी जब किसी एसएसपी (सहारनपुर )  के घर में घुस कर गुंडागीरी हुई ,धमकाया गया और धमकाने वाला कोई चिन्हित अपराधी नहीं सत्ताधारी दल का सांसद था . 
प्रदेश में पहली घटना थी जब किसी एसपी ने (इटावा ) आरोप लगाया हो कि सत्ताधारी दल के लोगों ने मुझे थप्पड़ मारा और वे लोग बम लेकर आए थे . 
प्रदेश में पहली घटना थी जब पुलिस पंचायत चुनाव में विरोधी पार्टी के प्रत्याशियों के पर्चे फाड़ रही थी . पुलिस के सामने महिला प्रत्याशियों की साढ़ी खींचकर उतार दी गई . 
प्रदेश में पहली घटना थी जब एक सीडीओ ने पंचायत चुनाव में सत्तादल के समर्थन में लाठी से पत्रकार को दोढ़ा कर पीटा . 
प्रदेश में पहली घटना थी जब उन्नाव का विधायक कुलदीप सिंह सेंगर एक लड़की द्वारा पुलिस ,कोर्ट और मुख्यमंत्री आवास पर आत्मदाह की कोसिस करने के बाद भी एक साल से अधिक समय तक लड़की और उसके परिवार को तबाह करता रहा . 
योगी जी एक ऐसे मुख्य मंत्री बन चुके है जिनके आवास के बाहर आत्मदाह की कोसिस की घटनाएँ किसी भी अन्य मुख्य मंत्री  के कार्यकाल से अधिक हुई है . 
योगी जी एक ऐसे मुख्य मंत्री भी बन चुके है जिनके कार्यकाल में पुलिसअभिरक्षा में हुई मौतों में यूपी का हिस्सा 24 फीसद है . 
इतने पर भी उनकी लोकप्रियता अगर लगातार बढ़ रही है तो शायद कुछ लोगों को उनकी असफलता , निरंकुशता , आलोकतांत्रिक आचरण , ग़ैरसंवेदनशीलता और मिथ्या प्रचार में कोई मशीहा दिखाई देता हो किंतु प्रदेश की प्रबुद्ध जनता शायद सही समय पर सही फ़ैसला लेगी .. 
 

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