योगी के विज्ञापन पर इतना हंगामा क्यों ?

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

योगी के विज्ञापन पर इतना हंगामा क्यों ?

रवि यादव  
बंगाल के माँ फ़्लाई ओवर की तस्वीर लगा उसे बदलते यूपी के प्रतीक के रूप में दिखाते यूपी सरकार के विज्ञापन पर सोशल मीडिया पर हंगामा हो रहा है .  
लगता है लोग भूल रहे है भाजपा पार्टी विद डिफेरेंस का दावा करती रही है और संदेह नहीं भाजपा पार्टी विद डिफेरेंस थी और है भी . आप सकारात्मक डिफेरेंस की उम्मीद करते है तो यह ग़लती आपकी है . 
संघ जिस बहादुरी से अनैतिकता का महिमामंडन करता रहा है किसी लोकतंत्र में उस तरह का उदाहरण मिलना मुश्किल है .उस संगठन की कोख से जन्मी पार्टी से , नाथूराम गोडसे द्वारा गांधी की हत्या के कारणो को सदा से जायज मानने वाले संगठन से प्रेरणा प्राप्त पार्टी से नैतिकता की उम्मीद ख़ुद को छलावा देने से अधिक कुछ नहीं हो सकता .  
जिस विचारधारा ने धर्म और संस्कृति के नाम पर हिंसा , हत्या और दंगोॉ के आरोपियों का महिमामंडन करने से कभी गुरेज़ नहीं किया . उसके छोटे से झूठ से इतना परहेज़ क्यों ? दक्षिणपंथी संगठन से जुड़े सैकड़ों लोगों को चिन्हित किया जा सकता है जिन्हें सलाखों के पीछे होना चाहिए था मगर देश में क़ानून के शासन के अभाव और सत्ता प्रतिष्ठानो में बैठे जन्म आधारित वर्गीय गौरव के प्रति निष्ठावान नौकरशाहों के कारण वे अपराधी न केवल समाज का हिस्सा बने रहे है बल्कि सम्मानित भी होते रहे है . जैसे जैसे संघ मज़बूत होता गया उसी अनुपात में वह अढे हुए नैतिकता के प्रति अपने न्यूनतम आग्रह से दूर होता गया .  
बाबरी ढाँचे के विध्वंस के आरोपियों को हिंदू हृदय सम्राट के सम्मान से नवाज़ा गया , जनवरी 99 में उड़ीसा में कुष्ठ रोगियों की सेवा करने वाले एक पादरी ग्राहम स्टेंस की दो बच्चों सहित जलाकर निर्मम हत्या को दक्षिणपंथी संगठनों ने धर्म रक्षा का नाम दिया था . वर्तमान दशक में यह सिलसिला और अधिक बढ गया है .दिसम्बर 2017 में राजसमंद , राजस्थान में बंगाल से मज़दूरी करने आए शंभू लाल रैगर ने एक निरपराध व्यक्ति को कुल्हाड़ी से काटा और ख़ुद ही वीडियो भी जारी किया . शम्भुलाल के पक्ष में दक्षिण पंथी संगठनों ने सड़कों पर प्रदर्शन किया , सैकड़ों लोगों ने लाखों रुपए चंदा दिया और रामनवमी को राम की शोभायात्रा में उसके फ़ोटो राम के साथ लगाकर उसे हिंदुत्व का नया पोस्टरबॉय , मशीहा और धर्म रक्षक बनाने का प्रयास किया .  
कठुआ में आठ वर्षीय बच्ची से दरिंदगी के आरोपियों को मिली सज़ा राहत भरी ख़बर है , इससे पीड़ित साधनहीन लोगों का न्याय के प्रति विश्वास मजबूत होगा . मगर इस प्रकरण में भाजपा और उसके अनुसंगिक संगठनों के द्वारा आरोपियों के बचाव में किया गया प्रदर्शन , दल से जुड़े वकीलों द्वारा क्राइमब्रांच को चार्जशीट दाख़िल करने से रोकना आरोपियों के समर्थन में मंत्रियों का उतरना आजाद भारत की पहली घटना थी जिसमें एक राजनैतिक संगठन ने बलात्कारियों/ हत्यारों का खुलकर साथ दिया और पूरे मामले को धार्मिक रूप दिया . किसी अन्य पार्टी संगठन की इतनी हिम्मत है क्या ? नहीं तो मानिए भाजपा पार्टी विद डिफेरेंस है . 
जुझारू पत्रकार गौरी लंकेश की नृशंस हत्या पर सूरत के व्यापारी निखिल दधीच द्वारा जो ट्विटर पर हिंदूमहानायक द्वारा फ़ॉलो किया जाता है कुतिया लिखना दक्षिणपंथी जमात के नैतिकता के प्रति आग्रह को दर्शाने के लिए काफ़ी है . 
हाथरस में पिछले ही वर्ष एक दलित लड़की के रेप , फिर इलाज के अभाव में मौत के बाद आधी रात जलाया गया के केस में सीबीआई ने चार्जसीट में माना कि चारों आरोपियों ने गैंग रेप किया , मारा ,पीटा , गला दबाया जिससे पीडिता की मौत हुई .इस हाथरस केस को मुख्यमंत्री ने अन्तर्राष्ट्रीय साज़िश कहा , पार्टी संगठन , क्षेत्रीय विधायक जिस तर बलात्कारियों के पक्ष में खड़े हुए , किसी अन्य पार्टी संगठन की इतनी हिम्मत है क्या ? नहीं तो मानिए भाजपा पार्टी विद डिफेरेंस है . 
हर पार्टी में चोर , लुटेरे , बलात्कारी , भ्रष्ट मिल सकते है , क़ानून के शिकंजे में फ़सने पर इंडिविजूअल लेबल पर उनकी मदद भी सभी पार्टियाँ करती रही है किंतु एक संगठन के तौर पर इस तरह के अपराधियों का बिना शर्म खुल्लम -खुल्ला सहयोग , समर्थन , धरना , प्रदर्शन , महिमामंडन करने का साहस भाजपा के अतिरिक्त किसी दल का नहीं है अतः भाजपा को पार्टी विद डिफेरेंस कहने का हक है . 
बुलन्दशहर में गाय काटकर दंगा कराने का षणयंत्र पार्टी के अनुसंगिक संगठनों के ज़िलाअध्यक्षों द्वारा किया गया , षड्यंत्र करने वाले , एसआई सुबोध सिंह के हत्यारों को पार्टी पुनः पदाधिकारी बना देती है .किसी अन्य पार्टी संगठन की इतनी हिम्मत है क्या ? नहीं तो मानिए भाजपा पार्टी विद डिफेरेंस है .

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