उर्मिलेश
हमारे कांग्रेसी सूत्र बता रहे हैं कि चरणजीत सिंह चन्नी का चयन राहुल गांधी ने किया. पंजाब के कांग्रेसी विधायकों ने पहले ही मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए आलाकमान को अधिकृत कर दिया था. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस बारे में आज दोपहर राहुल गांधी से विचार-विमर्श किया. चन्नी को राहुल पहले से जानते थे. राहुल से उनकी पहली मुलाकात वर्षों पहले राजस्थान के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सी पी जोशी ने कराई थी. चन्नी 48 वर्ष के हैं. आलाकमान ने इस बार मुख्यमंत्री के रूप में युवा चेहरा तय करते समय कोई संकोच नहीं किया. सन् 2018 में नेतृत्व ने युवा चेहरों को दरकिनार कर राजस्थान और मध्यप्रदेश में बुजुर्ग और अनुभवी नेताओं को आगे किया था. मध्यप्रदेश में तो कमलनाथ की सरकार ही चली गयी. युवा-बग़ावत के बादल राजस्थान में भी उमड़े पर अशोक गहलोत का राजनीतिक प्रबंधन बेहतर रहा.
पंजाब के पार्टी-फैसले में अतीत से सबक लेने की कोशिश दिखाई देती है. कांग्रेस नेतृत्व ने दलित सिख समुदाय के चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर साहसिक कदम उठाया है. ये बात सही है कि वह कुछ विवादों में भी रहे हैं लेकिन पार्टी ने उन्हीं को सबसे उपयुक्त समझा.
जाट सिख समुदाय से आने वाले नवजोत सिंह सिद्धू को पहले ही पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा चुका है. अगर सिद्धू और चन्नी, दोनों मिलकर काम करते हैं तो वे अकाली दल-बसपा गठबंधन की चुनौती का अच्छी तरह मुकाबला कर सकते हैं. अब अमरिन्दर सिंह के लिए एक दलित सिख समुदाय से आने वाले मुख्यमंत्री का विरोध करना मुश्किल हो जायेगा. यह पहलू कांग्रेस के लिए फायदेमंद होगा.
पंजाब में भारतीय जनता पार्टी के लिए अब 2022 के चुनाव में खाता खोलने का संकट रहेगा. सन् 2017 के चुनाव में उसने अकाली दल की कृपा से 3 सीटें हासिल की थीं. अमरिन्दर के लिए भाजपा का खुलकर साथ देना अब उतना आसान नहीं होगा.साभार फ़ेसबुक से
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