धनंजय सिंह
ढाई सौ एकड़ में फैला ,सरकारी बोर्डिंग स्कूल्स में देश का नम्बर वन मसूरी का ओकग्रोव स्कूल जो आज तक रेल मंत्रालय के अधीन था.वैसे देश में 95 रेलवे स्कूल हैं जिनमें अधिकांश की छतें टपकती हैं और प्लास्टर उखड़े हुए हैं इसलिए अब उन्हें सेन्ट्रल स्कूल संगठन,राज्य सरकारें या प्राइवेट व्यापारी चलाएंगे. तुलनात्मक रूप से बहुत कम फीस में ,ओकग्रोव देश के तमाम निजी बोर्डिंग स्कूलों में भी अलग पहचान रखता है जिसके पुराने छात्रों के संगठन लंडन ,कैनबरा,ऑकलैंड में भी हैं.लालू प्रसाद के अधीन भी इस स्कूल पर आँच नहीं आई.
खैर !लखनऊ में रहने वाले रिटायर ले कर्नल सुरेश चंद्र वर्मा जी के पिता जी रेलवे में 'गुड्स क्लर्क' से कैरियर शुरू किये थे और अन्य पाँच भाई भी इसी स्कूल से थे. बताते हैं की उन्हें अंग्रेजी का एक शब्द नहीं आता था जब बक्से पर काला पेंट करके पिताजी ने सफ़ेद पेंट से '‘Suresh Verma, Oak Grove Junior School, Jharipani.'' लिख कर इलाहाबाद में ट्रेन पर बैठाया. सुरेश वर्मा जी के दो भाई, मेजर जीसी वर्मा (डोगरा) 6 sept.1965 पूँछ सेक्टर और मेजर जेसी वर्मा (राजपूत) 19sept.1965 को सियालकोट में शहीद हुए(उन्मादी लोग युद्ध की कीमत इस परिवार को ध्यान में रख कर सोचें )मैं क्यों याद दिला रहा हूँ ?
15 अगस्त 1947 के दिन यानी आज़ादी के उत्सव के दिन सुरेश वर्मा जी के स्कूल के बच्चे झड़ीपानी (वो एरिया जहाँ स्कूल है) में रोड मार्च कर रहे थे की सड़क के किनारे खड़े एक अँगरेज़ ने कहा -“How will you bloody Indians run this country?" खैर,स्कूल में फंक्शन हुआ,चीफ गेस्ट महाराज नेपाल जो मसूरी में ही निर्वासित थे,ने लड्डू बाँटे लेकिन उस अँगरेज़ की बात आज इस उमर तक उनके दिमाग से निकली नहीं है.जाहिर है ओकग्रोव कोई बड़ा व्यापारी ही लेगा और फिर हम इतिहास में याद रखेंगे,वही इतिहास सुना है जिसे बिगाड़ कर पढ़ाया जाता रहा है......... इति !
(मेजर गौरव माथुर ने कभी सुरेश जी के बारे में लिखा था,कंटेंट उन्ही का)
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