आलोक कुमार
पटना. कमला भसीन भारत और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में नारीवादी आंदोलन की प्रमुख आवाज़ रहीं थीं.75 वर्षीय कमला भसीन लैंगिक समानता, शिक्षा, ग़रीबी-उन्मूलन, मानवाधिकार और दक्षिण एशिया में शांति जैसे मुद्दों पर 1970 से लगातार सक्रिय रही थीं.
यह भारत और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में महिला आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका है.विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने जीवन का जश्न मनाया. सत्तर के दशक की नारी आंदोलन की उपज थीं नारीवादी महिला चिन्तक कमला भसीन. उन्होंने सरल शब्दों में महिलाओं व बच्चों को जागृत करने की सामग्री तैयार की गीत गाए व जागरण की।उनके अधूरे कामों को आगे बढ़ाना उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
ऐपवा कोरस के बैनर तले आज कालिदास रंगालय में प्रसिद्ध नारीवादी महिला चिन्तक कमला भसीन की श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया.सभा की अध्यक्षता प्रोफेसर भारती एस कुमार एवं संचालन ऐपवा महासचिव मीना तिवारी ने किया.सभा को कोर्स की सचिव समता राय , ऐपवा अध्यक्ष सरोज चौबे, कोरस की अवनि, सोनी, साफ्टवेयर इंजीनियर ,नेहा, रजनी, सहयोगी वीमेंस स्टडी से आकांक्षा, दिव्या गौतम,अनु रेशमा ने संशोधित किया.
कार्यक्रम में ऐपवा राज्य सचिव शशि यादव, सह सचिव अनिता सिंहा, अभ्युदय आदि उपस्थित रहे.वक्ताओं ने कहा कि वे सत्तर के दशक की नारी आंदोलन की उपज थीं और उन्होंने सरल शब्दों में महिलाओं व बच्चों को जागृत करने की सामग्री तैयार की गीत गाए व जागरण की. उनके अधूरे कामों को आगे बढ़ाना उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
दबी कुचली महिलाओं के लिए धरातल पर काम करने वालीं और नारीवादी लेखिका कमला भसीन ने दुनिया को अलविदा कह दिया.उनके निधन महिलावादी लेखक, संगठन और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं में शोक की लहर है.अकसर टेलीविजन चैनलों पर अपनी बात मुखर ढंग से कहने वालीं कमला भसीन उम्र के आखिर दौर में भी बेहद सक्रिय थीं. सामाजिक सगंठनों का कहना है कि कमला भसीन के जाने से महिलावादी आंदोलन सहित सभी जन आंदोलनों की अपूरणीय क्षति हुई है.
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