क्या अपराध प्रदेश में बदल गया है यूपी

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क्या अपराध प्रदेश में बदल गया है यूपी

डा. रवि यादव 
योजनाओं शहरों सड़कों भवनो के नाम बदलना मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ  का प्रमुख शग़ल और उपलब्धि रही है जिसमें सिर्फ़ नाम बदला जाता है अन्य स्थितियाँ ज्यों की त्यों बनी रहती है लेकिन अभी तक उन्होंने उत्तर प्रदेश का नाम औचारिक रूप से न बदलते हुए भी  उसे अपराध प्रदेश में बदल दिया है . 
भारतीय संविधान के अनुसार पुलिस का काम किसी भी अपराध की विवेचना कर साक्ष्य एकत्र करना व उपलब्ध साक्ष्यों के आलोक में न्यायालय में आरोप पत्र देना है ताकि तदनुसार न्यायालय दोषी को सज़ा दे किंतु योगी सरकार ने बिना विवेचना किए बग़ैर साक्ष्य जुटाए किसी भी व्यक्ति को सीधे मृत्युदंड देने / एनकाउंटर का अधिकार पुलिस को दे दिया है . स्वयं मुख्य मंत्री इस नीति की घोषणा सदन में और जन सभाओं में करते रहे है जिसे ठोको नीति के नाम से जाना जाता है . भाजपा समर्थक और मीडिया द्वारा इस नीति का महिमामंडन किया जाता रहा है . 
घोषित रूप से ठोको नीति या एनकाउंटर नीति अपराधियों के विरुद्ध अभियान बताया जाता है किंतु अभी तक हुए एनकाउंटर में जिनते अपराधियों को पुलिस द्वारा मारा गया बताया गया है उससे अधिक संख्या उनलोगों की है जिनके एनकाउंटर पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सवाल उठा चुका है .यूपी सरकार के दावे के अनुसार योगी जी के साढ़े चार साल के कार्य काल में 8472 एनकाउंटर में 146 अपराधी मारे गए और 3000 घायल हुए .  इन 146 में कई के बारे में सिटीज़न अगेन्स्ट हेट और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग भी यूपी सरकार के फ़र्ज़ी एनकाउंटर पर सवाल उठा चुका है . सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्टीकरण माँगा किंतु योगी सरकार की नीति में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला . क्योंकि उसके कट्टर समर्थक इसे उपलब्धि मानते है .इसके अलावा दर्जनो निरपराध लोग पुलिस अभिरक्षा में पुलिस प्रताड़ना का शिकार हुए है . जन. 2020 में एक आईपीएस अधिकारी ने आईपीएस अधिकारियों की ट्रांसफ़र पोस्टिंग में रिश्वत लेने का आरोप पाँच वरिष्ठ अधिकारियों पर लगाया था , जिन्हें उस समय निलम्बित कर दिया गया था अब उन्हें भी कल नई तैनाती दे दी गई है . जहाँ अधिकारियों की नियुक्ति रिश्वत देकर होगी तो वे रिश्वत में दिए गए धन और सम्भावित पोस्टिंग के लिए धन इकट्ठा करेंगे ही और एनकाउंटर को उपलब्धि बताया जाएगा जिसके आधार पर प्रोन्नति मिलेगी तो पुलिस के दोनो हाथो में लड्डू है रिश्वत देगा तो धन मिलेगा नहीं देगा तो एनकाउंटर कर सीआर अच्छा किया जाएगा . 
सरकार की एनकाउंटर नीति पुलिस के लिए धन वसूली का माध्यम बन चुकी है - 
लखनऊ में एप्पल कम्पनी के मैनेजर विवेक तिवारी की हत्या से शुरू हुआ पुलिस बर्बरता का सिलसिला कम होने  के बजाय बढ़ता ही गया .कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की धन उगाही के लिए पुलिस प्रताड़ना से हुई मौत तक पहुँचने से पहले अनेक पड़ाव पार किए है . 
महोबा के एक व्यपरी इंद्रमणि त्रिपाठी का वीडियो वाइरल हुआ जिसमें उन्होंने पुलिस अधीक्षक पर रिश्वत माँगने व न देने पर जान से मार देने का आरोप लगाया . उसके बाद उनकी हत्या हो गई .झाँसी के 28 वर्षीय युवक पुष्पेंद्र यादव की हत्या में भी परिजनों ने रिश्वत का आरोप लगाया था .नॉएडा में एक जिम ट्रेनर को गोली मारने की घटना हो या बदायूं में बृजेश मौर्या की हत्या हो या इलाहाबाद में पिंटू पटेल की , आजमगढ़ में मुकेश राजभर की ,गोरखपुर में अशोक निषाद की,मेरठ में प्रदीप तोमर की हत्या हो या गाज़ियाबाद में सुमित गुज्जर की हत्या । 
पुलिस की गोली से या अभिरक्षा में प्रताड़ना से मरने वाले दलित और मुस्लिम की संख्या का अनुमान भी लगाना संभव नहीं है . आँकड़ो से बाज़ीगरी करने वाली और आँकड़ो से ख़ौफ़ज़दा रहने वाली सरकार उनकी संख्या भी क्यों रखेगी जो उसके लिए बदनामी का कारण बन सकते है . 
एक तरफ़ जिस प्रदेश में  लड़कियों की बलात्कार के बाद हत्याएँ आम घटना बन चुकी हो और आधी रात मिट्टी का तेल डालकर जला देने की घटना को सामान्य मान लिया जाय . जिस प्रदेश में  निर्दोष नागरिकों की पुलिस की गोली से हत्याएँ एक प्रचलन बन चुका हो . जहाँ सत्ता दल के सांसद को दौड़ाकर ज़मीन पर गिराकर लातों से पीटा जाता हो , विधायक का कुर्ताफाड़कर दौड़ाया जाता हो , एम पी अपनी ही पार्टी के विधायक को भरी मीटिंग जूते से, थप्पड़ से मारे वहाँ की सरकार यदि अपराध पर अंकुश लगाने का दावा करे  और बड़े बड़े बोर्ड लगाकर अपराधमुक्त प्रदेश का राग अलापे तो यह सिर्फ़ हास्यास्पद या विडम्बना नहीं है . यह उस प्रदेश के लोगों की राजनैतिक , सामाजिक , बौद्धिक चेतना का अपमान है . 
पुलिस  निर्दोष नागरिकों को मार रही है , तो दूसरी तरफ़ कई पुलिस वाले भी सत्ता प्रतिष्ठान में पहुँच रखने वालों द्वारा प्रताड़ित हुए . सहारनपुर में तो वहाँ के एमपी पर ही वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के घर में घुस कर अभद्रता का आरोप लगा . बुलन्दशहर में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध सिंह का हत्यारा हो या इटावा के एसपी को पंचायत चुनाव में थप्पड़ मारने वाला आज सत्तादल केआँगन की शोभा बड़ा रहे है . सरकार का कोई अख़लाक़ नहीं है , प्रदेशवासियों का अख़लाक़ जगेगा ? 
 

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