डा रवि यादव
भाजपा को 2007 के विधान सभा चुनाव में 16.9 फीसद और 2012 में 15 फीसद वोट मिला , उसके 57 फीसद उम्मीदवार अपनी ज़मानत तक न बचा सके थे लेकिन 2017 विधान सभा के चुनाव में 25 फीसद अतिरिक्त वोट जुटाते हुए 39.7 फीसद वोट प्राप्त कर प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने में कामयाब रही .
भाजपा के वोट में 25 फीसद की अप्रत्याशित बृद्धि के कारणों में भाजपा द्वारा तत्कालीन सपा सरकार पर मुस्लिम - यादव परस्त होने , क़ानून व्यवस्था के ख़राब होने , ग़ैर यादव पिछड़ों का हक़ मारने , भस्टाचार होने और विकास के मोर्चे पर असफल रहने के आरोपो पर जनता का विश्वास करना मुख्य था . इसे दूसरे शब्दों में कह सकते है कि यूपी मे 15 फीसद आधार वोट वाली भाजपा को 25 फीसद अन्य लोगों ने इस शर्त पर संविदा पर पाँच साल के लिए चुना कि उनको न्यायोचित प्रतिनिधित्व , अधिक विकास के माध्यम से अधिक रोज़गार , दो गुना आय , सुरक्षित वातावरण और भ्रष्टाचार मुक्त निष्पक्ष प्रशासन उपलब्ध कराया जाएगा . न खाऊँगा न खाने दूँगा , नोटबंदी को भ्रष्टाचार ख़त्म करने और ग़रीब हित के लिए उठाया गया महान काम कहकर प्रचारित किया गया .प्रधानमंत्री का सम्बोधन ग़रीब चैन की नीद सो रहा है और अमीर टेक्स चोर बेचैन है ने नोट बंदी को ग़रीबी अमीर की लड़ाई बदल दिया जिसमें भाजपा सरकार ग़रीब के लिए लड़ रही है प्रचारित किया गया .
तो क्या वे शर्तें / आश्वासन पूरे हुए है जिनके आधार पर परम्परागत के अतिरिक्त नए 25 फीसद लोग भाजपा के साथ बने रहने के लिए आश्वस्त हो सके और वे एक वार फिर भाजपा को चुनें .कुछ मुख्य दावों / वादों की कसौटियों पर यूपी सरकार के निष्पादन को परखे तो स्थिति स्पष्ट हो सकती है .
क़ानून व्यवस्था में पक्षपात
उन्नाव में लड़की की इज़्ज़त लूटने वाला खुला घूम रहा था और पीडिता के परिवार को पुलिस ने जेल भेजा , पीडिता के पिता की पुलिस से पिटाई के कारण मृत्यु हो गई , फिर पीडिता को ट्रक से कुचलने का प्रयास किया गया और पूरी सरकार अपराधी विधायक के साथ खड़ी रही .देश में पहली बार किसीका बलात्कार का केस सरकार ने वापस लिया सत्तादल के धर्माधिकारी ,राजनेता ,प्रोफ़ेशनल बलात्कारी ने फिर एक लड़की को शिकार बनाया तो पीडिता और उसके परिवार को पुलिस ने जेल भेजा बलात्कारी को कोर्ट के आदेश के बाद अरेस्ट तो किया गया मगर अस्पताल में ऐश कराया गया .हाथरस में लड़की की इज़्ज़त लूटने वालों के पक्ष में सत्ता दल और सरकारी मशीनरी खुलकर खड़े हो गए और पीडिता का इलाज के अभाव निधन हो गया तो आधी रात मिट्टी का तेल छिड़क कर जला दिया .प्रदेश में पहली बार मुख्यमंत्री के जिले में पुलिस ने धनउगाही रैकेट चलाया , धन न मिलने पर रात में जगाकर एक युवा व्यापारी की पीटपीट कर हत्या कर दी . डीजीपी , एसपी और डीएम हत्यारों के पक्ष में खड़े दिखाई दिए तो सरकार डीजीपी , एसपी और डीएम के पक्ष में .प्रदेश में पहलीवार एक मंत्रीपुत्र द्वारा किसानों को थार से कुचला गया और सरकार ढीठता से मंत्री के साथ खड़ी रही .
पंचायत चुनाव में विपक्षी महिला प्रत्याशियों से पुलिस की अभद्रता , व्यापारी इंद्रमणि त्रिपाठी की हत्या का आरोप पुलिस पर ,अयोध्या में बैंक कर्मी महिला के सुसाइट में आरोप पुलिस पर सहित दर्जनो इरादतन हत्याएँ योगी राज में पुलिस पर है जो क़ानून व्यवस्था के बदतर होने की गवाही है .
विकास-
नाम बदलने के लिए पहचान बना चुके मुख्य मंत्री ने समाज में बर्जित एक शब्द को सार्वजनिक रूप से लाइव प्रसारण में बोलकर उसे समाज में बोलने लायक “एएनआई “ कर दिया है , इसके अलावा अन्य एक भी काम ऐसा नहीं जो प्रदेश सरकार के द्वारा शुरू किया गया और पूर्ण हो चुका हो .
भ्रष्टाचार-
भ्रष्टाचार का आलम ये है कि मुख्यमंत्री के गृह जनपद में पुलिस इक्स्टॉर्शन रैकेट संचालित है , न्योछावर न मिलने पर पुलिस पीटपीट कर हत्या कर देती है .सरकार की सबसे महत्वकांक्षी परियोजना कुम्भ में सीएजी रिपोर्ट के अनुसार करोड़ों का घपला हुआ है , स्कूटी से मिट्टी डालने का ट्रेक्टर का काम कराया गया है .ऊर्जा विभाग में 400 रुपए का पीएफ़ घोटाला किया गया और धर्म और आस्था के प्रतीक राममंदिर निर्माण में करोड़ों का भूमि ख़रीद बिक्री घोटाला हो चुका है, निर्माण में अभी क्या होगा राम ही जाने .कोरोना काल में चिकित्सा उपकरणो में घोटाले के आरोप भी सभी जानते है , शिक्षा विभाग में वेग और स्वेटर तक में कमीशन लिया गया .सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 21 में नॉएडा एथोरिटी को भ्रष्टाचार का दलदल बताया .
नॉएडा में नियुक्त एक आईपीएस अधिकारी ने जिले में नियुक्ति के लिए उच्च स्तर पर रेट तय होने का आरोप लगाया .
गवरनेंस
जो सरकार कोरोना मरीज़ों को अस्पताल, ऑक्सीजन और दबाएँ न दे सकी , मरने पर लकड़ी, कफ़न और गरिमापूर्ण अंतिम संस्कार न दे सकी फिर नाकामी छुपाने के लिए जिसने कफ़न नुचवा लिए हो गवरनेंस की बात ही बेमानी लगती है .
ग़ैर यादव पिछड़ों और ग़ैर जाटव दलितों को प्रतिनिधित्व:
यू तो कई जातियों के नेताओ का नाम चुनाव जीतने पर मुख्यमंत्री के रूप में उछाला गया था जिनमे प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का नाम सबसे ऊपर था मगर जब मुख्यमंत्री चुनने का समय आया तो कही नाम न होने के बाद भी योगी आदित्य नाथ को मुख्य मंत्री बना दिया गया, श्री मौर्य न केवल मुख्य मंत्री नहीं बन सके , उन्हें कई अवसरों पर अपमानित किया गया ,स्टूल पर बैठने के लिए मजबूर किया गया , उनके फ़र्ज़ी प्रमाणपत्र और भ्रष्टाचार के मामले स्वयं पार्टी समर्थक विशेष ग्रूप द्वारा उछाले गए . पिछड़े वर्ग से ही प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए श्री स्वतंत्र देव सिंह का भी स्टूल पर बैठे फ़ोटो वाइरल हुआ . यह सिर्फ़ संयोग नहीं था . केशव प्रसाद मोर्या के अपमान और अन्य भी किसी पिछड़े वर्ग के नेता को सरकार में महत्व नहीं मिला , राम मंदिर आंदोलन के हीरो विनय कटियार की उपेक्षा और संतोष गांगवार को मंत्रिमंडल से बाहर करने के अलावा राममंदिर ट्रस्ट में एक भी पिछड़े को जगह न मिलने से रही सही कसर भी पूरी कर दी . शिक्षक भर्ती सहित एक भी विभाग की नियुक्तियों में पिछड़ों को पहले से प्राप्त आरक्षण का पालन नहीं किया गया . पिछड़ा वर्ग आयोग की अपत्तियो तक को नज़रंदाज़ कर पिछड़ों को अधिकार से वंचित किया गया . हज़ारों दलितों पिछड़ों को सामाजिक और पुलिस उत्पीड़न झेलना पढ़ा . दर्जनो युवाओं को फ़र्ज़ी मुठभेड़ में पुलिस ने मार गिराया मगर किसी दलित पिछड़ें के परिवार को सवर्णो की तरह न मुआवजा मिला न अनुकंपा नियुक्ति . परिणामस्वरूप सम्पूर्ण पिछड़ा वर्ग निराश , हताश तो हुआ ही वह ग़ुस्से में है .
2017 के चुनाव में आधार वोटर के अतिरिक्त 25% जिन शर्तों /आश्वासनों/ उम्मीदों पर भाजपा के साथ आया था वे पूरी नहीं हुई , जिस तरह भाजपा के राकेश राठौर सहित बीएसपी कांग्रेस के तमाम दलित पिछड़े समाजवादी पार्टी में शामिल हो रहे है उससे उत्तर प्रदेश के दलित पिछड़े मतदाताओं के मूड का पता चलता है जो योगी जी को स्पष्ट संकेत है कि –
जुस्तजू तेरे शिवा किसी और की है हमें
जैसे दुनियाँ में तेरा कोई शानी भी है .
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