चंचल
७७ का वाकया है . हम दिल्ली में थे . काफी हाउस जा रहे थे पैदल . उग्रसेन सिंह के साथ .साथ में थे गुन्जेश्वरी प्रसाद .हमने उग्रसेन जी ( आजादी के लड़ाई के एक मजे हुए सिपाही ,खांटी समाजवादी , और सांसद ) से कहा हम दो लोगों को विश्वविद्याय बुलाना चाहते चाहते हैं .कृपलानी जी और अच्युत पटवर्धन जी को .उग्रसेन जी रुक गए .खूब जोर का ठहाका लगाए -कृपलानी का एक किस्सा सुन लो -नेता जी (राज नारायण जी ) ने एक बार कृपलानी सेकहा दादा आप अपना प्रोग्राम बी यच यू में दे दीजिए . पता है कृपलानी ने क्या जवाब दिया था ? हाईस्साला एक प्रोग्राम दिया आज तक भुगत रहा हूँ फिर दूसरा भी चाहते हो ? सेन्ट्रल हाल ठहाके गूंज गया . ' जानते हो दादा का इशारा किधर था ? दादा की शादी बि यच यू की टीचर सुचेता मजुमदार से हुई थी ,जो शादी के बाद सुचेता कृपलानी के नाम से प्रसिद्ध हुई . सच बताऊँ ... यह तय नहीं किया जा सकता कि इन दोनों में किसने आजादी की लड़ाई में किसी से कम किया हो . और सबसे मजेदार बात कि दोनों समाजवादी . एक दादा ५० में कांग्रस से बाहर आगये और सुचेता जी कांग्रेस में बने रही. दादा नेहरू के और गांधी के बहुत प्रिय रहे . ५० में जब कांग्रस अध्यक्ष का चुनाव हुआ तो कृपलानी नेहरू के उम्मीदवार थे और टंडन जी पटेल के . दादा बहुत कम ओट से टंडन जी से हार गए . दादा इतिहास का बहुत बड़ा नाम हैभाई ! अब इसी से अंदाज लगाओ कि ४७ भारत की राजनीति का बहुत बड़े बदलाव का वक्त है गांधी जी ज़िंदा है .नेहरू हैं पटेल हैं खान भाई हैं .लोहिया जे पी सब हैं .कांग्रस अपना अध्यक्ष दादा को चुनता है . इतना ही नहीं बहुत कम लोगों को मालुम है जब पहले प्रधान मंत्री के चुनने की बात आयी तो सबसे ज्यादा ओट पटेल को मिला और दूसरे नंबर पर दादा थे .लेकिन बापू ने अपना उत्तराधिकारी नेहरू को बनाया तो दोनों ने अपना नाम वापस ले किया .
बहरहाल हम दादा से मिले .उनदिनो वे राजघाट में रह रहे थे . तबितात ठीक नहीं थी . बोले पहले अच्युत जी को ले जाओ .मै औ गा जरूर . अच्युत जी आये बोले .उनकी तस्वीर है . कभी अच्युत जी के बारे में जरूर लिखूंगा .
दादा !यह पीढ़ी आपको प्रणाम कर रही है .फोटो साभार
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