योगी और मोदी के के खिलाफ एक और मोर्चा

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योगी और मोदी के के खिलाफ एक और मोर्चा

अंबरीश कुमार 

उत्तर प्रदेश में योगी और मोदी के के खिलाफ एक और मोर्चा खुल गया है . अभी तक भाजपा अखिलेश यादव की भारी भीड़ वाली जन सभाओं से और प्रियंका गांधी के हमलों से ही परेशान थी अब राहुल गांधी ने बची खुची कसर भी पूरी कर दी है . उत्तर प्रदेश के गरम होते चुनावी माहौल में राहुल गांधी ने आते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर करारा हमला किया . उनके भाषण की बानगी देखने वाली है . राहुल गांधी ने कहा , कुछ दिन पहले पीएम ने गंगा में स्नान किया. पहली बार मैंने जिंदगी में देखा कि एक आदमी स्वयं गंगा में स्नान कर रहा है.  एक आदमी जाकर स्नान किया, ये पहली बार देखा. योगी जी को हटा दिया, राजनाथ जी को बाहर फेंक दिया.  पूरी दुनिया को देखना है कि एक आदमी अकेला स्नान कर रहा है, और कोई नहीं कर सकता.  आपने सब अपनी आंखों से देखा. जब वे छोटे थे तो मगरमच्छ से लड़ाई लड़ी थी, मुझे तो लगता था कि तैरना ही नहीं आता. 

राहुल गांधी ने आगे कहा ,आजकल देश में हिंदू धर्म की बात की जा रही है.  हिंदू क्या होता है...मैं आपसे सवाल पूछना चाहता हूं.  क्या हिंदू झूठा होता है..? हिंदू का मतलब है वो व्यक्ति जो सच्चाई के सामने पूरा जीवन चलता है, जो डर के सामने सर नहीं झुकाता, जो अपने डर को हिंसा, नफरत और क्रोध में नहीं बदलने देता है, उसे हम हिंदू कहते हैं.  अगर उदाहरण देखना हो तो हमारे पास सबसे बेहतर उदाहरण है महात्मा गांधी.  उन्होंने किताब लिखी, सत्य के साथ मेरे प्रयोग. इस सच्चाई की वजह से उन्हें देश ने महात्मा कहा. 

दूसरी तरफ नाथूराम गोडसे था हिंदुत्ववादी था. उसे किसी ने महात्मा नहीं किया. क्यों गोडसे ने सच बोलने वाले हिंदू की छाती में तीन गोली मारी. क्योंकि नाथूराम गोडसे एक कायर, कमजोर आदमी था और अपने डर का सामना नहीं कर पाया.  उसने अपने डर को क्रोध और नफरत में बदला और सच्चाई बोलने वाले को गोली मार दी. 

राहुल गांधी के यूपी के चुनावी परिदृश्य में आने से कांग्रेस के पक्ष में माहौल तो बना है पर एक दो पद यात्रा से क्या कोई पार्टी जो सत्ता से करीब तीन दशक से बाहर है वह फिर से फिर से खड़ी हो सकती है ?यह सवाल बहुत महत्वपूर्ण हैं . दरअसल उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का संगठन बदल भी रहा है . एक पीढ़ी जा रही है तो दूसरी आ  रही है . विचार भी बदल रहें है तो दिशा भी बदल रही है . उदारीकरण को शुरू करने वाली कांग्रेस पार्टी अब निजीकरण के खिलाफ खड़ी है . वह सरकारी उपक्रमों को बेचे जाने का विरोध कर रही है . दूसरी तरफ स्वदेशी आंदोलन चलाने वाली वाली भारतीय जनता पार्टी ने अब लगता है स्वदेशी का विचार ही छोड़ दिया है . अब उसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों से कोई परहेज नहीं आई . वैसे भी उसकी नीतियां कारपोरेट के पक्ष वाली रहीं है . भाजपा सरकार के राज में कारपोरेट क्षेत्र जमकर फलफूल रहा है . इसी के चलते देश में साल भर से ज्यादा देर तक चलने वाला किसान आंदोलन भी चला .  रेल ,जहाज के निजीकरण की प्रक्रिया तेज हो रही है . भारतीय जीवन बीमा निगम के बाद बैंकों की बारी है . ऐसे में कांग्रेस के बदले हुए रुख से लोगों को उम्मीद भी बंध रही है . किसान आंदोलन को भी कांग्रेस का समर्थन मिला . दूसरे भाजपा ने जिस तरह देश में जगह जगह सांप्रदायिक गोलबंदी को अप्रत्यक्ष समर्थन दिया है उससे अल्पसंख्यक समुदाय भी असुरक्षित महसूस कर रहा है . वह भी कांग्रेस के साथ जाना चाहता है पर वहीं पर जहां कांग्रेस भाजपा को चुनौती देती नजर आती है . यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सभाओं में भीड़ जुट रही है . खासकर प्रियंका गांधी और राहुल गांधी की सभाओं में . पर अभी भी मुख्य मुकाबला भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच ही है . पर प्रियंका गांधी ने पिछले साल भर में जो माहौल बनाया है उसकी वजह से भाजपा सरकार के खिलाफ माहौल बना है . और अब राहुल गांधी के आने के बाद भाजपा के खिलाफ एक नया मोर्चा और खुल गया है . 

पर इस सबके बावजूद कांग्रेस का जमीनी स्तर पर कितना असर पड़ रहा है यह जानना महत्वपूर्ण है . कांग्रेस भले ही दावा करे पर बूथ स्तर पर कांग्रेस के पास फिलहाल वह ताकत नहीं है जो विधानसभा में उसे भाजपा और सपा के मुकाबले में खड़ा कर सके . पर अगर बात 2024 के चुनाव की होगी तो कांग्रेस की यह तैयारी महत्वपूर्ण है . प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में जो माहौल बनाया है उसे अब राहुल गांधी जो धार देंगे उसका असर आगे तक जाएगा . राहुल गांधी इस समय संघ और भाजपा से सीधे मोर्चा लेने वाले राष्ट्रीय स्तर के अकेले नेता हैं . यही उनकी राजनीतिक पूंजी है जो बढ़ती जा रही है . इस मामले में और कोई नेता उनके सामने ठहरता भी नहीं है . इसकी बानगी ऊपर दिए उनके भाषण में देखी जा सकती है . वे यूपी में भाजपा विरोधी अभियान को और तेज कर रहे हैं . इसका अप्रत्यक्ष फायदा तो समाजवादी पार्टी को भी मिलेगा ही . इसलिए राहुल गांधी के अभियान को अलग नजरिए से एखा जाना चाहिए . वैसे भी राहुल गांधी ही वे नेता रहें हैं जिन्होंने 2009 के लोकसभा चुनाव में यूपी में कांग्रेस को सपा ,बसपा और भाजपा के बराबर लाकर खड़ा कर दिया था . तब वे आंदोलन कर रहे थे तो दलितों के घर रुकते थे .  जो अब शायद लोगों को याद भी नहीं है .



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