करीब सात हजार गैर सरकारी संगठनों का एफसीआरए लाइसेंस समाप्त

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करीब सात हजार गैर सरकारी संगठनों का एफसीआरए लाइसेंस समाप्त

आलोक कुमार

पटना.गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से शिखर पर पहुंचकर केंद्र में सत्ता परिवर्तन कर सरकार चलाने वाले पीएम नरेंद्र दामोदरदास मोदी सरकार के पहले पाँच वर्षों में, 14,800 से अधिक गैर सरकारी संगठनों को एफसीआरए नियमों के उल्लंघन के लिए अपंजीकृत किया गया था.गृह मंत्रालय ने अब तक 20,674 लाइसेंस रद्द कर दिए हैं.फिलहाल 22,762 गैर-सरकारी संगठनों के पास एफसीआरए लाइसेंस हैं और लगभग 6,702 संगठनों के लाइसेंस की समय सीमा समाप्त हो गई है.

भारत में करीब 12 हजार से ज्यादा गैर सरकारी संगठनों का एफसीआरए लाइसेंस 31 दिसंबर 2021 को समाप्त हो गया है. गृह मंत्रालय ने शनिवार सुबह, 1 जनवरी 2022 को कहा कि 6,702 से ज्यादा एनजीओ में से अधिकांश ने लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया था.अब भारत में अब केवल 16,829 एनजीओ बचे हैं जिनके पास एफसीआरए लाइसेंस है, जिसे 31 दिसंबर, 2021 (शुक्रवार) को 31 मार्च, 2022 तक के लिए नवीनीकृत कर दिया गया है. एफसीआरए के तहत कुल 22,762 गैर सरकारी संगठन पंजीकृत हैं और इनमें से अब तक 6500 के आवेदन को नवीनीकरण के लिए आगे बढ़ाया गया है.विदेशों से दान और चंदा प्राप्त करने के लिए फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट के तहत स्वयंसेवी संगठनों के लाइसेंस लेना पड़ता है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 25 दिसंबर को एफसीआरए पंजीकरण के नवीनीकरण के लिए मदर टेरेसा द्वारा कोलकाता में स्थापित मिशनरीज ऑफ चैरिटी के आवेदन को पात्रता शर्तों को पूरा नहीं करने के कारण खारिज कर दिया था.मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी का एफसीआरए लाइसेंस रिन्यू नहीं किए जाने के बाद देशभर में करीब 12,000 से ज्यादा गैर सरकारी संगठनों (NGOs) का एफसीआरए लाइसेंस शुक्रवार यानी 31 दिसंबर, 2021 को समाप्त हो गया. गृह मंत्रालय ने शनिवार सुबह कहा कि  6,000+ एनजीओ में से अधिकांश ने लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया था.मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि सभी एनजीओ को शुक्रवार, 31 दिसंबर से पहले FCRA नवीनीकरण के लिए आवेदन करने के लिए रिमाइंडर भेजा गया था, लेकिन कई NGO ने ऐसा नहीं किया. अधिकारी ने कहा, “जब आवेदन ही नहीं किया गया तो, उन्हें अनुमति कैसे दी जा सकती है?”गृह मंत्रालय ने एक बयान में यह भी बताया था कि उसने मिशनरीज ऑफ चैरिटी के किसी खाते से लेनदेन को नहीं रोका है, बल्कि भारतीय स्टेट बैंक ने सूचित किया है कि संस्था ने खुद बैंक को खातों पर रोक लगाने का अनुरोध किया है.

गृह मंत्रालय के इस बयान से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित कई नेताओं ने दावा किया था कि केंद्र सरकार ने मदर टेरेसा द्वारा स्थापित संस्था के सभी बैंक खातों से लेन-देन पर रोक लगा दी है.एफसीआरए के तहत मिशनरीज ऑफ चैरिटी का पंजीकरण 31 अक्तूबर, 2021 तक वैध था. गृह मंत्रालय ने कहा कि वैधता को 31 दिसंबर, 2021 तक बढ़ाया गया था. मिशनरीज ऑफ चैरिटी एक कैथोलिक धार्मिक संस्था है जिसकी स्थापना मदर टेरेसा ने 1950 में की थी.गृह मंत्रालय ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी के एफसीआरए लाइसेंस को नवीनीकृत नहीं करने के लिए “प्रतिकूल इनपुट” का हवाला दिया था. यह चैरिटी पूरे भारत में गरीबों, बीमारों और निराश्रितों के लिए अनाथालय और आश्रयों का संचालन करता है.

विभिन्न संगठनों ने विरोध जताया था

बता दें कि विभिन्न गैर सरकारी संगठन (एनजोओ) के विरोध के बीच लोकसभा में विदेशी अंशदान (योगदान) विधेयक, 2020 को पास कर दिया गया था. 21 सितंबर को पास हुए इस बिल (Foreign Contribution (Regulation) Amendment (FCRA) Bill, 2020) को लेकर विभिन्न संगठनों ने विरोध जताया है. उनका कहना है कि इससे ईमानदारी से काम करने वाले एनजीओ खत्म हो जाएंगे. विदेशी अंशदान (नियमन) कानून (एफसीआरए) में क्या संशोधन किए गए हैं और क्यों इनका विरोध हो रहा है जानिए.

सबसे अहम बदलाव यह किया गया है कि अब किसी भी एनजीओ के पंजीकरण के लिए पदाधिकारियों के आधार नंबर जरूरी होंगे और लोक सेवक के विदेशों से रकम हासिल करने पर पाबंदी होगी. इसमें प्रावधान है कि केंद्र किसी एनजीओ या एसोसिएशन को अपना एफसीआरए प्रमाणपत्र वापस करने की अनुमति दे सकेगा.

सरकार बोली, पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए संशोधन जरूरी

विदेशी अंशदान (योगदान) विधेयक, 2020 (FCRA Bill, 2020) में कहा गया है कि कुल विदेशी कोष का 20 प्रतिशत से ज्यादा प्रशासनिक खर्चे में इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. वर्तमान में यह सीमा 50 प्रतिशत है. बदलाव के लक्ष्य और कारणों के बारे में बताया गया था, ‘विदेशी अंशदान (योगदान) विधेयक 2010 को लोगों या असोसिएशन या कंपनियों द्वारा विदेशी योगदान के इस्तेमाल को नियमित करने के लिए लागू किया गया था. राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाली किसी भी गतिविधि के लिए विदेशी योगदान को लेने या इसके इस्तेमाल पर पाबंदी है.’

यह कानून एक मई 2011 को लागू हुआ था और दो बार इसमें संशोधन हुआ. वित्त कानून की धारा 236 के जरिए पहला संशोधन हुआ और वित्त कानून, 2018 की धारा 220 से दूसरा संशोधन हुआ. इसमें कहा गया है कि हर साल हजारों करोड़ों रुपये के विदेशी योगदान के इस्तेमाल और समाज कल्याण का काम करने वाले ‘वास्तविक’ गैर सरकारी संगठनों या एसोसिएशनों और भुगतान में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए संशोधन किया जाना जरूरी था.

विरोध कर रहे संगठनों का क्या है कहना

बहुत से एनजीओ फिलहाल विदेशी अंशदान (नियमन) कानून (एफसीआरए) में संशोधन का विरोध कर रहे हैं. वॉलेंटरी एक्शन नेटवर्क इंडिया (वानी) ने इसे देश भर में विकास, राहत, वैज्ञानिक शोध और जनसेवा जैसे कामकाज में लगे एनजीओ को खत्म करने वाला कदम बताते हुए कहा कि इस बिल से एनजीओ समुदाय के लिए काम करना मुश्किल हो जाएगा. एनजीओ का कहना है कि बिल में मान लिया गया है कि जो भी एनजीओ विदेश से पैसा ले रहे हैं वे गलत हैं, जबतक वे खुद को सही साबित न कर दें.बता दें कि एफसीआरए के तहत पंजीकृत एनजीओ को 2016-17 और 2018-19 के बीच 58,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का विदेशी कोष मिला. देश में करीब 22,400 एनजीओ हैं.


संस्थाओं के एफसीआरए लाइसेंस जब्त किए गए


जिन संस्थाओं के एफसीआरए लाइसेंस जब्त किए गए हैं, उनमें मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, ऑक्सफैम इंडिया, कॉमन कॉज, इमैनुएल हॉस्पिटल एसोसिएशन और ट्यूबरकुलोसिस एसोसिएशन ऑफ इंडिया, आशा किरण रूरल एजुकेशनल डेवलपमेंट सोसाइटी, चैतन्य रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी, अन्य शामिल हैं.हमदर्द एजुकेशन सोसाइटी, दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क सोसाइटी, जामिया मिलिया इस्लामिया, डीएवी कॉलेज ट्रस्ट एंड मैनेजमेंट सोसाइटी, कोलकाता स्थित सतजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट, इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर (आईआईसीसी), जेएनयू में न्यूक्लियर साइंस सेंटर, इंडिया हैबिटेट सेंटर, लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर वीमेन भी सूची में है.

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