डा रवि यादव
दिल्ली से जम्मू सफ़र के दौरान ट्रेन में कुछ सामाजिक रूप से जागरूक समझने वाले पढ़े लिखे लोगों से बात हो रही थी देश के राजनैतिक हालात पर चर्चा में संक्षेप में उनकी धारणा कुछ इस तरह थी कि भाजपा के अलावा बाकी की राजनीतिक पार्टियां चुनाव के समय ही जनता के बीच सक्रिय होती हैं. लेकिन भाजपा के सहयोगी संगठन हमेशा सक्रिय रहते हैं.
भाजपा ने सैंकड़ों संगठन बनाए हुए हैं , उसके पास हज़ारों सरस्वती शिशु मंदिर हैं. एकल विद्यालय हैं शबरी विद्यालय हैं आईएएस आईपीएस की ट्रेनिंग के लिए संस्थान हैं. भारत की किसी भी राजनीतिक पार्टी का एक भी स्कूल देश में चलता है क्या ? सभी पार्टियां तो सत्ता में रह चुकी हैं आपने क्यों नहीं जनता के बीच ऐसे संस्थान खड़े किए जहां से आप की विचारधारा वाले बच्चे और नौजवान निकलते ?
आज भारत की बड़ी-बड़ी कंपनियों के सीएसआर फन्ड का 90फीसद से ज्यादा पैसा भाजपा आरएसएस और उसके सहयोगी संगठन ले रहे हैं .भाजपा को जिताने के लिए इन संगठनों संस्थानों में लाखों कार्यकर्ता दिन-रात काम कर रहे हैं. यह लोग हिंदू मुस्लिम नफरत फैलाने वाली मानसिकता के लिए ही काम करते हैं.और 5 साल बाद भाजपा के लिए चुनाव में जीतने का रास्ता बनाते हैं .भाजपा का एक पन्ना प्रभारी होता है.नौकरियों से रिटायर्ड लोगों को इस काम में लगाया जाता है. वोटर लिस्ट के एक पन्ने पर जितने मतदाता होते हैं उन सब से वह संपर्क करता है. उनके घर जाता है चाय पीता है हिंदू संस्कृति पर कितना खतरा है ? मुसलमान कितना बड़ा खतरा है ? ऐसी डराने वाली फर्जी बातें करता है और चुनाव के समय भाजपा के लिए वोट डलवाता है. भाजपा के अलावा किसी पार्टी ने कभी मतदाताओं से बिना चुनाव के संपर्क किया है ?
जिस दिन भाजपा की सरकार बनती है वे अगला चुनाव जीतने की रणनीतियां बनाने उस पर काम करने में लग जाते हैं याद कीजिए जब भाजपा विपक्ष में थी तो प्याज का रेट बढ़ने पर , गैस का रेट बढ़ने पर या पेट्रोल का रेट बढ़ने पर किस तरह यह लोग सड़कों पर उतर कर धरने प्रदर्शन करते थे. आज महंगाई बढ़ने पर या किसी भी मुद्दे पर आपको कोई राजनीतिक पार्टी सड़क पर दिखाई देती है क्या ? खाली भाजपा को दोष देने से आप चुनाव नहीं जीत पाएंगे
जो भी हो इस हालत का नुकसान भारत के आदिवासी दलित मुसलमान गरीब नौकरी पेशा मजदूर उठा रहे हैं .इनकी हालत सचमुच बहुत खराब है और इन पीड़ित तबकों को राजनीति बदलने का कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा है मगर लोगों की मजबूरी है कि इन स्थितयों में वे भाजपा के अलावा किसे चुने??
ग़ज़ब परसेप्शन है ,
भाजपा आरएसएस पारिश्रमी संगठन है, फ़ुलटाइम राजनीति करते है. मीडिया संस्थाए सब उनके क़ब्ज़े में है . भाई सबाल ये है कि वे जो कर रहे है क्या उससे देश में बराबरी आएगी , आर्थिक तरक़्क़ी होगी , शिक्षा , स्वास्थ्य , अवसर , सम्मान के हक़ से वंचित समाज को कुछ मिल रहा है ? या भविष्य में मिलेगा ?
अगर यह नहीं होगा तो जिन्हें यह चाहिए उन्हें क्या इसलिए भाजपा का समर्थन करना चाहिए कि भाजपाई बहुत मेहनती है ? अगर मेहनती होना ही मानक हाई तो कल कोई रात दो बजे हमें लूटने आये तो हमें ख़ुशी ख़ुशी लुट जाना चाहिए उनकी रात में जगने मेहनत और रिस्क लेने की आदत से उत्साहित होकर कुछ घर में छुपा हुआ है उसे भी उन्हें लाकर दे देना चाहिए और उनकी प्रशंसा करनी चाहिए . कोई बेरोज़गार मज़दूर अगर गुज़ारिश करे कि काम न होने से वह परेशान है अगर आप कोई काम देंगे तो बड़ी मेहरबानी होगी अपका काम करूँगा मेरा भी फाँका दूर हों जाएगा तो उस बेरोज़गार मजदूर को अच्छे से चार सुनायें और उसे ज्ञान दे अगर कुछ चाहिए तो रिस्क लेना सीख , भरापूरा संगठन बना , रोबदाब से फ़लाँ की तरह आ तब मेरा कोई काम किए बिना भी वह सब ले जाना जो मेरे पास है .हँसने की बात नहीं हम सच मुच यही कर रहे है .संगठन की एनर्जी झंडे रैली , टीवी की बहस देखकर फ़ैसला कर रहे है. संगठन में शक्ति होती है वह शक्ति लूटने की भी हो सकती है.
हमें शिक्षा , स्वास्थ्य सेवाएँ , रोज़गार , समृद्धि और सुरक्षा चाहिए तो हमें संगठन नहीं संगठन की नीति और गवरनेंस से होने वाले लाभ चाहिए .
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