रामनगरी को बाढ़ से बचाते थे 108 कुंड

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रामनगरी को बाढ़ से बचाते थे 108 कुंड

ओम प्रकाश सिंह

अयोध्या.  अवध का चौरासी कोस परिक्रमा क्षेत्र संस्कृति, कला, लोक परपंरा से समृद्ध है.  यहां की संस्कृति, रीति-रिवाजों और लोक परम्परा की चर्चा देश दुनिया तक होती रही है.  समय के साथ लोग अपनी संस्कृति, रीति-रिवाज़ो को भूलते जा रहे हैं.  विलुप्त हो रही इसी संस्कृति और कलाओं को सहेजने और संवर्धन के लिए अयोध्या के एक युवा अभिषेक सांवत ने बीड़ा उठाया है. 

सरयू के जल को ब्रह्म द्रव कहा जाता है.   इस जल से पूरी अयोध्या को तृप्त करने के लिए नगर के चारों तरफ 108 कुंडों का निर्माण किया गया था.  मध्यकाल तक यह कुंड न सिर्फ अयोध्यावासियों व तीर्थ यात्रियों की प्यास बुझाते थे, बल्कि इनसे हजारों जीवों व वनस्पतियों का भी अस्तित्व जुड़ा हुआ था.  अयोध्या के 84 कोसी परिधि में बनाये गए यह कुंड अब अदृश्य हैं.  प्रदेश की सरकार ने इनमें से 82 कुंडों का स्थान चिन्हित भी किया है, जिनका उद्धार किया जाएगा.  

इन कुंड से कई कलाओं व विद्याओं का भी नाता है.  कुंड के पर्यावास में संस्कृति भी खूब फली फूली, और कई कलाकर समूह इसके आस-पास बसे.  इन कुंडों का महत्व न सिर्फ धार्मिक था बल्कि राम नगरी को बाढ़ त्रासदी से बचाने की एक वैज्ञानिक योजना थी.  काशी हो या अयोध्या, नदियों के किनारे बसने वाले शहरों को जल प्लावन से बचाने के लिए ऐसी बेहतरीन योजनाएं पुरातन काल में बनी थी. 

इन कुंडों व उनके पास फली फूली संस्कृति को जानने समझने और लोगों तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है,  अयोध्या डायरी के संस्थापक, अवध विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र अभिषेक सावंत ने जोकि 84 कोस की परिधि में विकसित हुई विभिन्न कला-संस्कृति का दस्तावेजीकरण करेंगे.  सावंत ने इसे मिशन के रूप में लिया है और इसके लिए वे 84 कोस क्षेत्र में पड़ने वाले विभिन्न धार्मिक स्थलों के आसपास के गांव में रात विश्राम करेंगे और वहां के लोगों से इसके बारे में जानेंगे.  इस अभियान को सफल बनाने के लिए सांवत क्षेत्र के विभिन्न विशेषज्ञों के साथ पर्यटन विशेषज्ञ आचार्य मनोज दीक्षित का भी सहयोग ले रहे हैं. 

सरकारी स्तर पर अयोध्या के कुंडों के कायाकल्प की कार्ययोजना बनती बिगड़ती रहती है. अयोध्या विकास प्राधिकरण ने 108 कुंडों के जीर्णोद्धार का प्रपोजल शासन को दिया था, जिस पर शासन ने सहमति दी थी.   प्राधिकरण ने पहले फेज में 8 कुंडों के कायाकल्प की योजना तैयार की है.  जिसमें लाल डिग्गी, विद्या कुंड, दशरथ कुंड, ब्रह्मा कुंड, सीता कुंड, अग्नि कुंड, क्षीर सागर कुंड, खजुआ कुंड हैं.  अयोध्या विकास प्राधिकरण ने इस काम के लिए लेक मैन के नाम से मशहूर आनंद मल्लिगवद को इस योजना में शामिल किया है.  कुंडों के जीर्णोद्धार के लिए 6 महीने का लक्ष्य रखा गया था, तीन महीने बीत चुके हैं.  सरकारी योजना का हश्र सब जानते हैं. 

सांवत का उद्देश्य अवध की समृद्ध, सांस्कृतिक विरासत से लोगों को परिचित कराना है जिसके तहत देश में कला संस्कृति से जुड़े विद्वानों, कला विशेषज्ञों को शामिल कर स्थानीय लोगों से जोड़कर उनके नृत्य, गीत, लोक भाषा आदि को प्रशिक्षण के माध्यम से उत्कृष्ट रूप प्रदान करते हुए राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाया जा सके. 

अवध की विलुप्त हो रही संस्कृति का सरंक्षण और संवर्धन हो इसके लिए अभिषेक सांवत चौरासी कोस में स्थापित कुंडों व परिक्रमा क्षेत्र में समाज के लोगों से मिलकर उनके परंपरा, रीति रिवाज, लोकगीत, लोकनृत्य, लोक भाषा का अभिलेकीकरण करेगें ताकि इन्हें आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाया जा सके.  . 


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