मरीजों और मुर्दों से भी जीएसटी

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मरीजों और मुर्दों से भी जीएसटी

हिसाम सिद्दीकी

नई दिल्ली! वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी की नाक के नीचे से चंद बेईमान ताजिर मुल्क का तकरीबन बारह लाख करोड़ रूपया लेकर भाग गए तो उसकी भरपाई सरकार ने अब गरीब के निवाले पर जीएसटी लगाकर करने का फैसला किया है. एक तरफ मोदी के नजदीकी गौतम अडानी की कम्पनी के जरिए बैंकों से लिए गए हजारों करोड़ रूपए एनपीए में डाल दिए गए दूसरी तरफ सरकार ने आटा, दाल, चावल, दही, घी, तेल वगैरह पर जीएसटी लगाकर आम लोगों की दो वक्त की रोटी भी छीनने का बंदोबस्त कर दिया है. याद रहे कि दो साल कब्ल खुद पीएम मोदी ने कहा था कि अभी तक खाने-पीने के सामानों पर भी टैक्स लिया जाता था अब जीएसटी लागू होने के बाद हमने वह तमाम टैक्स खत्म कर दिए हैं. इस बार तो इंतेहा ही हो गई अब मुर्दों और मरीजों दोनों से जीएसटी वसूला जाएगा. सरकार ने एलान कर दिया कि अब पांच हजार रूपए से ज्यादा के किराए वाले अस्पतालों के कमरों पर भी जीएसटी लगेगा मुल्क में बड़ी तादाद में ऐसे अस्पताल खुल गए हैं जिनमें एक दिन का वार्ड का किराया पांच हजार से ज्यादा होता है ऐसे अस्पतालों में दाखिल मरीजों के मरने की तादाद भी ज्यादा है तो अब सरकार मरीजों के साथ मुर्दों से भी जीएसटी वसूलेगी. अट्ठारह जुलाई से मोदी सरकार ने मछली, दही, पनीर, लस्सी, शहद, सूखा मखाना, सूखा सोयाबीन, मटर, मुरमुरे, गेंहू और दीगर अनाज पर पांच फीसद जीएसटी लगा दिया है. पहले गेंहू पर जीएसटी लगेगा फिर उससे बनने वाले तमाम सामानों पर अलग से जीएसटी देना पड़ेगा. होटलों में ठहरने वालों पर जीएसटी का बोझ ज्यादा डाला गया है अब सस्ते एक हजार रूपए रोजाना से कम किराए वाले कमरों पर बारह फीसद जीएसटी लगेगा. सोलर पावर वाटर हीटर पर अभी तक पांच फीसद जीएसटी लगता था अब यह बारह फीसद हो गया है. श्मशान मे बिजली मशीन के जरिए मुर्दे जलाने के कामों से मुताल्लिक कंट्रैक्ट तक पर अटठारह फीसद जीएसटी लगा दिया गया है.

खाने-पीने का सामान और दूध से बनी चीजों पर जीएसटी लगाए जाने के खिलाफ पार्लियामेंट के दोनों एवानों में जबरदस्त हंगामा हुआ लेकिन सरकार पर इस हंगामे का कोई असर नहीं दिखा. सरकार की जानिब से कहा गया कि जीएसटी काउंसिल में अपोजीशन पार्टियों के लीडरान ने कोई एतराज नहीं किया. फिर अब हंगामा क्यों? पहले तो हुकूमत ने आम लोगों से कहा कि वह बिजली के आम बल्ब और राड का इस्तेमाल करने के बजाए एलईडी लाइट्स का इस्तेमाल करें. अब लोगों ने अपनी आदत डाल ली तो सरकार ने एलईडी लाइट्स और एलईडी लैम्प पर लगने वाले जीएसटी को बारह से बढाकर 18 फीसद कर दिया गया जुल्म की इंतेहा यह कि पहले गेंहू पर पांच फीसद जीएसटी लिया जाएगा फिर अनब्राण्डेड प्री पैकेज्ड और प्री लेवल आटे और मैदे पर भी पांच फीसद जीएसटी लगेगा डिब्बाबंद मछली और गोश्त पर भी जीएसटी लगेगा उसके बाद इसी आटे ओर मैदे से बनी ब्रेड, बिस्कुट और बंद वगैरह पर भी पांच फीसद जीएसटी देना पडे़गा. टेट्रा पैक वाले दही, लस्सी, बटर मिल्क, छाछ और दालों पर भी पांच फीसद जीएसटी लगा दिया गया है. यह सारे वह सामान हैं जिनका इस्तेमाल आम और गरीब लोग करते हैं. एक अंदाजे के मुताबिक देश में चैरान्नवे (94) फीसद लोग ऐसे हैं जिनके महीने की आमदनी दस हजार रूपए से कम है. अब इतनी कम आमदनी में हर चीज पर जीएसटी का इतना बड़ा बोझ डाल दिया गया है.

जून में जीएसटी का कलेक्शन एक लाख पैतालीस हजार करोड़ हो गया. यह गुजिश्ता साल के जून में हुए कलेक्शन के मुकाबले छप्पन (56) फीसद ज्यादा है. इस साल मई में जीएसटी कलेक्शन एक लाख इकतालीस हजार करोड़ रूपया थ कलेक्शन में होते इस तरह के इजाफे को देखकर ही शायद मोदी सरकार ने सोचा कि देश के गरीब अवाम को खुद ही चूस लिया जाए. जरई पैदावारों खुसूसन आलू वगैरह कोल्ड स्टोरेज और गोदाम में रखे जाते हैं. अब इन दोनों जगह रखे जाने वाले सामान के फ्यूमीगेशन और अट्ठारह फीसद जीएसटी लगा दिया गया है. अभी तक इसपर कोई टैक्स नहीं था. वेयरहाउसों में सूखे मेवे, मसाले, नारियल, गुड़, काटन, जूट, तम्बाकू, तेज पत्ता, चाय और काफी वगैरह रखने पर अभी तक कोई टैक्स नहीं लगता था, अब इसपर बारह फीसद जीएसटी लगा दिया गया है।

व्यापारियों और कारोबारियों में इस बात को लेकर काफी नाराजगी है कि अट्ठारह जुलाई से पहले जो सामान पैकेट बंद हुआ था उसपर भी जीएसटी लगा दिया गया है. व्यापारियों का कहना है कि 18 जुलाई को खाने-पीने के सामान पर जीएसटी लगने के साथ ही गरीब की थाली की कीमतों में भी इजाफा हो गया है. जीएसटी का दायरा बढाए जाने के खिलाफ दिल्ली की खुदरा और थोक मंडियां एक दिन के लिए बंद रहीं. व्यापारियों ने कहा कारोबारियों की महापंचायत बुलाई गई है जिसमें फैसला किया जाएगा कि जीएसटी के बढे दायरे के खिलाफ दिल्ली में कब मुजाहिरा किया जाए. दिल्ली उद्योग मंडल चैम्बर आफ टेªड इंडस्ट्री के सदर ब्रजेश गोयल ने कहा कि आजाद हिन्दुस्तान में पहली बार दाल-चावल, आटा, अनाज, दही और लस्सी तक पर टैक्स लगा दिया गया है. जिसके हम सख्त खिलाफ हैं. दिल्ली अनाज व्यापारी संघ के सदर नरेश कुमार गुप्ता ने भी इस फैसले की मुखालिफत करते हुए कहा कि हम इसे वापस लेने का मतालबा करते हैं. हालांकि यह दोनों व्यापारी लीडरान लोकसभा, असम्बली और नगर निगम के चुनावों में बीजेपी के लिए वोट मांगते दिखते है. इनके मुखालिफीन कह रहे है कि यही लोग तो बीजेपी सरकार लाए हैं अब शिकायत क्यों?

जीएसटी को इतना पेचीदा बना दिया गया है कि एक-एक सामान पर चार-चार, पांच-पांच बार टैक्स लिया जा रहा है. मसलन गेंहू, आटा, ब्रेड, बिस्कुट, दालों वगैरह पर पांच फीसद जीएसटी और इनकी ढुलाई करने वाले ट्रकों और दूसरी गाड़ियों के किराए पर भी बारह फीसद जीएसटी लगा दी गई है. स्कूली बच्चों को भी नहीं बख्शा गया ड्राइंग और प्रिटिंग इंक, पेंसिल, शार्पनर, मार्किंग करने वाले मार्कर, कागज काटने वाले चाकू और दूसरे धारदार चाकुओं पर भी बारह फीसद जीएसटी लगाई गई है. कांग्रेस लीडर राहुल गांधी ने इल्जाम लगाया कि भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार ने देश की मईशत (अर्थव्यवस्था) को पहले ही तबाह कर दिया है. अब खाने-पीने के सामानों तक पर जीएसटी लगाकर देश के मीडिल लोअर क्लास और गरीबों के मुंह का निवाला भी छीना जा रहा है. बीजेपी के लोक सभा मेम्बर वरूण गांधी ने कहा कि दूध, दही, आटे और खाने के दीगर सामानों पर जीएसटी लगाना इंतेहाई गलत फैसला है. उन्होने कहा कि जब अवाम को राहत देने का वक्त है तब उन्हें ‘आहत’ (मजरूह) किया जा रहा है. दिल्ली के वजीर-ए-आला अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मुल्क के लोग पहले ही तेजी से बढी महंगाई की मार से परेशान हैं अब उनपर जीएसटी का बोझ डालकर उनके खाने तक को मुश्किल में डाल दिया गया है.जदीद मरकज

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